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मत पूछ पता सरफिरे से किसी मंजिल की साहेब, जो अपना ही पता भूल गया है, कर्मों की इबादत के आगे - श्रीनारद मीडिया

मत पूछ पता सरफिरे से किसी मंजिल की साहेब, जो अपना ही पता भूल गया है, कर्मों की इबादत के आगे

मत पूछ पता सरफिरे से किसी मंजिल की साहेब, जो अपना ही पता भूल गया है, कर्मों की इबादत के आगे

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श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क :

मित्रों, मैं निष्काम कर्म में विश्वास रखता हूं और इसकी पूजा के आगे सारी दुनिया भूल जाता हूं। मगर मित्र तो मित्र होते है,मित्र कहां भूलते है? वे सदा हमारे हृदय को गुदगुदा कर अपने प्रेम से हमे ऊर्जावान बनाए रहते है। साल 2021 के मित्रता के इस पखवाड़े में मेरे एक और मित्र ने एक पाती भेजी है। वह पाती मैं आप सभी मित्रों के साथ साझा कर रहा हूं,पढ़ कर कृपा दृष्टि सदैव हम पर बनाए रखियेगा।मां नारायणी से प्रार्थना है कि मां आप और आपके परिवार की काया सदैव निरोगी रखते हुए आप सभी को प्रसन्नचित रखेंगी।

इति शुभम्
कुमार बिहारी पाण्डे
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आदरणीय बाबूजी,
सादर प्रणाम
आपके बारे में बहुत कुछ सुना और पढ़ा था एवं मुंबई में देखा भी है। आपका जीवन हरदम चुनौतियों से घिरा रहा है, और आप एक कुशल योद्धा बनकर उन्हें डटकर परास्त करते रहें है। आपके संघर्षों की कथा – व्यथा को वही जान सकता है, जो कभी आपकी जीवनी “अनुभवों का आकाश” पढ़ा होगा। मगर 2021 जुलाई के महीने में, जब मैं आपके जे. आर. कान्वेंट, सुनीता विद्या नगरी, दोन, सिवान के परिसर में भ्रमण कर रहा था; तो वहां विद्यार्थियों के पढ़ने और लिखने के लिए 5 एकड़ में फैले उत्तम से उत्तम साधन और वातावरण देखकर अचंभित हो गया था, कि इस सुदूर ग्रामीण इलाके में यह सब कैसे संभव हुआ होगा? जहां निर्माण कार्य के लिए कुशल कारीगर एवं इंजीनियर तक का अभाव होगा; वहां आधुनिक संसाधनों से युक्त लाइब्रेरी,भौतिकी,रसायन, जीवविज्ञान तथा कंप्यूटर लैब्स, बड़े-बड़े सभागार, नाट्यशाला, खेलने के लिए खेल मैदान,आरामदेह क्लासेज के साथ जौन इलियट प्राइवेट आई. टी. आई उपलब्ध हैं; जो बड़े – बड़े शहरों में भी सी. बी. एस. ई. स्कूल परिसर में एक साथ नही उपलब्ध होगा। जहां मैकेनिकल, डीजल इंजन, इलेक्ट्रिकल तथा कंप्यूटर साइंस पढ़ाई जाती हो। यह इस सुदूर क्षेत्र के विद्यार्थीयों के सर्वांगीण विकास के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है। इसके लिए आपको कोटिशः धन्यवाद।
आपका यह कथ्य मुझे अच्छा लगा कि कर करके सीखने से हुनर दिमाग में उतरकर मील का पत्थर बन जाती है।मेरा मानना है कि जो इस बात को मानकर चलता है, उसके संरक्षण में पढ़ने वाले विद्यार्थियों मे पढ़ने की जिज्ञासा जागृत होना निश्चित है। तभी तो इस कोरोना काल में भी जे. आर. कॉन्वेंट के परीक्षा परिणामों ने सबको अचंभित किया है। मैं यहां के प्रधानाध्यापक, शिक्षक तथा अन्य कर्मचारियों को भी इसके लिए धन्यवाद देते हुए उनसे निवेदन करता हूं कि वे भी कर्मयोगी श्री कुमार बिहारी पांडे जी से शिक्षा लेकर बच्चों को निष्काम कर्म योग की तरफ लेकर चले।आज संसार को इसकी परम आवश्यकता है, और हमे लग रहा है कि इस दिशा में आपकी कोशिश एक दिन रंग लायेगी। इस पर मुझे आपकी कविता की एक लाइन याद आ रही है –


“चुपचाप कभी बैठो ही नही, संकल्पों में उन्माद भरो,
मुट्ठी में बांधो काल चक्र, संघर्षों से खिलवाड़ करो,लायेगी मेहनत रंग तेरी, बरसेगा पसीना बन सोना”
यह लाइनें अदभुत है। बाबूजी,आप धन्य है, जे. आर. कॉन्वेंट के विज्ञान प्रदर्शनी में छोटे – छोटे विद्यार्थियों द्वारा बनाए मॉडलों ने हमे अचंभित कर दिया था। जिसमे स्वचालित कंप्यूटर राइटिंग मशीन के मॉडल को देखकर मैं वास्तव में हैरान और परेशान रह गया, कि ऐसे दूरस्थ क्षेत्र में शिक्षक या छात्र ऐसी परियोजना के बारे में कैसे सोच सकते हैं? हम उन लोगों को सलाम करते हैं जो इस तरह के प्रोजेक्ट से जुड़े हैं।बाबूजी, आपसे निवेदन हैं कि ऐसे ही अचंभित करने वाले और भी नए – नए मॉडलों से बच्चों का साक्षात कराते रहे, ये उनके लिए बड़ा ही लाभप्रद होगा।आपका यह स्कूल मुझे जिंदगी भर याद आता रहेगा। मेरा निवेदन है कि कभी आप भी कृपा कर यू. एस. ए. पधारें और हमारे बच्चों के भी सर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दे, हमें अच्छा लगेगा।
स्कूल की कुछ फोटो हमारे पास है, जो आपके पास भेज रहा हूं। जरूर देखिएगा।

आपका दर्शनाभिलाषी,
Dr Rajendra R Dubey
11101 Grey Oaks Estates Court
Glen Allen, VA 23059
USA

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