सीवान में भी बढ़ रहा डेंगू, इम्यून सिस्टम पर फिर से दें ध्यान
कहा, एक बार फिर कोविड काल के प्रयासों को अपनाकर अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत करने का प्रयास करना होगा
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
आ रहे समाचारों के मुताबिक राजधानी पटना में तो डेंगू ने कहर ढा ही दिया है, सीवान में भी डेंगू मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिससे सीवान के लोग भी दहशत में आते जा रहे हैं। ऐसे में दयानंद आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, सीवान के काय चिकत्सा के प्रोफेसर सुधांशु शेखर त्रिपाठी ने शानदार सीवान से विशेष बातचीत की और बताया कि लोगों को कोविड के दौरान अपनाए गए व्यवहारों पर फिर से अमल करना चाहिए। काढ़ा आदि पीकर और शारीरिक सक्रियता बढ़ा कर अपने शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए ताकि वे डेंगू जैसे घातक बीमारी से सुरक्षित रह पाएं।
मच्छरों से हर हाल में बचें
प्रोफेसर त्रिपाठी ने बताया कि डेंगू से बचाव का सबसे पहला और सही उपाय यही है कि जितना हो सके मच्छरों से बचा जाए। घर मे या घर के आस-पास पानी जमा नही होने दे या कूलर आदि में पानी को एक हफ्ते मे बदल दे ताकि उसपर मच्छर पैदा ना हो। घर के अंदर भी मच्छर भगाने वाली दवाओं का प्रयोग करें।
रात मे सोते वक़्त मच्छरदानी प्रयोग ज़रूर करे। इन उपायों को दिन के दौरान भी घर के अंदर और बाहर दोनों जगह करा जाना चाहिए क्योंकि प्राथमिक मच्छर दिन मे ही काटता है। स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा आपातकालीन वेक्टर नियंत्रण उपायों का उपयोग किया जा सकता है जैसे कि प्रकोपों के दौरान हर जगह छिड़काव के रूप में कीटनाशकों को लागू करना चाहिए। स्वच्छता के हरसंभव उपाय को अपनाएं।
काढ़ा आदि पीना शुरू करें
साथ ही, डॉक्टर त्रिपाठी ने बताया कि कोविड काल में जिस तरह हमलोग अपने इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करने के लिए तुलसी आदि का काढ़ा आदि पी रहे थे, उसे फिर शुरू कर देना चाहिए। हल्दी दूध पीना भी इम्यूनिटी के लिए बेहतर रहता है। ग्रामीण क्षेत्रों में पपीता आसानी से उपलब्ध हो जाता है उसका सेवन करना चाहिए।
लेकिन पपीते के सेवन के दौरान मधुमेह के मरीज थोड़ा सावधानी अवश्य बरतें। गिलोय, दालचीनी, अदरख, काली मिर्च आदि का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बना देता है। इन सब प्रयासों से हम अपना रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाकर डेंगू के वायरस से प्राथमिक स्तर पर ही विजय प्राप्त कर सकते हैं।
शारीरिक सक्रियता को भी बढ़ाएं
प्रोफेसर त्रिपाठी ने बताया कि शारीरिक सक्रियता को बढ़ाना रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में काम आता है। यदि आप सुबह शाम टहलते हैं या योग, प्राणायाम नियमित तौर पर करते हैं तो उसे करते रहें तथा यदि नहीं करते हैं तो जरूर करना शुरू कर दें। रोग से बचाव ही रोग से लड़ने का सबसे महत्वपूर्ण उपाय होता है।
सकारात्मक और प्रसन्नचित रहें
प्रोफेसर त्रिपाठी ने बताया कि डेंगू के दहशत में न आएं। सदैव सकारात्मक और प्रसन्नचित रहने का प्रयास करिए। तनाव का असर रोग प्रतिरोधक क्षमता पर बेहद नकारात्मक असर डालता है। इसलिए आस पड़ोस में किसी को डेंगू हो जाए तो बिलकुल भी तनाव न लें। जरा याद कीजिए कोरोना महामारी का वह भयावह दौर, जब हमने सतर्कता बरती और सजगता दिखाई तो हम सुरक्षित रहें। एक बार फिर परीक्षा की घड़ी आई है। हम एक बार फिर सकारात्मक सोच से इस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना करेंगे।
यह है डेंगू
प्रोफेसर त्रिपाठी ने बताया कि डेंगू एक वायरल बीमारी है, जो एक खास प्रजाति के मच्छर के काटने से फैलती है। डेंगू वायरस मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी प्रजाति के मादा मच्छरों द्वारा फैलता है और कुछ हद तक एई अल्बोपिक्टस से भी। ये मच्छर चिकनगुनिया, येलो फीवर और जीका वायरस के भी वाहक हैं।
डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहते है क्योकिं इसमे हड्डी टूटने जैसा दर्द होता है और कई दिनो तक रहता है। कम फीसदी मे डेंगू बुखार वाले लोगों को डेंगू रक्तस्रावी बुखार (dengue hemorrhagic fever) नामक बीमारी का एक अधिक गंभीर रूप विकसित कर सकता है।
जमे हुए पानी मे डेंगू के मच्छर का पनपने का खतरा होता है। दो तरह के प्रसार के कारण भी डेंगू का वायरस फैलता है।
डेंगू के ये होते हैं लक्षण
प्रोफेसर त्रिपाठी ने बताया कि डेंगू को 2 प्रमुख श्रेणियों में बांटा गया है: डेंगू और गंभीर डेंगू। डेंगू का संदेह तब होना चाहिए जब बुखार के दौरान (40 डिग्री सेल्सियस/104 डिग्री फारेनहाइट) हो तथा ये लक्षण दिखाई दें जैसे भयानक सरदर्द, आंख के पीछे दर्द,
मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द
,जी मिचलाना, उल्टी, सूजन ग्रंथियां, रेस। गंभीर डेंगू के लक्षणों में शामिल है पेट में तेज दर्द,लगातार उल्टी,
तेजी से साँस लेने,मसूड़ों से खून बहना, थकान, बेचैनी उल्टी में खून आदि शामिल होता है।
अगर हो जाए डेंगू तो करें ये उपाय
डॉक्टर त्रिपाठी बताते हैं कि
अगर आपको पता चलता है कि आपको डेंगू हो चुका है तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें । साथ ही कुछ घरेलू इलाज भी आपको स्वस्थ्य होने मे मदद कर सकता है, जैसे – : गिलोय जो की आयुर्वेदिक दवा है, वो काफी फायदेमंद माना जाता है डेंगू मे। पपीते का पत्ता का रस पीना बहुत जरूरी होता है, क्योकिं ये प्लेटलेट्स को बढाने मे मदद करता है। इसके अलावा, बकरी का दूध भी डेंगू मे बहुत फायदेमंद होता है, और प्लेटलेट्स बढ़ाने मे योगदान देता है।
तुलसी और कली मिर्च आपके शरीर के लिये एंटी-बैक्टीरियल की तरह काम करता है । नारियल पानी भी डेंगू मे अच्छा होता है और शरीर मे पानी की कमी नही होने देता साथ ही इसका फाएदा भी मिलता है। एक बात याद रखना है की डेंगू मे तेल, मसला वाला भोजन नही खाना है क्योकिं डेंगू लीवर कमजोर हो जाते है ऐसे मे चिकनाई वाले खाने लीवर के किये नुकसानदेह साबित होंगे। आप दूध-रोटी, खिचड़ी-चोखा, दाल-रोटी या सादा दलिया अपने भोजन मे शामिल कर सकते है। चाहे तो हर्बल चाय पी सकते है और पानी की कमी शरीर मे ना होने दे, डीहायड्रेसन के कारण डेंगू का प्रभाव बढ़ सकता है।
शानदार सीवान हर नागरिक से अपील करता है कि प्रोफेसर सुधांशु शेखर त्रिपाठी के सलाह पर आज से ही अमल शुरू कर दें। अपने रोग प्रतिरोधक क्षमता को सहेजें, सकारात्मक रहें, सचेत रहें। इस पोस्ट को शेयर कर अपने परिचितों, संबंधियों को भी डेंगू से सुरक्षा का संदेश दें। प्रोफेसर त्रिपाठी को अपनी बात साझा करने के लिए शानदार सीवान धन्यवाद प्रेषित करता है।
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