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मर्डर केस में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को आजीवन कारावास की सजा. - श्रीनारद मीडिया

मर्डर केस में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को आजीवन कारावास की सजा.

मर्डर केस में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को आजीवन कारावास की सजा.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

णजीत सिंह मर्डर केस में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है. राम रहीम के साथ अन्य चार लोगों को भी आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है. राम रहीम को तीन मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है.

रणजीत सिंह डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर थे. उनकी साल 2002 में हत्या कर दी गयी थी. रणजीत सिंह को उस वक्त गोली मारी गयी थी जब वे अपने खेतों में नौकरों को चाय पिलाकर वापस घर जा रहे थे. हत्यारों ने अपनी गाड़ी जीटी रोड पर खड़ी की और रणजीत सिंह को गोलियों से छलनी कर दिया था.

साध्वी ने प्रधानमंत्री को लिखा था पत्र

चरणजीत सिंह की बहन डेरा में साध्वी थी, राम रहीम को शक था कि उसी ने अपनी बहन से उसपर यौन शोषण का आरोप लगवाते हुए एक चिट्ठी प्रधानमंत्री को लिखवाई थी. उस चिट्ठी की काॅपी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजी गयी थी. यह मामला उजागर होने के बाद ही चरणजीत सिंह की हत्या हो गयी थी. 24 सितंबर 2002 को हाईकोर्ट ने साध्वी यौन शोषण मामले में गुमनाम पत्र का संज्ञान लेते हुए सीबीआई को जांच के आदेश दिए थे.

2007 में सीबीआई ने जांच पूरी की

सीबीआई ने 31 जुलाई 2007 को जांच पूरी कर न्यायालय में चालान दाखिल कर दिया. सीबीआई ने तीनों मामलों में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को मुख्य आरोपी बनाया था. पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या और साधुओं को नपुसंक बनाने के मामले में भी राम रहीम को सजा हुई है.

गुरमीत राम रहीम सिंह इन्साँ हरियाणा के सिरसा में स्थित संस्था डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख था। डेरा सच्चा सौदा की स्थापना १९६८ में शाह मस्ताना जी द्वारा की गई थी। गुरमीत इस संस्था के तीसरे प्रमुख थे।

डेरा के द्वितीय प्रमुख शाह सतनाम जी ने गुरमीत सिंह को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। सिरसा के डेरा सच्चा सौदा की कमान राम रहीम ने 90 के दशक में संभाली थी। गद्दी संभालने के बाद वे भी परंपरानुसार सत्संग, प्रवचन आदि देने लगे। इनके नेतृत्व में डेरे के भक्तों की संख्या में काफी वृद्धि हुई। आमतौर पर व्यक्तिगत आध्यात्म पर केंद्रित इस संस्था को इन्होंने सामाजिक रूप से सक्रिय बनाया। :

  • सर्वधर्म समभाव का संदेश देने के लिए इन्होंने अपने नाम में कई सम्प्रदायों के नाम शामिल किए व अपना नाम गुरमीत सिंह से बदलकर गुरमीत राम रहीम सिंह रखा।
  • जातिप्रथा की समाप्ति का आह्वान किया तथा अपने भक्तों से जातिवाचक नाम हटाकर इन्साँ नाम लगाने को प्रेरित किया।
  • कई वेश्याओं को अपनी पुत्री का दर्जा देकर अपनाया व अनुयायियों से आह्वान कर उनके घर बसाए।
  • बालिका भ्रूण ह्त्या के विरुद्ध अभियान चलाया। अनुयायियों को प्रेरित किया कि यदि एक से अधिक पुत्र हों तो दूसरे पुत्र को घर-जमाई के रूप में कन्या के मातापिता की सेवा करने को कहें।
  • सामूहिक रक्तदान अभियान आदि के कई कीर्तिमान स्थापित किए गए।
  • आपदा प्रबंधन के लिए शाह सतनाम जी ग्रीन वैलफेयर फोर्स के नाम से प्रशिक्षित अनुयायियों के दल का गठन किया गया।
  • व्यापक स्तर पर सफाई अभियान छेड़ा। इसके अंतर्गत हजारों डेरा प्रेमियों द्वारा एक ही दिन में पूरे शहर की सफाई के कई अभियान संपन्न किए।
  • नशे के विरुद्ध आभियान चलाया।
  • रासायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती अपनाने की मुहिम चलाई।
  • MSG के नाम से कई उत्पाद भी बनाने शुरु किए जिससे कई लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ।
  • आधुनिक पीढ़ी को संदेश देने के लिए फिल्में बनाईं तथा आधुनिक शैली में गायन भी किया।
  • नए प्रयोग जैसे कि फ़िल्में बनाना व आधुनिक शैली में गायन, कंसर्ट आदि अनुयायियों के अतिरिक्त आम जनता द्वारा आलोचना के शिकार बने।
  • राजनीति में इनका दखल रहा। अनुयायियों को किसी दलविशेष को वोट देने को प्रेरित करने की परंपरा हमेशा विवादों में रही। इनके दामाद भी विधायक रहे।
  • २००२ में साध्वियों के यौन शोषण के आरोप लगे।
  • २००२ में ही यौन शोषण की खबर छापने वाले स्थानीय पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के भी आरोप इनपर लगे।
  • डेरे में साधुओं की जबरन नसबंदी करने के भी आरोप लगे व केस दर्ज हुए।
  • एक समारोह में इनके वेष को सिख संगठनों द्वारा गुरु गोविंद सिंह की नकल माना गया जिससे उनकी भावनाएँ आहत हुई। लंबे विवाद के बाद डेरा प्रमुख ने माफी मांगी।
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