डॉक्टर निभा रहे महत्वपूर्ण भूमिका.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस पर विशेष.
आज यानी 1 जुलाई 2021 को देशभर में राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाया जा रहा है। जुलाई को प्रत्येक साल राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस के रूप में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा मनाया जाता है। बता दें कि राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ बिधान चंद्र रॉय की जयंती और पुण्यतिथि के अवसर पर मनाया जाता है। कोरोना काल में यह विशेष दिन सभी डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को समर्पित है, जो अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की सेवा कर रहे हैं। देश में नेशनल डॉक्टर्स डे 1 जुलाई को मनाया जाता है वहीं डॉक्टर्स डे दुनिया भर में अलग-अलग तारीखों में मनाया जाता है। तो चलिए जानते हैं इस दिन का महत्व और इतिहास।
राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस का इतिहास
दरअसल, राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस पहली बार वर्ष 1991 में बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ बीसी रॉय के सम्मान में मानवता की सेवा में उनके योगदान को मान्यता देने के लिए मनाया गया था। डॉ.रॉय एक महान डॉक्टर थे, जिन्होंने मेडिकल क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया। उनका जन्म 1 जुलाई, 1882 को हुआ था और इसी तारीख को 1962 में उनकी मृत्यु हो गई थी। इतना ही नहीं डॉक्टर बी. सी रॉय को वर्ष 1961 को भारत रत्न के सम्मानित किया गया था। डॉक्टर बी सी रॉय को 4 फरवरी, 1961 को भारत रत्न के सम्मान से भी सम्मानित किया गया था।
डॉक्टर बी. सी रॉय की जादवपुर टीबी जैसे चिकित्सा संस्थानों में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अस्पताल, चित्तरंजन सेवा सदन, कमला नेहरू मेमोरियल अस्पताल, विक्टोरिया इंस्टीट्यूशन (कॉलेज), चित्तरंजन कैंसर अस्पताल और महिलाओं और बच्चों के लिए चित्तरंजन सेवा सदन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्हें भारत के उपमहाद्वीप में
पहला चिकित्सा सलाहकार भी कहा जाता था, जो ब्रिटिश मेडिकल जर्नल द्वारा कई क्षेत्रों में आगे बढ़े।
जानें क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस
राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस जीवन की सेवा में डॉक्टरों की भूमिका और जिम्मेदारियों के प्रति ध्यान देने के लिए मनाया जाता है। यह दिन उनके कार्यों और दायित्वों को पहचानने के लिए माना जाता है। कोरोना के प्रकोप के बीच हमारे डॉक्टर सप्ताह के सात दिन 24 घंटे काम कर रहे हैं और अपनी जान जोखिम में डालकर मरीजों की जान बचाने का काम कर रहे हैं। अपनी जान की परवाह किए बिना डॉक्टरों ने जिस भावना और समर्पण से काम किया आज उन्हें सलाम करने का समय है।
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