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संविधान के मूल्यों के प्रति श्रद्धा सीवान में बहाते रहेगी विकास की बयार ! - श्रीनारद मीडिया
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संविधान के मूल्यों के प्रति श्रद्धा सीवान में बहाते रहेगी विकास की बयार !

संविधान के मूल्यों के प्रति श्रद्धा सीवान में बहाते रहेगी विकास की बयार !

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संविधान दिवस आज, संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की धरती पर जरूरी है संविधानिक मूल्यों के प्रति श्रद्धा का संकल्प

संविधानिक मूल्यों के सम्मान से सीवान में बहेगी सुकून की सरिता और सुकून से विकास को मिलेगी भरपूर ऊर्जा

#siwan @50

✍️गणेश दत्त पाठक

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सीवान। आज संविधान दिवस है। संविधानिक मूल्यों के प्रति श्रद्धा का संकल्प लेने का दिन। सीवान के लिए गौरव की बात है कि संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद यहीं के वाशिंदे रहे हैं। सीवान अपने स्थापना के 50 वर्ष पूरे भी करने जा रहा है आगामी 3 दिसंबर को। राजेंद्र बाबू की जयंती भी है तीन दिसंबर को। ऐसे में बहुत जरूरी है कि हम संविधानिक मूल्यों के प्रति श्रद्धा और सम्मान का संकल्प लें। संविधानिक मूल्यों के प्रति श्रद्धा से सीवान में सुकून की अविरल सरिता प्रवाहित होगी और विकास की संभावनाओं को ऊर्जा मिलेगी।

भारतीय संविधान हमारी समेकित संस्कृति का सुंदर सारांश

देशरत्न डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर आदि के नेतृत्व में संविधान सभा ने संविधान के प्रस्तावना में संविधानिक मूल्यों को बेहद सरल शब्दों में संजोया है। हालांकि यह अलग बात है कि भारतीय संविधान के अनेक प्रावधानों को विभिन्न देशों से लिया गया बताया जाता है। लेकिन सत्य यह भी है कि भारतीय संविधान संपूर्ण रूप में हमारी विविधतापूर्ण समेकित संस्कृति का एक सुंदर सारांश ही है। भारतीय संविधान के मूल्य हमें सुकून से रहने, मानवीय गरिमा के सम्मान और प्रगतिशील विचार के अंगीकार करने की सीख देते रहे हैं। भारतीय संविधान के मूल्यों को पाश्चात्य संस्कृति नहीं भारतीय समेकित संस्कृति के संदर्भ में समझा जाए तो सुखद अनुभव होगा।

वाद, विवाद, संवाद, समाधान की हमारी परंपरा ऊर्जस्वित करती रही है

भारतीय संविधान के प्रस्तावना की शुरुआत ‘ हम भारत के लोग’ से होती है, जो हमारी सामूहिकता और समेकन के तथ्य को प्रतिबिंबित करती है, जो सर्वे भवन्तु सुखिन और वसुधैव कुटुंबकम् की अवधारणा की तरफ ही संकेत करती है। हम चाहे किसी भी पंथ के हो या किसी भी जाति के बस हम सभी एक हैं। हमारे अंदर देश की एकता और अखंडता के प्रति श्रद्धा और सम्मान होना चाहिए। वाद, विवाद, संवाद, समाधान की हमारी सदियों पुरानी परंपरा हमें ऊर्जस्वित करती रही है। सीवान के सभी लोग भी इस सामूहिकता के भाव को समझे ही नहीं, महसूस भी करें और अपने व्यवहार में अनुकरण भी करें तो विकास की मजबूत बुनियाद कायम होगी।

पंथनिरपेक्षता का संदर्भ निष्ठापूर्वक कर्तव्य के निर्वहन से

भारतीय संविधान के प्रस्तावना में उल्लिखित शब्द पंथ निरपेक्षता को बहुत आसान और बेहद सहज अंदाज में समझे जाने की जरूरत है। निश्चित तौर पर पंथ के आधार पर विभेद का निषेध पंथ निरपेक्षता का आधार तथ्य रहा है। पंथ निरपेक्षता का साधारण सा आशय अपने धर्म यानी कर्तव्य के निष्ठापूर्वक निर्वहन से भी लगाया जाना चाहिए। अपने कर्तव्य के निर्वहन के दौरान सामने आनेवाले हर व्यक्ति के पंथ का ध्यान नहीं रखते हुए बेहद निष्ठापूर्वक ही कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए। पंथनिरपेक्षता हमारे समेकित संस्कृति का आधार और विकास को भरपूर ऊर्जा देने वाला तथ्य है। पंथनिरपेक्षता के प्रति श्रद्धा सीवान में भी विकास को तीव्र गति प्रदान करेगी।

मतदान ही लोकतंत्र का हृदय

भारतीय संविधान के प्रस्तावना में लोकतंत्रात्मक व्यवस्था का उल्लेख किया गया है। जिसका सामान्य आशय जनता के लिए, जनता द्वारा, जनता के शासन से होता है। मतदान को इस लोकतंत्र का हृदय माना जाता है। सभी नागरिक मतदान करे और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग ले तो हमारा लोकतंत्र परिपक्व और मजबूत होगा। सीवान में भी लोगों के मतदान प्रक्रिया में शत् प्रतिशत भागीदारी योग्य जनप्रतिनिधियों के चयन का आधार बनेगी। योग्य जनप्रतिनिधि विकास को गति प्रदान करेंगे।

सम्पूर्ण न्याय ही सामूहिकता का आधार

भारतीय संविधान में न्याय की संकल्पना हमारे समेकित संस्कृति को ही महत्व प्रदान करती है। सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक न्याय सामूहिकता और सद्भाव की भावना को ही मजबूत करते हैं। सीवान में भी अगर न्याय के अवधारणा का शत् प्रतिशत पालन हो जाए तो सामूहिकता को बल मिलेगा। यही सामूहिकता विकास का आधार भी बनेगी।

मानवीय गरिमा का सम्मान सुकून की बड़ी गारंटी

भारतीय संविधान में व्यक्ति की गरिमा के रक्षण पर विशेष बल दिया गया है। यही मानवीय गरिमा के प्रति सम्मान मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्धन का आधार भी बनेगा। मानवाधिकारों के संरक्षण की बेहतर स्थिति समाज में शांति और सुकून की गारंटी होती है। इस बात की तस्दीक विश्व संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ सदैव करती रहती है। सीवान में भी प्रशासनिक, राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक स्तर पर मानवीय गरिमा के प्रति सम्मान का भाव जागृत हो पाए तो विकास की गंगा यहां बहती रहेगी।

भाईचारा ही रही है सीवान की पहचान

भारतीय संविधान की प्रस्तावना में बंधुता के तत्व भी समाहित हैं। देशरत्न डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद और गांधी जी के ‘ द जेंटलमैन बिहारी’ श्री बृजकिशोर प्रसाद की जन्मस्थली और मौलाना मजहरूल हक साहब की कर्मस्थली सीवान ने कई अवसरों पर बंधुता और आपसी सद्भाव के शानदार उदाहरण पेश किए हैं। यदि संविधानिक मर्यादा में रहते हुए अपने दायित्वों का निष्ठापूर्वक निर्वहन करते हुए सीवान के लोग आपसी भाईचारे को बढ़ाए तो सीवान में विकास की गति को बढ़ने से कोई नही रोक पायेगा?

आज संविधान दिवस पर हम सभी को संकल्प लेना चाहिए कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित मूल्यों के प्रति ताजिंदगी सम्मान और श्रद्धा का भाव रखेंगे। यहीं सम्मान का भाव हमारे समाज में सुकून लायेगा। यहीं सुकून विकास को निरंतर ऊर्जा प्रदान करता रहेगा जिससे हम सभी को लाभ होगा।

(विचार मंथन में सहयोग के लिए श्री पुष्पेंद्र पाठक का विशेष आभार)

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