क्या सुरंग हादसा से सबक सीखने की आवश्यकता है?

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श्रीनारद मीडिया सेन्ट्रल डेस्क

सिलक्यारा की घटना दो कारणों से अपने आप में ऐतिहासिक बन चुकी है. सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट, चारधाम का एक हिस्सा रही सिलक्यारा, में टनल भी एक प्रावधान था. उत्तरकाशी के बड़कोट क्षेत्र में बन रही यह टनल करीब चार किलोमीटर से अधिक लंबी थी. इस टनल के बनने से करीब 25-30 किलोमीटर का वह हिस्सा बच जाना था, जो जंगलों से लगा हुआ था. सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था,

लेकिन अचानक 12 तारीख की सुबह इस टनल में ढेर सारे मलबे के गिरने से वहां 41 मजदूर फंस गये. चूंकि इसका घेरा करीब 50 से 60 मीटर था, इसलिए मजदूरों के तत्काल निकलने की संभावनाएं असंभव सी हो गयीं. यह टनल चारधाम का एक हिस्सा तो थी ही, पर क्योंकि इसे पहाड़ के अंदर से निकलना था, तो इसका बनना भी अपने आप में एक बड़ी चुनौती थी. पर उससे भी बड़ी चुनौती तब सामने आ गयी जब इस टनल के अंदर एक बड़े खंड के आने से पूरा टनल ही अवरुद्ध हो गया.

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