बिहार के अस्पताल में इलाज करा रहे तीन कैदियों की मौत.

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छपरा में सनकी पति ने दिव्यांग पत्नी की हत्या करने के बाद घर में

लगा दी आग.

जमुई में डॉक्टर ने फंदे से लटककर की खुदकुशी.

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार में भागलपुर जिला स्थित जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में इलाज के दौरान तीन कैदियों की मौत हो गई। पुलिस सूत्रों ने मंगलवार को यहां बताया कि जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में बेहतर चिकित्सा के लिए बांका एवं पूर्णिया जेलों के दो बीमार विचाराधीन कैदी दीपक राम (6०) और राजू ऋषि (5०) को रविवार को भतीर् कराया गया था। सोमवार की देर रात को इलाज के क्रम में दोनों कैदियों की मौत हो गई। मृतक दीपक राम झारखंड के गिरिडीह जिले के चंदौरी क्षेत्र का रहने वाला था और अवैध शराब की बिक्री के मामले में बांका जिला कारा में बंद था।

सूत्रों ने बताया कि मृतक कैदी राजू ऋषि पूर्णिया जिला कारा में मद्य निषेध अधिनियम के एक मामले में सजा काट रहा था। इस अस्पताल में दो दिनों से भर्ती भागलपुर केन्द्रीय कारा के एक बीमार सजायफ्ता कैदी तेतरी मंडल (85) की भी मौत इलाज के दौरान हो गई। मृतक बांका जिले के रजौन क्षेत्र का रहने वाला था और हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। मृत कैदियों के परिजनों को सूचना भेज दी गई है। उक्त कैदियों के शवों का पोस्टमॉर्टम जिला प्रशासन गठित एक मेडिकल बोर्ड के देखरेख में मंगलवार को कराया गया है।

बिहार के छपरा के साहेबगंज सुनार पट्टी मोहल्ले में एक सनकी पति ने अपनी दिव्यांग पत्नी की हत्या कर दी। इस वारदात को अंजाम देने के बाद उसने घर में आग लगा दी। पड़ोसियों ने जब घर में लगी आग को देखा तो मौके पर तुरंत पहुंच गए और आग पर काबू पा लिया। 

जानकारी के अनुसार अनिल कुमार ने अपनी पत्नी सोनी कुमारी को गला घोंटकर मार डाला। पत्नी का शव बेड पर छोड़ अनिल ने घर में आग लगा दी। पड़ोसियों ने आनन फानन में घर में लगी आग को बुझा दिया। जब स्थानीय लोगों ने अनिल से घर का दरवाजा खोलने के लिए कहा तो उसने साफ मना कर दिया। उसके हाथ में धारदार हथियार देखकर लोग डर गए। इस बीच किसी ने पुलिस ने सूचना दे दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने अनिल को गिरफ्तार कर लिया और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

बिहार के जमुई जिले के जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी(वैक्सीनेशन प्रभारी) सह दिग्विजय सिंह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रामस्वरूप चौधरी ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। जानकारी के अनुसार डॉ. चौधरी एक लंबे समय से गिद्धौर के दिग्विजय सिंह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के पद पर कार्यरत थे। घटना तकरीबन सुबह 09 बजे के आसपास की बताई जाती है। 

बताया जाता है कि  सुबह 8:15 बजे के करीब वो अस्पताल प्रबंधन के लोगों से जुड़े रहे। सुबह चाय पी उसके बाद वो अस्पताल के पुराने भवन में बने अपने सरकारी आवास में कमरे में चले गये और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। थोड़ी देर के बाद जब परिजन उन्हें बुलाने के लिये दरवाजा खटखटाये तो उन्होंने दरवाजा नही खोला। तब परिजनों ने अनहोनी की आशंका से कमरे का दरवाजा तोड़ा तो उन्हें पंखे में फंदे से लटका पाया।

आनन फानन में उन्हें दिग्विजय सिंह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। डॉक्टरों की टीम ने उन्हें बचाने की कोशिश की लेकिन उनकी मौत हो गई। वहीं मौत की पुष्टि को लेकर उनके परिजन और अस्पताल प्रबंधन उन्हें सदर अस्पताल जमुई ले गए। खबर लिखे जाने तक उनका पोस्टमार्टम सदर अस्पताल में कराया जा रहा है। इधर मिलनसार व्यक्तित्व के डॉक्टर के अचानक खुदकुशी करने से गिद्धौर इलाके के लोग हतप्रभ हैं।

 

 

 

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