पर्यावरण असंतुलन के बावजूद भी अन्न उत्पादन में भारत अव्वलः शिवराज सिंह चौहान
स्वदेशी शोध संस्थान, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में दूसरे दिन विभिन्न तकनीकी व प्लेनरी सेशन आयोजित
श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, हरियाणा
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय एवं स्वदेशी शोध संस्थान, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में नई दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र में “विजन 2047ः समृद्ध और महान भारत” विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के प्लेनरी सत्र में बतौर मुख्यातिथि भारत के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बढते तापमान, पर्यावरण असंतुलन के बावजूद भी अन्न उत्पादन में भारत अव्वल हैं और दूसरों देशों को भी अन्न उपलब्ध करवा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गौरवशाली, शक्तिशाली भारत के निर्माण का अभियान चला हुआ है। आज भारत देश में अन्न के भंडार समृद्ध है।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने के लिए अच्छे बीज चाहिए। इसके लिए आईसीआर कार्य कर रहा है। वर्तमान समय में पानी बचाना जरूरी है तथा उत्पादन बढ़ाने के लिए कम पानी में ज्यादा सिंचाई, नई कृषि पद्धति की आवश्यकता है। उत्पादन की लागत घटाने के लिए उन्नत बीज की आवश्यकता है। उत्पादन के ठीक दाम मिले इसके लिए भारत सरकार द्वारा एमएसपी की व्यवस्था की गई है जिससे किसानों को समृद्ध बनाने के लिए कार्य किया जा रहा है। कीटनाशकों के उपयोग के कारण धरती का उपजाऊपन खत्म हो रहा है। मनुष्य बीमार हो रहा है, नदियां प्रदूषित हो रही है पशु पक्षी खत्म हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से प्राकृतिक कृषि की आवश्यकता है। इसके लिए 18 लाख 75 हजार लोगों को प्राकृतिक कृषि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसलिए धरती से केवल उतना लो जितनी उसकी भरपाई हो सके। हमारे लिए पेड़ पौधे, गाय पशु नहीं मातृ तुल्य, तुलसी, बरगद, नदियां हमारी पवित्र माताएं हैं। प्रकृति का संरक्षण करना होगा। भारत विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था जल्द बनने वाला है। भारत के निर्माण में सामर्थ्य व क्षमता के साथ काम करें ताकि विकसित भारत का संकल्प पूरा किया जा सके।
ज़ोहो कॉर्पोरेशन के सीईओ, श्री श्रीधर वेम्बू ने कहा कि हमें अपनी सभ्यता को पुनर्जीवित करने के लिए अपने ग्रामीण क्षेत्रों को पुनर्जीवित करना होगा। इसके अतिरिक्त इन सत्रों में श्री कृष्ण गोपाल, प्रो. भगवती प्रकाश, डॉ. राजीव, डॉ. आरके मित्तल ने भी आर्थिक विरासत से वैश्विक नेतृत्व तक भारत की 2047 तक की यात्रा विषय पर अपने विचार प्रकट करे। इस सत्र का संचालन डॉ. विकास ने किया।
चौथे प्लेनरी सेशन में भारत के विकास के लिए आगे का रास्ता विषय पर चर्चा की गई। पांचवें सत्र में वैश्विक व्यापार का भविष्य विषय पर मंथन किया गया। छठे तकनीकी सत्र में तकनीकी नेतृत्व के साथ भविष्य को आकार देना पर विद्वानों ने अपने विचार रखे। विभिन्न सत्रों में डॉ. धनपत राम, प्रो संजीव सान्याल, राजीव कुमार, प्रो. टंकेश्वर, प्रो. वीएन अत्री ने अपने विचार रखे।
इस अवसर पर राष्ट्रीय संयोजक, स्वदेशी जागरण मंच के आर सुंदरम, स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरी लाल, स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संगठक सतीश कुमार, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, सहित गणमान्य लोग मौजूद थे।
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