अवसाद डर का मनोविज्ञान है।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
यूपीएससी 2023 का परिणाम घोषित हुआ है। कुछ लोग इसे लेकर काफी व्यथित चिंतित है। क्योंकि उन्हें अपनी पिछले वर्षो पुरानी घटनाएं याद आ गई है।
जब जीवन में बहुत कुछ अच्छा नहीं होता है तो अवसाद उत्पन्न होता है। यह अवसाद की पराकाष्ठा डर के मनोविज्ञान को जन्म देती है। इससे व्यक्ति को एक अलग तरह का आत्मविश्वास पैदा हो जाता है कि मैं भी कभी यूपीएससी की तैयारी की थी और मेरे में भी एक अलग तरह की प्रतिभा है। क्योंकि भारत में 1947 के बाद प्रतिभा का सर्वश्रेष्ठ बटखरा (पैमाना) UPSC है, यहां ज्ञान एवं विद्वता आकर पानी भरती है।
कुछ व्यक्ति यह सोचकर अलग हटकर चलते है कि हमारे समाप्त होने पर हमारी चर्चा होगी, हमारे पीछे हजारों लोग होंगे जो हमें अवश्य याद करेंगे। इसी कुछ अलग करने के चाहत में व्यक्ति अपने सामाजिक परंपरा, धार्मिक रीति-रिवाज से अलग हटते हुए विश्व व्यापी चिंतक बन जाता है। वह व्यक्तियों एवं समाज के वर्गों में धर्म, जाति, कुल, वंश, रंग-रूप के भेद को मिथ्या मानने लगता है। उसके पास एक तर्क हो जाता है, जिससे वह सभी को संतुष्ट करने का प्रयास करता है। जो वर्ग उसके तर्क को वाह-वाह करने लगता है तो वह उसमें अपनी पैठ बनता चला जाता है।
एक संप्रभु समाज के लिए राज्य एक आवश्यक बुराई है। इस राज्य को संचालित करने के लिए एक अलग तरह का कानून होता है। उस कानून के दस्तावेज को हमारे देश में संविधान कहा जाता है। संविधान में सेवा की सर्वोच्च पद सिविल सेवा है। इसे महिमामंडित करते हुए कई ज्ञानचंद इसे इस्पाती चौखट, स्वर्ग में बनी सेवा से अलंकृत करते है। अब वह व्यक्ति राज्य की उच्च सत्ता का सदस्य होते-होते रह गया है ऐसे में उसके लिए राज्य को निर्देशित करने वाली पुस्तक ही धर्म ग्रंथ और कर्म ग्रंथ नजर आने लगती है।
वह अब इसके ही सहारे जीवन को जीने की कोशिश करता है और अलग राह चुन लेता है, जो उसके अवसाद का पुष्पगुच्छ है। श्रेष्ठता की भावना उसका अंग वस्त्र है तथा स्मृति चिन्ह उसके जड़ता, संत्रास की प्रतिमूर्ति है। इसे पाने की होड़ व दंम्भ में वह समाज के एक खास वर्ग से अपना संबंध जोड़ लेता है जो उसे एक अलग दुनिया में ले जाती है।
बहरहाल “व्यक्ति का काम है परिस्थितियों से जूझे और आगे बढे, जब एक सपना टूटता है तो दूसरा गढे।”
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