लक्ष्य प्रमाणीकरण के लिए ज़िला गुणवत्ता टीम ने बैसा पीएचसी का किया निरीक्षण

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पीएचसी में प्रसव से संबंधित सुविधाओं में काफी हद तक किया गया सुधार: सीएस
लक्ष्य प्रमाणीकरण के लिए जिला से लेकर स्थानीय पीएचसी स्तर पर बनाई गई रणनीति: डीपीएम

श्रीनारद मीडिया‚ पूर्णिया, (बिहार)


लक्ष्य प्रमाणीकरण के लिए ज़िला गुणवत्ता टीम द्वारा मंगलवार को सुदूर ग्रामीण क्षेत्र बैसा स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया गया। सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम द्वारा लक्ष्य प्रमाणीकरण के लिए अस्पताल में सुरक्षित प्रसव के लिए उपलब्ध संसाधनों का बारीकी से मुआयना किया गया। प्रसव गृह से संबंधित दस्तावेजों की गहनता पूर्वक जांच पड़ताल की गयी। साथ ही लक्ष्य प्रमाणीकरण से संबंधित प्रस्ताव को लेकर जरूरी तैयारियों पर विस्तृत रूप से चर्चा की गयी। निरीक्षण के दौरान सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा, डीपीएम ब्रजेश कुमार सिंह, जिला स्तरीय गुणवत्ता सलाहकार डॉ अनिल शर्मा, यूनीसेफ के प्रमंडलीय सलाहकार शिव शेखर आंनद, स्थानीय पीएचसी बैसा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रफ़ी जुबैर, बीएचएम आलोक कुमार वर्मा, बीसीएम राजेश रजक, प्रशिक्षित जीएनएम श्वेता भारती, शगुफ्ता, दीपशिखा सहित कई अन्य स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे।

पीएचसी में प्रसव से संबंधित सुविधाओं में काफी हद तक किया गया सुधार: सीएस
सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने लक्ष्य योजना के संबंध में बताया प्रसव कक्ष की गुणवत्ता में सुधार लाना जच्चा-बच्चा के बेहतर स्वास्थ्य के लिए अतिआवश्यक होता है। नवजात शिशुओं के जन्म के समय विकलांगता का सबसे अधिक खतरा होता है। इसके मद्देनजर स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा लक्ष्य कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। इसका मूल उद्देश्य प्रसव कक्ष, मैटरनिटी ऑपरेशन थियेटर व प्रसूता के लिए बनी विशेष देखभाल इकाई की गुणवत्ता में सुधार लाना होता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव से संबंधित या अन्य तरह की सुविधाओं में काफी हद तक स्थानीय स्तर पर सुधार किया गया है। एमओआईसी से कहा गया है कि अभी भी जितनी कमियां हैं उसे 3 दिनों के अंदर पूरा कर जिला स्तरीय टीम को सूचित करें। हालांकि इससे पहले भी रीजनल कोचिंग टीम के द्वारा निरीक्षण किया जा चुका है। जिसको लेकर स्थानीय स्तर से जुड़े स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा पहले की अपेक्षा बहुत कुछ सुधार किया गया है। जिसका नतीजा यह है कि फ़िलहाल गुणवत्तापूर्ण में लक्ष्य स्कोर 92 प्रतिशत के साथ राज्य मुख्यालय को लक्ष्य प्रमाणीकरण के लिए भेजा गया है।

लक्ष्य प्रमाणीकरण के लिए जिला से लेकर स्थानीय पीएचसी स्तर पर बनाई गई रणनीति: डीपीएम
जिला स्वास्थ्य समिति की ओर से डीपीएम ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया लक्ष्य प्रमाणीकरण से संबंधित प्रमाण पत्र मिलने के बाद स्थानीय स्तर पर मातृ-शिशु मृत्यु दर में काफ़ी कमी आयेगी। प्रसव के दौरान व इसके तत्काल बाद जच्चा-बच्चा को बेहतर देखभाल की सुविधा भी मुहैया हो जाएगी। लक्ष्य प्रमाणीकरण के लिए जिला से लेकर स्थानीय पीएचसी स्तर पर रणनीति बनाई जा रही है। जिसको लेकर कई तरह के आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं। मुख्य रूप से बुनियादी सुविधाओं का विकास, आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता, पर्याप्त मानव संसाधन की उपलब्धता, स्वास्थ्य देखभाल, कर्मियों के क्षमता संवर्द्धन व प्रसव कक्ष में उपलब्ध सुविधाओं के विकास को इसमें शामिल किया गया है। इसके साथ ही कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर जरूरी सुझाव व बचाव उपायों को सख्ती से लागू करने का भी दिशा-निर्देश जिला स्तरीय गुणवत्ता टीम द्वारा दिया गया है हैं। प्रसव कक्ष में कार्यरत कर्मियों को कोरोना संक्रमण के उपायों के प्रति जागरूक करते हुए लगातार प्रेरित किया जा रहा है।

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