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धर्म भारतीय संस्कृति का ब्रह्म शब्द है। - श्रीनारद मीडिया
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धर्म भारतीय संस्कृति का ब्रह्म शब्द है।

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

धर्म …का अर्थ बड़ा व्यापक है। मजहब, रिलीजन या पंथ किसी विशेष पूजा पद्धति को अपनाने वाले समुदाय के लिए प्रयोग किया जाता है। पंथ, रिलीजन या मजहब एक दूसरे विचार एवं पूजा पद्धति को श्रेष्ठ बताते हैं। इनकी एक हीं पुस्तक होती है, एक हीं पैगम्बर या गॉड होते हैं जिनका एक Dos and Don’ts होता है, एक set of Commandments होते हैं जिसका पालन करना इनके अनुयायियों के लिए..पूरी तरह से.. अनिवार्य होता है। इन नियमों को न मानने पर ईशनिंदा या ब्लेस्फेमी का अपराध लगता है जिसके लिए अत्यंत कठोर दंड भी दिया जाता है। कहीं कहीं तो मृत्युदंड का प्रावधान है।

लेकिन, धर्म शब्द का अर्थ बिल्कुल हीं अलग है। , परिवार,समाज,राष्ट्र एवं प्राणिमात्र के सर्वोत्तम विकास के लिए जो कुछ धारण किया जाए वहीं धर्म है। धर्म का दूसरा रूप कर्तव्य-बोध है। जैसे, किसान का धर्म है अपने खेत की देखभाल करते हुए अच्छी फसल उगाना, सैनिक का धर्म है सीमाओं की रक्षा करना, वैग्यानिक का धर्म है राष्ट्र-समाज हित में नए-नए अनुसंधान करना, छात्र का धर्म है पढ़ना, शिक्षक का धर्म है पढ़ाना ….और इसी तरह समाज के सभी वर्गों का धर्म अर्थात् कर्तव्य निर्धारित है।

अब ….सेना में हिंदू, सिख, ईसाई जो भी हो सबका एक हीं धर्म है ….भारतदेश की रक्षा करना। …और भारत सरकार का एक हीं धर्म है …राष्ट्र को सुरक्षित रखते हुए विकास के पथ पर अग्रसर रखना। संविधान की प्रस्तावना में सेक्यूलरिज्म का अर्थ पंथ निरपेक्ष है ….न कि धर्म निरपेक्ष।

अब ….भारतीय सैनिक यदि धर्म निरपेक्ष यानि अपने कर्म से निरपेक्ष यानि उदासीन हो जाए…तो भारत सुरक्षित कैसे रह पाएगा? इसी तरह हमारा भारतीय समाज सभी वर्गों के कर्तव्य को धर्म का स्थान देकर उन्हें कर्तव्यपरायण बनाने पर बल देता है। रामचरितमानस कर्तव्यबोध का महाकाव्य है। राम और कृष्ण कर्तव्यबोध के अग्रदूत हैं।

धर्म ….भारतीय संस्कृति का शब्द है। इसीलिए सनातन को हीं एकमात्र धर्म माना जाता है। सनातन धर्म …के देवताओं ने हमेशा विवेकपूर्ण कर्तव्य एवं तर्कपूर्ण विचार को बढ़ावा दिया। इसीलिए ….सनातन धर्म के देवता …अपने भक्तों के मित्र या सखा होते हैं। सनातन धर्म के देवता डर या भय से अपने भक्तों पर प्रभाव नहीं डालते।

वे अपने भक्तों से स्वाभाविक स्नेह रखते हैं। इसीलिए तो राम केवट से हार जाते हैं, श्रीकृष्ण से अधिक राधा का सम्मान है, महादेव अपने भक्तों के नाम से जाने जाते हैं।
कुल मिलाकर …धर्म विभिन्न विचारों को जोड़ता है। हां, धर्म शब्द से हीं अधर्मी किस्म के लोग डर जाते हैं…और डरना भी चाहिए। तभी तो धर्म की जय होगी और प्राणियों में सद्भावना होगी। तभी विश्व का कल्याण होगा।

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