*वेबीनार में गंगा पर हुई चर्चा*

*वेबीनार में गंगा पर हुई चर्चा*

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

*श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी*

*वाराणसी* / विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर तुलसी घाट पर संकट मोचन फाउंडेशन के तत्वाधान मे एक वेबीनार का आयोजन किया गया जिसमें गंगा के वर्तमान परिवेश पर चर्चा की। वेबीनार को संबोधित करते हुए संकट मोचन फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोफ़ेसर विशंभर नाथ मिश्र ने कहा कि गंगा जी का वाणिज्यिक लाभ उठाने के उद्देश्य गंगा जी के साथ छेड़छाड़ किया जा रहा है इससे निकट भविष्य में गंभीर स्थिति उत्पन्न होगी ।उन्होंने कहा कि गंगा तट के ललिता घाट पर गंगा के अंदर एक लंबे प्लेटफार्म का निर्माण किया गया है जिसके कारण गंगा जी का प्रवाह बाधित हो रहा है इसके दुष्परिणाम भी दिख रहेच हैं ।ललिता घाट के अपस्ट्रीम में शेवल के पनपने के कारण पानी का रंग हरा हो गया है। गंगा जी में प्रचुर मात्रा में शैवाल का पाया जाना जल एवं गंगा के उपयोग करने वालों के स्वास्थ्य के लिए हितकर नहीं है ।इस प्लेटफार्म की वजह से घाटों की तरफ सिल्ट का जमाव बढ़ेगा एवं गंगा जी घाट से क्रमशः दूर हो जाएंगे।गंगा जी केपूर्वी तट पर एक नहर का निर्माण भी किया जा रहा है एवं कहा जा रहा है कि इस कारण से गंगा जी के पश्चिमी तट पर पढ़ने वाले जल दबाव में कमी आएगी एवं घाटों के नीचे हो रहे जल रिशाव में कमी आएगी, हालांकि इसका मुख्य उद्देश्य मालवाहक जल पोतो के आवागमन सुचारू रूप प्रदान करना है ।काशी में गंगा जी का अर्धचंद्राकार प्राकृतिक स्वरूप जो सदियों से बना हुआ है एवं काशी में गंगा जी की महत्ता को दर्शाता है आज उसे बचाने के नाम पर नष्ट करने का कार्य हो रहा है। आज जो भी हो रहा है वह प्रौद्योगिकी के विरुद्ध है इसके दुष्परिणाम अवश्य सामने आएंगे और इन कार्यों का अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रहेगा। वेबीनार में काशी कथा के डॉक्टर अवधेश दीक्षित ने बताया कि मनमाने ढंग से योजनाएं लागू की जा रही हैं पारदर्शिता का अभाव है कोई भी अधिकारी सही जवाब नहीं दे रहा है। गंगा के पूर्वी तट पर बनने वाली नहर हमारे व्यवहारिक जीवन में समस्याएं उत्पन्न करेंगे एवं नहर अस्थाई भी नहीं रहने वाली है । काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर जितेंद्र पांडे जी ने अपने विचार रखते हुए बताया कि सभी प्रकार के जीवों के ऊर्जा का स्रोत मांगा है। ठोस एवं द्रव एवं गैस तीनों ही अवस्था में पाए जाने वाला गंगाजल विष्णु तत्व है । गंगा से ही मानव संस्कृति एवं सभ्यता की उत्पत्ति हुई उन्होंने वैदिक सलोको के माध्यम से गंगा जल एवं जलवायु के बारे में प्रकाश डाला उन्होंने अंत में कहा कि गंगा के लचीलेपन को समाप्त कर दिया गया तो इकोसिस्टम को संभालना मुश्किल हो जाएगा। वेबीनार में समाजसेवी रामयश मिश्र, अशोक पांडे,नरेंद्र त्रिपाठी उपस्थित थे। वेबीनार का संचालन प्रोफ़ेसर एसएन उपाध्याय ने किया तथा धन्यवाद राजेश मिश्र ने किया। भवदीय

Leave a Reply

error: Content is protected !!