कृत्रिम रंग-गुलाल कहीं फीका न कर दे हर्ष-उल्लास.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
रंग पर्व होली पर जब से आधुनिकता का रंग चढ़ा है तब से इसके साइड इफेक्ट्स की चर्चा हर जुबां पर होती रहती है।भला हो भी क्यों नहीं, क्योंकि व्यक्ति विशेष की सेहत का सवाल है। कहा भी गया है कि स्वास्थ्य ही धन है। जब यह धन महफूज रहेगा, तभी होली का उमंग और उत्साह आप अपने स्वजनों, परिजनों व मित्रजनों के साथ शेयर कर पाएंगे।
देखा जाए तो मौजूदा दौर में फूलों की होली या सिर्फ चंदन और गुलाल की होली के बढ़ते प्रचलन के पीछे में प्राकृतिक रंगों से इतर रासायनिक रंगों का बहुत बड़ा योगदान है, जो अक्सर आंख समेत चेहरे के लिए अभिशाप बन जाता है और बहुधा चर्म रोगों का भी कारक बनता है। इसके अलावा, अब अबीर-गुलाल में भी मिलावट होने लगी है, जो दमा और श्वास रोगियों के लिए बहुत ही हानिकारक है।
अमूमन रंगोत्सव होली खेलने के दौरान आपको क्या क्या अतिरिक्त सावधानियां बरतनी चाहिए, ताकि कृत्रिम रंगों व गुलालों का दुष्प्रभाव आपके ऊपर नहीं पड़े। क्योंकि प्राकृतिक रंगों के महंगे होने की वजह से लोग बाग आधुनिक रासायनिक रंगों का ही प्रयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं।
वहीं, गांवों के देश भारत के ग्रामीण या अर्द्ध शहरी क्षेत्रों में धूल, कीचड़, ग्रीस, जले हुए मोबिल आदि का प्रयोग भी बहुतायत में किया जाता है और युवाओं की उत्साही टीम वाहनों को भी नहीं बख्शती। ऐसे में हर किसी को होली से एक सप्ताह पहले और कुछ दिन बाद तक भी अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। अन्यथा वसन्तोत्सव का रंग फीका पड़ जायेगा और कुछ ऐसे दाग जीवन पर्यंत रह जाएंगे जो शायद ही छूट पाएं आपके अंतरतम से।
यही वजह है कि हमने आपको सावधान करते हुए आपकी जानकारी बढ़ाने और सजगता विकसित करने के निमित्त डॉ गरिमा गुप्ता, त्वचा रोग विशेषज्ञ, यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशांबी से खास बातचीत की है, ताकि आपको इन रासायनिक रंगों व गुलालों से बचाव व इलाज के तौर तरीकों के बारे में अवगत करवाया जा सके। उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार कमलेश पांडेय से बातचीत करते हुए बताया कि यदि कुछ जांचे परखे तौर तरीके अपनाए जाएं तो होली के रंगों से स्किन खराब नहीं होगी।
उन्होंने बताया कि यह तो सभी को पता होता है कि होली पर मिलने वाले रंगों में केमिकल होता है, लेकिन इसका मतलब यह कदापि नहीं होना चाहिए कि होली ही न खेली जाए। यह सनातन धर्मावलंबी हिंदुओं के इस बहुप्रचलित पर्व के साथ न्याय नहीं होगा और देवर-भौजाई, जीजा-साली जैसे रिश्तों में नीरसता बढ़ाएगा। हां, हम यहां पर रंग गुलाल खेलने वाले लोगों के लिए कुछ काम के टिप्स बता रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप इत्मिनान से रंगों के त्योहार को फूल इंजॉय कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि रंगों का त्योहार होली खेलने में तो बड़ा मजा आता है लेकिन कलर्स के केमिकल के साइड इफेक्ट्स से निपटने में मुश्किल खड़ी हो जाती है। यदि आपकी स्किन सेंसिटिव है तो समस्या और भी बढ़ सकती है। ऐसे में भले ही आप हर्बल कलर्स यूज कर रहे हैं लेकिन काफी देर तक धूप में रहने से भी स्किन खराब हो सकती है। ऐसे में यहां कुछ टिप्स बता रही हूँ जिनसे आप होली पर अपनी स्किन को प्रॉटेक्ट कर सकते हैं।
पहला, रंगों से बचने का सबसे बढ़िया तरीका है, आप स्किन को ज्यादा से ज्यादा कवर कर लें। फुल स्लीव्स के कपड़े और ट्राउजर्स पहनें। इसके अलावा, आप रंग खेलने से पहले वैसलीन, सरसों का तेल या नारियल का तेल लगा लें। इससे कलर आसानी से छूट जाएगा। दूसरा, हर्बल और नैचुरल कलर्स जैसे हल्दी, नीम की पत्ती, हिना, गेंदे के फूल होली खेलने के लिए बढ़िया ऑप्शंस हो सकते हैं। यह आपकी त्वचा को नुकसान भी नहीं पहुंचाएंगे और इन्हें छुड़ाना भी आसान होता है। तीसरा, होली खेलने से पहले अच्छी तरह से पानी पी लें, क्योंकि केमिकल के इस्तेमाल से स्किन डिहाइड्रेटेड हो जाती है।
इसके अलावा, आप धूप में बाहर काफी लंबे वक्त तक बिना पानी के रहेंगे, यह भी नुकसानदायक हो सकता है। चतुर्थ, होली खेलने के लिए निकलने से पहले स्किन पर टोनर का इस्तेमाल करें। क्योंकि टोनर आपके स्किन पोर्स को बंद करता है जिससे रंग त्वचा के अंदर कम ही पहुंचता है और आपकी स्किन का बचाव होता है। पंचम, गुलाल को हटाने का बढ़िया तरीका है कि आप इसे सूखे कपड़े या हाथों से हटा लें। पानी से छुड़ाने पर यह स्किन पर और फैलता है। छठा, नाखूनों को बचाने के लिए आप इन पर ट्रांसपैरेंट नेल पॉलिश लगा सकते हैं।
सातवां, रंग छुड़ाते वक्त स्किन को रगड़ें नहीं। साबुन के बजाए फेशल क्लींजर का इस्तेमाल करें। आठवां, अगर रंग छुड़ाने के बाद आपकी स्किन पर जलन हो रही हो तो उस जगह को ठंडे पानी से धोएं और इस पर कैलामाइन लोशन लगाकर अच्छा मॉइश्चराइजर लगाएं। इसके अलावा, सनस्क्रीन और मॉइश्चराइजर की थिक लेयर अप्लाई करना न भूलें।
बहरहाल, इस साल आप बिना किसी चिंता के होली खेल सकते हैं, बशर्ते कि आप नामी गिरामी चिकित्सकों द्वारा बताई गई बातों को ध्यान में रखे और इन्हें आजमाएं। इसलिए यह सब आपको बताया गया है।
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