क्या इस सरकार का कोई धर्म है-ओवैसी
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को लोकसभा में भावुक भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर स्थल पर बाबरी मस्जिद हमेशा मौजूद रहेगी। ओवैसी ने अपना संबोधन ‘बाबरी मस्जिद जिंदाबाद’ के नारे के साथ समाप्त किया। दरअसल, संसद में बजट सेशन का आज आखिरी दिन था। सदन में शनिवार को राम मंदिर निर्माण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हुई। इस पर अपनी बात रखते हुए ओवैसी ने लोकसभा में 2 बार बाबरी मस्जिद जिंदाबाद के नारे लगाए। उन्होंने सवाल पूछा कि मोदी सरकार सिर्फ एक मजहब की सरकार है? या पूरे देश के धर्मों को मानने वाली सरकार है?
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘मेरा यह मानना है कि मस्जिद अभी मौजूद है और उसी स्थान पर रहेगी जहां वह कभी हुआ करती थी। बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी। बाबरी मस्जिद जिंदाबाद, भारत जिंदाबाद, जय हिंद।’ उन्होंने अपने भाषण का वीडियो क्लिप एक्स अकाउंट पर भी पोस्ट किया है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने यह धारणा पैदा कि एक धर्म ने दूसरे पर विजय हासिल कर ली है। उन्होंने कहा, ‘मैं यह पूछना चाहता हूं कि क्या मोदी सरकार किसी विशेष समुदाय या धर्म की सरकार है? या फिर यह पूरे देश की सरकार है? क्या भारत सरकार का भी कोई धर्म है?’
ओवैसी ने पूछा- क्या इस सरकार का कोई धर्म है?
एआईएमआईएम चीफ ने कहा, ‘मेरा यह मानना रहा है कि इस देश का कोई धर्म नहीं है। क्या इस सरकार का कोई धर्म है? क्या 22 जनवरी के आयोजन से आप यह संदेश देना चाहते हैं कि एक धर्म ने दूसरे पर विजय पाई है?’ उन्होंने कहा कि वह भगवान राम का सम्मान करते हैं,
मगर नाथूराम गोडसे से नफरत है जिसने महात्मा गांधी की हत्या की थी। ओवैसी ने कहा, ‘देश में 17 करोड़ मुसलमान हैं और आप उन्हें क्या संदेश दे रहे हैं? क्या मैं बाबर, जिन्ना या औरंगजेब का प्रवक्ता हूं? मैं नाथूराम गोडसे से इसलिए नफरत करता हूं क्योंकि उसने उस व्यक्ति की हत्या की जिसके आखिरी शब्द ‘हे राम’ थे।’ उन्होंने कहा कि 6 दिसंबर को जो कुछ भी हुआ उसका मोदी सरकार ने जश्न मनाया। आप जानते हैं कि 6 दिसंबर, 1992 को दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया था।
ज्ञानवापी मस्जिद मामला कोर्ट में है। इसी बीच AIMIM यानी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने साफ कर दिया है कि मुस्लिम पक्ष अब कोई भी मस्जिद नहीं देगा। साथ ही उन्होंने बाबरी मस्जिद विध्वंस का जिक्र कर कहा है कि ‘हम देखेंगे कि क्या होता है।’ हाल ही में वाराणसी के एक कोर्ट ने व्यासजी के तहखाने में पूजा के अधिकार के आदेश जारी किए थे।
इंडिया टुडे से बातचीत में ओवैसी ने कहा, ‘हम कोई भी मस्जिद नहीं देंगे, बहुत हुआ। हम अदालत में लड़ाई लड़ेंगे। अगर दूसरा पक्ष 6 दिसंबर जैसा काम दोबारा करना चाहता है, तो हम देखेंगे कि क्या होता है। हम एक बार धोखा खा चुके हैं। हम दोबारा धोखा नहीं खाएंगे।’ 6 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहा दी गई थी।
समझौते की संभावनाओं पर उन्होंने कहा, ‘मैं साफतौर पर कहा रहा हूं कि यह ऐसे खत्म नहीं होगा। हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे और अदालतों को दिखाएंगे कि हमारे पास क्या दस्तावेज हैं।’ उन्होंने कहा, ‘ज्ञानवापी में हम नमाज पढ़ रहे हैं। बाबरी मस्जिद मामले में तर्क दिया गया था कि आप (मुसलमान) वहां नमाज अदा नहीं करते हैं। यहां हम लगातार नमाज पढ़ रहे हैं। यहां तक कि साल 1993 तक यहां कोई पूजा नहीं हुई थी।’
मस्जिद के नीचे हिंदू धर्म से जुड़ी चीजें मिलने को लेकर उन्होंने कहा, ‘कल अगर हम राष्ट्रपति भवन खोदने लगेंगे तो हमें कुछ न कुछ मिलेगा। हम उस जगह पर सैकड़ों सालों से नमाज पढ़ रहे हैं।’ इस दौरान उन्होंने कहा कि देश के मुसलमानों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में भरोसा नहीं है।
तहखानों का एएसआई से सर्वेक्षण कराने की याचिका दायर
पीटीआई भाषा के अनुसार, वाराणसी जिला न्यायाधीश की अदालत में एक महिला ने सोमवार को याचिका दाखिल कर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में बंद अन्य सभी तहखानों का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वेक्षण कराने की मांग की है। जिला अदालत ने अर्जी पर सुनवाई के लिए छह फरवरी की तारीख तय की है। विश्व वैदिक सनातन संघ की संस्थापक सदस्य और मां श्रृंगार गौरी मामले में एक पक्षकार राखी सिंह ने यह याचिका दाखिल की है, जिनकी पहले की एक याचिका पर एएसआई सर्वेक्षण हुआ था।
मैं बाबर और औरंगजेब का प्रवक्ता हूं? भगवान राम की करता हूं इज्जत
राम मंदिर निर्माण पर लोकसभा में चर्चा के दौरान एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने पूछा कि क्या मोदी सरकार एक मजहब की सरकार है? ओवैसी ने सवाल किया कि क्या वे बाबर, औरंगजेब या जिन्ना के प्रवक्ता हैं? उन्होंने कहा कि वह भगवान राम की इज्जत करते हैं, लेकिन उन्हें महात्मा गांधी को गोली मारने वाले नाथूराम गोडसे से नफरत है।
अयोध्या में बने राम मंदिर को लेकर संसद में शनिवार को चर्चा हुई। इसमें विभिन्न दलों के सांसदों ने हिस्सा लिया। ओवैसी ने संसद में पूछा, ”क्या मोदी सरकार क्या एक समुदाय या मजहब की सरकार है या फिर पूरे देश की सरकार है? क्या मोदी सरकार हिंदुत्व की सरकार है? मेरा मानना है कि देश का कोई मजहब नहीं है। क्या यह सरकार 22 जनवरी का पैगाम देकर यह बताना चाहती है कि एक मजहब को दूसरे मजहब पर कामयाबी मिली? 49, 86, 92, 2019 और फिर 2022 में धोखा दिया गया। हम पर इल्जाम लगा दिया गया है। क्या मैं बाबर का प्रवक्ता हूं या जिन्ना या फिर औरंगजेब का प्रवक्ता हूं?
एआईएमआईएम सांसद ओवैसी ने आगे कहा कि छह दिसंबर के बाद देश में दंगे हुए, जिसके बाद नौजवानों को जेल में टाडा में डाला गया जो कि बूढ़े होकर निकले। भले ही आपकी सरकार तब नहीं थी। ओवैसी ने आगे कहा कि मैं भगवान राम की इज्जत करता हूं, लेकिन नाथूराम गोडसे से नफरत करता हूं क्योंकि उसने उस शख्स (महात्मा गांधी) को गोली मारी जिसके आखिरी शब्द ‘हे राम’ थे।
‘अजनबी महसूस कर रहे भारत के मुस्लिम’
उन्होंने दावा किया कि आज भारत के 17 करोड़ मुसलमान अपने आप को अजनबी महसूस कर रहे हैं। मोदी सरकार मुसलमानों को यह पैगाम दे रही है कि जान बचाना है या इंसाफ चाहते हो। मैं कहता हूं कि मैं भीख नहीं मांगूंगा। मैं अपनी शिनाख्त को नहीं मिटने दूंगा और न ही वह काम करूंगा जो बीजेपी और यहां की ‘सेक्युलर’ पार्टियां चाहती हैं। मैं वह काम करूंगा जो आपको पसंद नहीं है जोकि संविधान के दायरे में रहकर है।
‘राम मंदिर बनते देखना और प्राण प्रतिष्ठा होना सौभाग्य की बात’
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद सत्यपाल सिंह ने शनिवार को कहा कि इस कालखंड में तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे ‘युगपुरुष’ के सरकार में आने के बाद राम मंदिर बनते देखना और उसमें प्राण प्रतिष्ठा होना ऐतिहासिक और सौभाग्य की बात है। भाजपा सांसद सिंह ने लोकसभा में नियम 193 के तहत ‘ऐतिहासिक श्रीराम मंदिर के निर्माण और श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा’ विषय पर चर्चा की शुरुआत करते हुए यह भी कहा कि राम विभिन्न धर्मों और भौगोलिक सीमाओं से परे सबके हैं।
उन्होंने कहा, ”मेरा अहोभाग्य है कि मुझे राम मंदिर के बारे में सदन में प्रस्ताव रखने का अवसर मिला। इस कालखंड में मंदिर बनते देखना और प्राण प्रतिष्ठा होना अपने में ऐतिहासिक है। भगवान राम सांप्रदायिक विषय नहीं हैं। श्रीराम केवल हिंदुओं के लिए नहीं, वो हम सबके पूर्वज और प्रेरणा हैं। राम के समय में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई अलग-अलग मत, पंथ नहीं थे।”
- यह भी पढ़े………..
- विश्वविद्यालय अपने कोर्स में शामिल करें वोकेशनल, स्किलिंग और ट्रेनिंग कोर्सेज
- नैक ए-प्लस-प्लस ग्रेड मिलना कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इतिहास में सबसे बड़ी उपलब्धि : बंडारू दत्तात्रेय
- बिहार के गोपालगंज में फॉर्च्यूनर से मिले 9.91 लाख कैश
- सारनाथ एक्सप्रेस में चली गोली, RPF जवान की मौत, यात्री घायल