क्या गहलोत का कहना हैं कि केंद्र ने न्याय पर अपना दबाव बनाया हुआ है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

राजस्थान के मुख्यमंत्री ने बुधवार को व्यवस्था पर करारी चोट की। इतना खुलकर कभी कोई मुख्यमंत्री व्यवस्था पर नहीं बरसा। गहलोत ने इन्कम टैक्स, ईडी, सीबीआई ही नहीं न्याय व्यवस्था पर भी करारा प्रहार किया। वे कहते हैं आज ईडी, सीबीआई और इन्कम टैक्स वाले बिना कुछ पता किए, बिना कोई हिसाब- किताब किए, किसी के भी घर में घुस जाते हैं।

हम भी केंद्र में मंत्री रहे हैं। हमने केंद्रीय एजेंसियों का इस तरह दुरुपयोग कभी नहीं किया। फिर आई न्याय व्यवस्था की बारी। गहलोत ने कहा ज्यूडिशियरी में सबसे ज़्यादा भ्रष्टाचार है। गहलोत ने कहा- मैंने सुना है कि कभी – कभी तो वकील लोग जो लिखकर ले जाते हैं, फ़ैसला वैसा का वैसा आ जाता है। ये कैसी व्यवस्था है? ये किस देश का न्याय है?

कुल मिलाकर, गहलोत ऐसा कहकर केंद्र सरकार पर चोट करना चाह रहे हैं। जबकि सच ये है कि केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग हर राजनीतिक दल ने किया है। ये बात और है कि किसी सरकार में कम दुरुपयोग हुआ, किसी में ज़्यादा। सही है अब तो सत्ता दल के सांसद तक, दूसरे दल के नेताओं से कहने लगे हैं कि ज़्यादा मत बोलो, वर्ना ईडी की कार्रवाई तेज हो जाएगी।

जहां तक न्यायिक व्यवस्था का सवाल है, खुलकर बहुत कुछ तो नहीं कहा जा सकता लेकिन एक मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत कुछ कह रहे हैं तो कहीं न कहीं ऐसा कुछ उन्होंने देखा या सुना तो होगा ही।अब सवाल यह उठता है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री को व्यवस्था की ये सब कमज़ोरियाँ अपनी सरकार के कार्यकाल के आख़िरी वक्त ही क्यों दिखाई दे रही हैं? क्या इसके पहले साढ़े चार साल तक सब कुछ ठीक था और सारे विभागों में तमाम गड़बड़ियाँ अभी, अचानक ही आ गई हैं?

दरअसल पिछले दिनों एक भाजपा विधायक कैलाश मेघवाल ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इस बारे में जब गहलोत से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अर्जुन राम पर लगाए गए आरोप सही हैं। उनके वक्त में भारी भ्रष्टाचार हुआ था। मामला कोर्ट में है और इन्होंने हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है। संभवतया इसी संदर्भ में गहलोत ने ज्यूडिशियरी पर भी आरोप लगाए होंगे। कुल मिलाकर गहलोत यह कहना चाहते हैं कि मौजूदा केंद्र सरकार ने ज्यूडिशियरी पर भी अपना दबाव बनाया हुआ है।

 

 

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