दिनकर आज भी प्रासंगिक हैं : डॉ. प्रियंवद
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
दिनकर आज भी प्रासंगिक हैं । उन्होंने बिना किसी वाद के समाज में व्याप्त अन्याय का विरोध किया । ये बातें जेड. ए. इस्लामिया स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित दिनकर की प्रासंगिकता विषय पर आयोजित सेमिनार प्रो. अशोक प्रियंवद ने कही । उन्होंने कहा कि उन्होंने मार्क्सवादी धारा से प्रभावित प्रेरित हिंदी साहित्य को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ओर मोड़ा जिसका स्पष्ट चित्रण रश्मिरथी और कुरुक्षेत्र जैसी रचनाओं में देख सकते हैं ।
विषय प्रवर्तक आलेख प्रस्तुत करते हुए प्रो. जीतेन्द्र वर्मा ने कहा कि दिनकर की रचनाशीलता पर कार्ल मार्क्स का प्रभाव है । उन्होंने गद्य और पद्य दोनों में मानक साहित्य रचा । सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए हुए हिंदी की विभागाध्यक्ष प्रो. नाहिदा खातून ने कहा कि दिनकर ने भारतीय वाङ्मय के महान चरित्रों को आधुनिक जन मानस में स्थापित किया ।
सेमिनार में राजनीतिशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो. तारिक महमूद सहित बड़ी संख्या में छात्र – छात्राओं ने भाग लिया । सेमिनार में रूपा कुमारी , रिंकी कुमारी , नाजिया खातून , पूजा कुमारी , राहुल कुमार , सोहन कुमार , मंजू कुमारी , नुसरत जहाँ , किरण कुमारी , पवन कुमार आदि ने दिनकर साहित्य के विभिन्न पक्षों पर बातचीत की ।
जेड. ए. इस्लामिया स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सचिव जफ़र अहमद गनी ने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशानुसार हर विभाग में सेमिनार आयोजित किया जा रहा है ।
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