राम-जानकी विवाह प्रसंग सुन आनंदित हुए श्रद्धालु
श्रीनारद मीडिया, चमन श्रीवास्तव, सीवान (बिहार):
सीवान जिले के जीरादेई प्रखंड के शिवब्रह्म स्थान भैंसाखाल में चल रहे श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के सातवें दिन श्री श्री 1008 श्री श्यामसुंदर जी महाराज व यज्ञाचार्य श्रीलक्ष्मीनिधि मिश्र के सानिध्य में शुक्रवार को संध्या समय प्रवचन के दौरान कथावाचिका मधुश्री उपाध्याय ने श्रीराम-जानकी विवाह का वर्णन कर श्रद्धालु भक्तों को ज्ञान की बहती गंगा से रसास्वादन करवाया ।
उन्होंने कथा में बताया कि सीता स्वयंवर पर प्रत्यंचा चढ़ाना कोई सरल कार्य नहीं था। श्रीराम ने जनकपुर के स्वयंवर में अपनी ख्याति के अनुरूप अद्भ्य साहस व वीरता का परिचय दिया। जिस धनुष को बड़े-बड़े राजा महाराजा तक टस से मस तक नहीं कर सकें। उस धनुष को प्रभू श्रीराम ने खिलौना की भांति तोड़कर मां जानकी से विवाह किया।
ससुराल व मायके दोनों कुल को मर्यादित रखना पत्नी का धर्म
कथावाचिका पूजा उपाध्याय व निधि उपाध्याय ने बताया कि जनकपुर से जब मां जानकी की विदाई हुई तब उनके माता-पिता ने उन्हें ससुराल में कैसे रहना है इसकी सीख दी। प्रत्येक माता-पिता को अपनी पुत्री के विवाह के समय ऐसी ही सीख देनी चाहिए। कन्या को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिये, जिससे ससुराल व मायका दोनों कुल कलंकित हो। माता सीता ने पूरे जीवन अपने माता पिता की सीख का पालन किया ओर जीवन में कष्ट सहन करते हुए भी कोई अनुचित कार्य नहीं किया। इस दौरान पांडाल में मौजूद सभी लोगों ने प्रसंग को ध्यानपूर्वक सुना।
यज्ञ को सफल बनाने में इनकी भूमिका है सराहनीय –
अनुष्ठान को सफल बनाने में सपत्नीक यजमान संजय उपाध्याय, प्रवीण मिश्र, अमित सिंह, रामलीला के निर्देशक शिवम पाठक, अनिल सिंह, अवधेश सिंह, हरिनारायण चौबे, विपिन उपाध्याय, उपेन्द्र उपाध्याय, सच्चिदानंद उपाध्याय, देवेन्द्र उपाध्याय, बृजकिशोर मिश्र, सर्वेश्वर मिश्र, रवि तिवारी, विनय सिंह, संजीव सिंह, धर्मेन्द्र सिंह, प्रमोद सिंह, हरेराम उपाध्याय, मिंटू चौबे, राम मनोहर सिंह, कमलेश्वर सिंह, फूलदेव सिंह, ओंकारनाथ मिश्रा, सरपंच श्यामसुंदर ठाकुर, जयकिशोर ठाकुर, राजकिशोर ठाकुर, राकेश सिंह, चक्रवर्ती सुदामा यादव चकरा, वकील, सुदर्शन, नागेंद्र उपाध्याय, नारायण पटेल, विद्यालाल जैसे श्रद्धालु भक्तगणों की भूमिका अग्रणी है।
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