वाराणसी में नंगे पांव अंतर्गृही यात्रा में निकले श्रद्धालु

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श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी

वाराणसी / काशी की पहचान वहां के धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन से ही है। अगहन मास के कपकपाती ठंड के बीच हर हर महादेव संभु काशी विश्वनाथ गंगे के जयघोष के साथ सर पर समान लिए नंगे पांव महिला और पुरुष श्रद्धालु बड़े मनोयोग भाव पूर्वक काशी की परिक्रमा पर निकले हैं । इन्हीं की वजह से आज काशी की पहचान है। इन्हीं लोगों के धार्मिक परंपराओं के निर्वहन करने से आज काशी की पहचान बची हुई है। काशी की पुरानी परंपरा के अनुसार अगहन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को काशी के अंदर अंदर परिक्रमा यात्रा निकलती है जिसने अंतरगृही यात्रा कहते हैं।

अंतरगृही यात्रा में काशी के ग्रामीण क्षेत्रों की महिला पुरुष नंगे पांव काशी के काशी का अंदर अंदर परिक्रमा करते हैं। पंचांग के अनुसार आज ही पूर्णिमा लग जाने के कारण यह यात्रा आज ही शुरू हो गया । समाजसेवी रामयश मिश्र ने बताया कि अंतरगृही यात्रा मणिकर्णिका घाट से संकल्प लेकर शुरू होता है ।

मणिकर्णिका घाट से नाथद्वारा नाव द्वारा अस्सी घाट, अस्सी घाट से पैदल जगन्नाथ मंदिर, रामानुज कोट, संकट मोचन, साकेत नगर कॉलोनी, खोजवा, लहरतारा, मडुवाडीह, कैंटोनमेंट होते हुए वरुणा पुल होते हुए यात्रा मणिकर्णिका घाट संकल्प छुड़ाकर यात्रा का समापन होता है आज भोर मे 4 बजे से ही यात्रा शुरू हो गया ।

यात्रा में शामिल ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं पुरुष नंगे पोहे हर हर महादेव शंभू काशी विश्वनाथ गंगे का जयघोष करते हुए चल रहे थे भीषण ठंड में भी उनका यह उत्साह देखने लायक बन रहा था। रामयश मिश्र ने कहा की काशी की परंपरा को ऐसे ही लोग जीवित किए हुए हैं इन्हीं के वजह से आज कहां से की पहचान पूरे विश्व में है।

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