महात्मा गांधी केंद्रीय विवि में ” यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013″ के वर्षगांठ पर वाद- विवाद प्रतियोगिता का हुआ आयोजन.
कानून बनाया सरकार का दायित्व है, इस पर खड़ा उतरना हमारा कर्तव्य है
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
मोतिहारी|महात्मा गांधी केंद्रीय विवि के मीडिया अध्ययन विभाग द्वारा आंतरिक शिकायत प्रकोष्ठ की आठवीं वर्षगांठ के अवसर पर वाद- विवाद प्रतियोगिता का आयोजन बृहस्पति सभागार, महात्मा बुद्ध, परिसर बनकट में गुरुवार को संपन्न हुआ। जिसका मुख्य विषय यौन उत्पीड़न रोकने में कानून की भूमिका रहा। निर्णायक मंडल के द्वारा दीप प्रज्वलित किया गया इसी के साथ कार्यक्रम को आगे बढ़ाया गया।
सह-आचार्य, राजनीति विज्ञान विभाग, समन्वयक- वैदेही महिला अध्ययन केंद्र की प्रो. सरिता तिवारी ने कहां यौन उत्पीड़न विषय को बोलने में कहीं ना कहीं हमारी जिह्वा अभी भी लड़खड़ाती हैं। यह एक संवेदनशील विषय है। क्योंकि आज भी जेंडर की समस्या है। तिवारी ने कहां यौन उत्पीड़न कानून की समस्या नहीं है। यह नैतिक समस्या है। हम सभी लोगों को समाज के निर्माण में सहयोग देने की आवश्यकता है।
आचार्य- जैव प्रौद्योगिकी, परिसर निदेशक- चाणक्य परिसर के प्रो. आनंद प्रकाश ने कहा कि कानून भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए बनता है। पहले भी ऐसा अपराध होता था, इसीलिए कानून बनाने की आवश्यकता पड़ी। उन्होंने कहा दोनों पक्षों की बातों पर गौर करना चाहिए। यह कानून सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं है, यह पुरुषों के लिए भी लागू होता है।
हमारे संस्कार में कमी है तभी ऐसे लोग इस दुनिया में पनपते हैं। नैतिक और विवेक की अधिक जरूरत है आज के दौर में।यौन उत्पीड़न जैसे घटनाओं को अंजाम देने से पहले हमें उसका भय होना चाहिए ताकि हम ऐसा कदम ना उठा सके। इस कानून में बहुत कुछ जोड़ना और हटाना अभी बाकी है। यह पिरा हमारे घर से ही उत्पन्न होती है। इस विषय पर हमें अत्यधिक ध्यान देनी चाहिए।
अधिष्ठाता मानविकी एवं भाषा संकाय समन्वयक- लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र के प्रो. राजेंद्र सिंह ने कहां की इस बड़े देश में इस कानून की अत्यधिक जरूरत है और इसके प्रति जागरूकता फैलाने की भी आवश्यकता है। इस तरह के विषय को हमारे पाठ्यक्रम में रखने की आवश्यकता है। इस तरह के कानून में अपनी सहयोग देने की भी जरूरत है।
अधिष्ठता जैविक विज्ञान संकाय के प्रो. ए.पाल ने कहा हर मनुष्य के साथ कुछ ना कुछ घटित होता ही है। लेकिन गलत काम करने से पहले सौ बार सोचने की आवश्यकता है। हमें उसका एहसास होना चाहिए ताकि हम वैसी दुस्साहस ना कर सके।
इस कार्यक्रम के निर्णायक मंडल प्रो. सरिता तिवारी, प्रो.आनंद प्रकाश, प्रो. राजेंद्र सिंह और ए. पाल रहे।
कार्यक्रम की संचालन शबनम कुमारी द्वारा किया गया।
निर्णायक मंडल के द्वारा प्रतिभागियों का साहस बढ़ाया गया।
वाद- विवाद प्रतियोगिता की प्रथम प्रतिभागी माधुरी सिंह(बी.टेक.), द्वितीय प्रतिभागी विकास कुमार और संकल्प कुमार (एम.फिल)और तृतीय स्थान पर कनई सरकार रहे।
समाप्ति उद्घोषणा शबनम कुमारी द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम की संयोजक प्रो. शहाना मजूमदार रही। सह संयोजक डॉ. प्रीति बाजपेई और डॉ सपना सुगंधा रही। रश्मि सिंह, शबनम कुमारी, बैकुंठ कुमार यादव, मुस्कान जयसवाल जेंडर चैंपियन के रूप में उपस्थित रहे। साथ ही शोधार्थी और विद्यार्थियों का भी इस कार्यक्रम में सहयोग देखने को मिला।
आभार-शिवानी कुमारी और गुंजन शर्मा.
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