फरार गैंगस्टर मुख्तार मलिक की मौत,58 गंभीर मामले थे दर्ज.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
राजस्थान के झालावाड़ में मंगलवार-बुधवार की रात गैंगवार में घायल भोपाल के फरार गैंगस्टर मुख्तार मलिक की मौत हो गई। शुक्रवार सुबह 10 बजे उसने इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। उसके खिलाफ 58 गंभीर अपराध दर्ज हैं। राजस्थान, झालावाड़ के DSP गिरधर सिंह ने बताया कि मुख्तार मलिक नदी से करीब एक किलोमीटर दूर जंगल में घायल मिला था। उसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। गैंगस्टर मुख्तार का शव शुक्रवार शाम भोपाल के कोहेफिजा में प्राइड हाईट्स स्थित घर लाया गया। गौहरगंज के कब्रिस्तान में शव को दफनाया जाएगा।
गैंगस्टर मुख्तार की उम्र 61 साल थी। वह 21 साल की उम्र में पहली बार रेप केस में जेल गया था। यहीं से उसके अपराध की फेहरिस्त लंबी होती गई।
मंगलवार-बुधवार की रात उसकी राजस्थान के बंटी गैंग के बीच गैंगवार हुआ था। दोनों गैंग के बीच भीमसागर बांध के कैचमेंट एरिया में मछलियां पकड़ने को लेकर विवाद हो गया था। इसके बाद दोनों गैंग के बीच फायरिंग हुई। गैंगवार में मुख्तार गैंग के एक गुर्गे कमल की मौत हो गई थी। वहीं, मुख्तार समेत उसका राइट हैंड विक्की वाहिद घायल हो गया था।
पुलिस के मुताबिक, भीमसागर बांध के नदी क्षेत्र में मछलियां पकड़ने का ठेका भोपाल निवासी मुख्तार मलिक ने गैंगवार के एक दिन पहले ही लिया था। मंगलवार देर रात मुख्तार मलिक 11 मजदूरों के साथ कांस खेड़ली के पास कम पानी में नाव से पेट्रोलिंग कर रहा था। इसी दौरान गांव के रहने वाले मछुआरों से कहासुनी हो गई। विवाद इतना बढ़ा कि दोनों तरफ से पथराव और फायरिंग होने लगी।
मुख्तार के अपराध की कुंडली
मुख्तार मलिक पर हत्या समेत 58 गंभीर अपराध दर्ज हैं। वो 1982 में सबसे पहले ज्यादती के आरोप में गिरफ्तार हुआ। यह उसका पहला अपराध था। भोपाल की जिला अदालत में मुन्ने पेंटर गैंग के बीच हुए गैंगवार में मुख्तार को 2006-07 में हाईकोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में वह बरी हो गया। मुख्तार के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, ज्यादती, अपहरण और अड़ीबाजी समेत 58 अपराध दर्ज हैं।
मुख्यमंत्री पटवा को धमकाकर चर्चा में आया
मुख्तार 1990 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा तक को धमका चुका है। 1996 में इसने फिरौती के लिए रायसेन जिले के तीन बच्चों का अपहरण किया था। इस काम के लिए उसने उप्र से बदमाश बुलाए थे। हालांकि, पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान उसके साथियों का एनकाउंटर करते हुए बच्चों को छुड़ा लिया था। मुख्तार पर भोपाल के तलैया, बिलखिरिया, एमपी नगर, शाहजहांनाबाद, मिसरोद, जहांगीराबाद, क्राइम ब्रांच, हबीबगंज, हनुमानगंज, कोहेफिजा, रायसेन जिले के औबेदुल्लागंज, सुल्तानपुर, उमरावगंज थाने में 58 आपराधिक केस दर्ज हैं। अपराध की दुनिया में 1982 से वो भोपाल में एक्टिव है।
राजधानी के बाहर भी था खौफ
मुख्तार को पकड़ने में कभी पुलिस भी घबराती थी। अधिकतर अपराध में वह अब तक वह खुद सरेंडर करता आया है। हालांकि, पुलिस उसे गिरफ्तार करने का दावा करती रही है। उसका खौफ भोपाल के अलावा सीहोर, रायसेन में भी था। वर्तमान में उसने प्रॉपर्टी, खनिज का अवैध धंधा शुरू किया था। कई बिल्डर, अफसर उसके धंधे में इंडायरेक्ट तरीके से पार्टनर रहे हैं।
18 साल पहले अफसर पर चलवाई थी गोली
एक दिलचस्प वाकया 8 माह पहले मुख्तार के साथ हुआ था। दरसअल, कुख्यात गैंगस्टर मुख्तार मलिक धोखाधड़ी के एक मामले में सेंट्रल जेल भोपाल में बंद था। यह मात्र एक संयोग ही था कि जिस अफसर पर 18 साल पहले मुख्तार ने अपने शूटर से गोली चलवाई थी, वे ही अफसर पीडी श्रीवास्तव सेंट्रल जेल भोपाल के जेलर थे। मुख्तार ने 24 नवंबर 2003 को सेंट्रल जेल भोपाल के तत्कालीन डिप्टी जेलर पीडी श्रीवास्तव पर अपने शूटर तौफीक से हमला कराया था। तौफीक ने उस समय उन पर दो गोली चलाई थीं, जब वे जेल से पैदल अपने घर जा रहे थे। हमले में वे बाल-बाल बचे थे। बाद में खुलासा हुआ था कि गोली मुख्तार ने चलवाई थी।
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