क्‍या आप जानते हैं धान की उन्नत किस्में और पैदावार

क्‍या आप जानते हैं धान की उन्नत किस्में और पैदावार

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

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धान यानी चावल की खेती पूरी दुनिया में मक्के के बाद दूसरे नम्बर पर की जाती है. लेकिन धान दुनिया की प्रमुख खाद्य फसल है. भारत, चीन के बाद इसका दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. चावल का इस्तेमाल खाने में कई तरह से किया जाता है. जिसमें इसके दानो को उबालकर और आटा तैयार कर सबसे ज्यादा किया जाता है. धान की खेती अलग अलग मौसम के आधार पर सम्पूर्ण भारत में लगभग पूरे साल भर की जाती है. लेकिन मुख्य रूप से इसे खरीफ के मौसम में ही उगाया जाता है. धान की खेती अगर अच्छे तरीके और उन्नत किस्मों की रोपाई के साथ की जाए तो ये किसानों के लिए बहुत लाभदायक मानी जाती है.

आज हम आपको धान की कुछ प्रमुख किस्मों के बारें में बताने वाले हैं, जिन्हें उगाकर किसान भाई अच्छा लाभ कमा सकते हैं.

6444 गोल्ड

धान की ये एक बहुत ही उन्नत किस्म है. जिसको मध्य समय में अधिक उत्पादन देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 130 से 135 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 60 से 90 क्विंटल तक पाया जाता है. इस किस्म के पौधे विपरीत परिस्थिति में भी खड़े रहते हैं. इस किस्म के पौधों सूखे के प्रति सहनशील होते हैं. धान की इस किस्म को उत्तर भारत में अधिक उगाया जा रहा है. इसका दाना लम्बा और मोटा पाया जाता है.

पूसा – 1460

धान की इस किस्म को कम समय में अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 120 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 50 से 55 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधे बौने आकार के पाए जाते हैं. जिन पर बनने वाले दाने आकार में छोटे और पतले दिखाई देते हैं. इस किस्म के पौधों पर कई तरह के जीवाणु जनित रोगों का प्रभाव कम देखने को मिलता है.

गोबिंद

धान की इस किस्म को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 115 से 120 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 55 से 60 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधे आकार में छोटे पाए जाते हैं. इसके दाने पतले और लम्बे दिखाई देते हैं.

सी आर धान 310

धान की इस किस्म को राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक द्वारा तैयार किया गया है. इस किस्म के दानो में प्रोटीन की मात्रा सबसे ज्यादा पाई जाती है. इस किस्म को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उड़ीसा में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इसके पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. जो पौधे रोपाई के लगभग 120 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 45 क्विंटल के आसपास पाया जाता है.

एच के आर 48

धान की ये एक छोटा कद और ना गिरने वाले पौधों की किस्म है. जिसके पौधे रोपाई के लगभग 115 से 120 दिन के बीच कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 60 से 65 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधों पर जीवाणु बीज अंगमारी का प्रभाव देखने को नही मिलता.

डी आर आर धान 45

धान की इस किस्म को भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद द्वारा मध्य समय में अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. धान की इस किस्म को दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा उगाया जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 125 से 130 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 50 क्विंटल तक पाया जाता है. लेकिन फसल की देखभाल कर उत्पादन की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है.

नरेन्द्र 118

धान की ये एक बहुत ही जल्दी तैयार होने वाली किस्म है. इस किस्म के पौधे रोपाई के 85 से 90 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 45 से 50 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधे सूखे के प्रति सहनशील होते हैं. इसके दानो का आकार लम्बा और पतला होता है. जिनका रंग सफ़ेद दिखाई देता है.

जया

धान की इस किस्म के पौधे देरी से पैदावार देने के लिए जाने जाते हैं. इस किस्म के पौधे छोटे आकार के होते हैं, जिनका तना मजबूत होता है. इस कारण फसल पकने पर पौधे के गिरने का डर नही होता. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 140 से 145 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 60 से 75 क्विंटल के बीच पाया जाता है.

जलमग्न

धान की इस किस्म को गहरे जलभराव वाली भूमि में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग पांच से छह महीने बाद कटाई के लिए तैयार होते है. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 35 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इसके दाने छोटे, मोटे और सफ़ेद रंग के पाए जाते हैं.

नरेन्द्र 80

धान की इस किस्म को सिंचित और उसरीली भूमि में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 50 से 60 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 110 से 115 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके दाने लम्बे, पतले और सफ़ेद रंग के पाए जाते हैं. इसके पौधों पर झोंका रोग का प्रभाव देखने को नही मिलता.

दन्तेश्वरी

धान की इस किस्म को कम वर्षा वाली जगहों पर देरी से बुवाई के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधों का आकार छोटा दिखाई देता है. इसके पौधे रोपाई के लगभग 90 से 95 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 40 से 50 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधे पर कई तरह के कीट और जीवाणु जनित रोगों का प्रभाव काफी कम देखने को मिलता है. इसके दाने मध्यम आकार के पाए जाते हैं.

आई आर 64

धान की इस किस्म को सामान्य समय में अधिक उत्पादन देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 115 से 120 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जो आकार में छोटे दिखाई देता हैं. इसके पौधों पर बालिया लम्बी पाई जाती है. इसके दाने आकार में लम्बे और पतले दिखाई देते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 50 से 55 क्विंटल के बीच पाया जाता है.

नरेन्द्र 97

धान की इस किस्म को असिंचित भूमि में अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे सामान्य ऊंचाई के होते हैं. जो बीज रोपाई के लगभग 85 से 90 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके दाने पतले लम्बे और सफ़ेद रंग के पाए जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 40 से 45 क्विंटल के बीच पाया जाता है.

हरियाणा संकर धान 1

धान की इस किस्म को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा मध्य समय में अधिक उत्पादन देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 130 से 135 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके दाने पतले और लम्बे दिखाई देते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 60 से 90 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधे चौड़ी पत्ती और छोटे आकार के पाए जाते हैं. जिन पर तना गलन और सफेद पीठ वाले तेले रोग का प्रभाव देखने को नही मिलता.

मनहर

धान की इस किस्म को कम समय में अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. जिन पर बालियों की लम्बाई अधिक पाई जाती है. इसके दानो का आकार महीन और लम्बा दिखाई देता है. जिनका रंग सफेद पाया जाता है. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 45 से 50 क्विंटल के बीच पाया जाता है.

नरेन्द्र लालमती

धान की इस किस्म को असिंचित भूमि में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 100 से 110 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 35 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के दाने पतले और छोटे दिखाई देते हैं. जिनका रंग हल्का लाल दिखाई देता है. इसके पौधों पर कई तरह के जीवाणु जनित रोगों का प्रभाव कम देखने को मिलता है.

सीता

धान की इस किस्म को मध्यम देरी से पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. जो पौध रोपाई के लगभग 130 से 135 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 45 से 50 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इसका दाना मध्यम आकार और सफ़ेद रंग का दिखाई देता है.

मधुकर

धान की इस किस्म को सामयिक बाढ़ वाली जगहों पर उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के 140 से 150 के बीच कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके दाने छोटे और मोटे आकर के दिखाई देते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 30 से 35 क्विंटल के बीच पाया जाता है.

सहभागी

धान की ये एक बहुत ही जल्दी पकाने वाली किस्म है. इस किस्म के पौधों को ढलान वाली और असिंचित भूमि में देरी से रोपाई के लिए तैयार किया गया है. इसके पौधे रोपाई के लगभग 90 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 30 से 40 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधों का आकर छोटा दिखाई देता है. जिन पर बनने वाले दाने सामान्य लम्बाई के और पतले दिखाई देते हैं.

आई. आर. 36

धान की इस किस्म को कम समय में अधिक उत्पादन देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 110 से 115 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके पौधे आकार में छोटे दिखाई देता हैं. जिन पर बालिया लम्बी पाई जाती है. इसके दाने आकार में लम्बे और पतले दिखाई देते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 50 क्विंटल के आसपास पाई जाती है.

पूसा बासमती 1509

धान की इस किस्म को मध्य समय में अधिक उत्पादन देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 120 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 60 से 75 क्विंटल तक पाया जाता है. इस किस्म के पौधों पर बालियों की लम्बाई अधिक पाई जाती हैं. इसके दाने आकार में बड़े और मोटे दिखाई देते हैं.

पी आर 106

धान की इस किस्म के पौधे मध्य अवधि में देरी से पैदावार देने के लिए जाने जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 55 से 60 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 140 से 145 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधे छोटे आकार के पाए जाते हैं. जिन पर बालियों की लम्बाई अधिक और दानो की संख्या ज्यादा पाई जाती हैं. इसके पौधों पर कीट रोगों का प्रभाव काफी कम देखने को मिलता है.

बारानी दीप

धान की इस किस्म को कम समय में अधिक उत्पादन देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 90 से 100 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 40 से 45 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधों की लम्बाई सामान्य पाई जाती हैं. इसके पौधे पर बनने वाले दाने पतले, लम्बे और सफेद दिखाई देते हैं. इसके पौधों पर कई तरह के जीवाणु जनित रोगों का प्रभाव काफी कम देखने को मिलता है.

पन्त धान 12

धान की इस किस्म को अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 115 से 120 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 50 से 60 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इसके दाने आकार में लम्बे और पतले दिखाई देते है. जिनका रंग सफ़ेद दिखाई देता है. इस किस्म के पौधों पर जीवाणु झुलसा‚ भूरा धब्बा और भूरा फुदके का रोग काफी कम देखने को मिलते हैं.

मालवीय धान 917

धान की ये एक सुगंधित किस्म है. जिसके पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. इस किस्म के पौधों में बैक्टीरियल लीफ लाईट रोग का प्रभाव देखने को नही मिलता. इस किस्म के पौधे देरी से पैदावार देने के लिए जाने जाते हैं. जो बीज रोपाई के लगभग 130 से 140 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके दानो का आकार छोटा और हल्का मोटा दिखाई देता है. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 50 से 55 क्विंटल के बीच पाया जाता है.

शुष्क सम्राट

धान की इस किस्म को शुष्क और हल्के पहाड़ी क्षेत्रों में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 1105 से 110 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके दाने आकार में पतले और लम्बे दिखाई देते हैं. जिनका रंग सफ़ेद पाया जाता है. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 40 से 45 क्विंटल के बीच पाया जाता है.

पूसा 1121

धान की इस किस्म के पौधे आकार में लम्बे पाए जाते हैं. इसके पौधे पर बालियां लम्बी और घने दाने वाली होती है. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 40 से 50 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 120 से 130 के अंतराल में कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके दाने आकार में लम्बे और सफ़ेद दिखाई देते हैं.

ऊसर धान 1

धान की इस किस्म को उसरीली भूमि में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 140 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके दानो का आकार छोटा, मोटा और रंग सफेद दिखाई देता है. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 45 से 50 क्विंटल के बीच पाया जाता है.

डब्लू जी एल 32100

धान की इस किस्म के पौधे आकार में छोटे दिखाई देते हैं. जिन पर कई तरह के रोगों का प्रभाव कम देखने को मिलता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 125 से 130 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 50 से 60 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इसके दानो का आकार छोटा और पतला दिखाई देता है.

नरेन्द्र 359

धान की इस किस्म को उत्तर प्रदेश के आसपास अधिक उगाया जाता है. इस किस्म के पौधों पर झुलसा रोग का प्रभाव कम देखने को मिलता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 130 से 135 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 60 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के पौधों में बनने वाले सभी कल्लों में बालियां निकलती हैं. जिनका दाना लम्बा, मोटा और सफ़ेद रंग का पाया जाता है.

सूरज 52

धान की इस किस्म के पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. जिन पर झुलसा रोग का प्रभाव दिखाई नही देता. इसके पौधे रोपाई के लगभग 130 से 135 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 50 से 60 क्विंटल के बीच पाई जाती है. इसके दाने लम्बे और मध्यम आकार के दिखाई देते हैं.

पन्त धान 10

धान की इस किस्म को देरी से रोपाई के दौरान अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किये गए हैं. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 125 से 130 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 55 से 60 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इसके दाने आकार में पतले, लम्बे और कम सफेद दिखाई देते हैं.

एम टी यू 1010

धान की इस किस्म को समय पर रोपाई के दौरान अधिक उत्पादन देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 110 से 115 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 50 से 55 क्विंटल तक पाया जाता है. इस किस्म के पौधे आकार में छोटे दिखाई देते हैं. जिन पर बनने वाली बालियाँ लम्बी और घने दानो वाली होती हैं. जिनमें पाए जाने वाले दाने आकार में पतले और सामान्य लम्बाई के दिखाई देते हैं.

महसूरी

धान की इस किस्म के पौधे जलभराव वाली और सिंचित भूमि में लगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 140 से 150 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 30 से 40 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इसके दाने सामान्य आकर के हल्के सफेद दिखाई देते हैं.

एच के आर 47

धान की इस किस्म को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 130 से 135 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 60 से 70 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधे मजबूत को छोटे आकार के होते हैं. इसके पौधों पर कांगियारी रोग का प्रभाव देखने को नही मिलता. इसके दाने आकार में लम्बे, पतले पाए जाते हैं. जिनका रंग सुनहरी पीला दिखाई देता है.

पूसा 1612

धान की इस किस्म को कम पानी वाली भूमि में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 125 से 130 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 50 से 55 क्विंटल तक पाया जाता है.

जल प्रिया

धान की इस किस्म के पौधे कम गहरे जल भराव वाली भूमि में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के 150 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका दाना लम्बा, मोटा और सफेद दिखाई देता है.  जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 30 से 35 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधों पर कई तरह के कीट रोग देखने को नही मिलते.

ये कुछ वो किस्में हैं, जिन्हें लगभग पूरे भारत में अधिक उत्पादन लेने के लिए उगाया जाता है. लेकिन इनके अलावा और भी बहुत सारी किस्में हैं जिन्हें अलग अलग जगहों पर क्षेत्रीय हिसाब से और मौसम के आधार पर किसान भाई उगाते हैं.

 

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