Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
कुरुक्षेत्र के ब्राह्मणों को दिया गया दान 13 दिन तक 13 गुना बढ़ता रहता है  - श्रीनारद मीडिया

कुरुक्षेत्र के ब्राह्मणों को दिया गया दान 13 दिन तक 13 गुना बढ़ता रहता है 

कुरुक्षेत्र के ब्राह्मणों को दिया गया दान 13 दिन तक 13 गुना बढ़ता रहता है
श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।चंडीगढ़

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

 

कुरुक्षेत्र : सन्निहित तीर्थ की गणना कुरुक्षेत्र के प्राचीन एवं पवित्र तीर्थों में की जाती है। वामन पुराण के अनुसार यह तीर्थ रन्तुक से लेकर ओजस तक, पावन से चतुर्मुख तक विस्तृत था। चारो और 2 योजन लगभग 8 किलोमीटर
रन्तुकादौजसं यावत् पावनाच्च चतुर्मुखम्।
सरः सन्निहितं प्रोक्तं ब्रह्मणा पूर्वमेव तु।
(वामन पुराण, 1/5)
शनैः शनैः इसके आकार में परिवर्तन होता रहा और द्वापर तथा कलियुग में इसका प्रमाण विश्वेश्वर से अस्थिपुर तक तथा कन्या जरद्गवी से ओघवती तक सीमित हो गया। इस तीर्थ के पास भगवान शंकर ने लिंग की स्थापना की थी।
इस तीर्थ में अमावस्या के दिन सूर्यग्रहण के समय जो अपने पूर्वजों का श्राद्ध करता है उसे हजारों अश्वमेध यज्ञों का फल मिलता है और एक ब्राह्मण को श्रद्धा पूर्वक भोजन कराने से करोड़ों व्यक्तियों के भोजन कराने का फल मिलता है।

अमावस्यां तथा चैव राहुग्रस्ते दिवाकरे।
यः श्राद्धं कुरुते मत्र्यस्तस्य पुण्यपफलं श्रृणु।
अश्वमेधसहस्रस्य सम्यगिष्टस्य यत्फलम्।
स्नातेव तदाप्नोति कृत्वा श्राद्धं च मानवः।।
(पद्म पुराण, आ. खं. 27/82-83)
पुराणों के अनुसार अमावस्या के अवसर पर पृथ्वी पटल पर स्थित सभी तीर्थ यहाँ एकत्र हो जाते हैं। इसीलिए इसे सन्निहित तीर्थ का नाम दिया गया। इस दिन कुरुक्षेत्र में दिया हुआ दान 13 दिन तक 13 गुना बढ़ता रहता है इस तीर्थ पर पूर्वजों हेतु पिण्ड-दान एवं श्राद्ध की प्राचीन परम्परा रहीं है। देश-विदेश के अनेक भागों से आए श्रद्धालु अपने पूर्वजों के निमित्त इस तीर्थ पर श्राद्ध एवं पिण्ड दान करते हैं जिसका उल्लेख तीर्थ पुरोहितों की बहियों में मिलता है।

कहा जाता है कि इसी तीर्थ के तट पर महर्षि दधीचि ने इन्द्र के आग्रह पर वृतासुर वध हेतु अपनी अस्थियों का दान किया था जिनसे निर्मित वज्र अस्त्र द्वारा इन्द्र ने वृत्रासुर का वध किया था। देश के सर्वोच्च पुरस्कार परमवीर चक्र पर वज्र अस्त्र का ही चिन्ह अंकित है भागवत पुराण के अनुसार खग्रास सूर्यग्रहण के समय द्वारका से पहुँचेे श्रीकृष्ण की भेंट गोकुल से पहुँचेे नन्द, यशोदा तथा गोप-गोपिकाओं से हुई थी। श्रीकृष्ण ने विरह व्यथा से पीड़ित गोपियों को आत्मज्ञान की दीक्षा दी थी ।

तीर्थ परिसर में स्थापित ब्रिटिश कालीन अभिलेखों से इस सरोवर की पवित्रता एवं महत्ता का पता लगता है। तीर्थ परिसर में सूर्य नारायण, ध्रुवनारायण, लक्ष्मी- नारायण एवं दुःख भंजन महादेव मन्दिर स्थापित हैं। तीर्थ के पास में ही अनेकों राज परिवारों द्वारा निर्मित भवन भी थे नाभा राजपरिवार द्वारा निर्मित नाभा हाऊस आज भी अपनी वैभवशाली वास्तुकला का परिचय दे रहा है इन भवनों का प्रयोग राज परिवार द्वारा कुरुक्षेत्र भ्रमण के अवसर पर किया जाता था।
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक संगठन सचिव षडदर्शन साधुसमाज दूरभाष 9416191877

यह भी पढ़े

कुरुक्षेत्र के ब्राह्मणों को दिया गया दान 13 दिन तक 13 गुना बढ़ता रहता है 

पिछ्ले 10 साल में बीजेपी ने हरियाणा में बिजली के मुद्दे पर कोई काम नहीं किया : अनुराग ढांडा

भौतिकी में करियर के लिए अपार संभावनाएं, कुवि के भौतिकी विभाग में दाखिले के लिए ऑनलाइन आवेदन की अंतिम

तिथि 15 जून 

कैथल की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण, यह भाजपा की नफरत और ध्रुवीकरण की राजनीति का नतीजा है : आप 

स्टेशन रोड में नाला निर्माण का टेंडर फाइनल, अतिक्रमण बनेंगी निर्माण में बड़ी बाधक

Leave a Reply

error: Content is protected !!