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समाजसेवी कमलनयन के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित है डॉ आरती की पुस्तक 'एक और दधीचि - कमलनयन श्रीवास्तव' - श्रीनारद मीडिया

समाजसेवी कमलनयन के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित है डॉ आरती की पुस्तक ‘एक और दधीचि – कमलनयन श्रीवास्तव’

समाजसेवी कमलनयन के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित है डॉ आरती की पुस्तक ‘एक और दधीचि – कमलनयन श्रीवास्तव’

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श्रीनारद मीडिया, स्‍टेट डेस्‍क:

‘एक और दधीचि-कमलनयन श्रीवास्तव’ कमलनयन जी के समर्पण, संघर्ष और उत्कृष्टता की कहानी है जिसने उन्हें समाज सेवा की एक अविस्मरणीय उच्चता तक पहुंचाया है। इस पुस्तक के माध्यम से उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को जानीमानी कवयित्री और शिक्षाविद् डॉ. आरती कुमारी ने बड़ी ही मेहनत, तल्लीनता और श्रद्धा भाव से संपादित कर प्रस्तुत किया है। उन्होंने कमलनयन जी को एक ऐसा व्यक्तित्व,
एक ऐसी सोच माना है ,जो गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियो को , भुला दिये गये साहित्यकारों को, अपनी धरोहर अपनी विरासत को संरक्षित करने के लिये अनवरत प्रयास करता है। वे कहती हैं कि कमलनयन जी अपनी सरलता, सहजता और कर्मठता से सभी को आकर्षित करते हैं और वे बड़े बुजुर्ग से लेकर युवा तक के अत्यंत आत्मीय हैं। वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. डॉ. सुधा सिन्हा ने इन पंक्तियों के जरिये साहित्यकार,कवि और समाजसेवी कमलनयन श्रीवास्तव की जिंदगी को बयां किया है।

अकेला ही चलता है डगर,
नहीं उसे किसी का डर,
आंधी तूफानों से लड़ता,
जीवन में वह कभी नहीं थकता

बिहार सचिवालय सेवा से सेवानिवृत कमलनयन जी का नाम समाजसेवा, साहित्य, और सांस्कृतिक क्रियाकलापों में एक विशेष स्थान रखता है। इस पुस्तक के माध्यम से राजनेता, कवि-कवयित्री, साहित्यकार, पत्रकार समेत कई गणमान्य हस्तियों ने कमलनयन श्रीवास्तव के साथ बिताये खूबसूरत लम्हों को साझा किया है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी सांसद रवि शंकर प्रसाद ने जहां श्री कमलनयन श्रीवास्तव को वनमैन आर्मी बताया है वहीं बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने उन्हें सहजता और सरलता की प्रतिूमर्ति माना है। सिक्किम के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने कमलनयन को सामाजिक उत्थान में प्रबल शख्सियत बताया है तो वहीं ख्यातिनाम चिकित्सक पद्मश्री गोपाल प्रसाद सिन्हा ने उन्हें साइलेंट वर्कर की उपाधि दी है। कवि सत्यनारायण जी कमलनयन को जज्बा और जूनून का नाम मानते हैं और हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ कमलनयन को कमनीय, कोमल और कर्मठ व्यक्तित्व मानते हैं। वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद दि्वेदी कहते हैं कि श्री कमलनयन साहित्य, संस्कृति और समाज से गहरे सरोकार रखने वाले हर बुद्धिजीवियों के लिये हरदिल अजीज हैं। पुस्तक ‘एक और दधीचि – कमलनयन श्रीवास्तव‘ में सुप्रसिद्ध कवि-कवयित्री, शायरों ने श्री कमलनयन के जीवन की उपलब्धियों की चर्चा अपने अंदाज में की है। वरिष्ठ शायर ज़फ़र सिद्दिकी कहते हैं –

दुनियां में नजर आये फकत ऐसे आदमी,
जो देखते हैं खुद के लिये पैसे आदमी,
सारा जमाना छान के हम घर आ गये,
जैसे हैं कमलनयन, कहां वैसे आदमी।

चंद पक्तियों में ही श्री सिद्दिकी ने कमलनयन के विशाल व्यक्तित्व को प्रस्तुत कर दिया है। वहीं रजी अहमद कहते हैं, पिरोना चाहता है जिसको सब माला में /कमलनयन वहीं नायाब मोती हैं। सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.रूबी भूषण उनके सामाजिक अवदान को महत्वपूर्ण मानते हुए कहती हैं कि ऐसे प्रेरक व्यक्तित्व हमेशा ही याद किए जाते हैं। कहना लाजमी है कमलनयन जैसी शख्सियत कम ही देखने को मिलती है। पूर्व कुलपति प्रो. डॉ. एजाज अली अरशद कमलनयन के कमाल की शख्सियत की चर्चा करते कहते हैं – आप अपनी मिसाल, कमल या कमाल। डॉ अन्नपूर्णा श्रीवास्तव अपनी कविता के माध्यम से कमलनयन श्रीवास्तव के बारे में कहती हैं, शोहरत के प्रपंचों में दिखना नहीं चाहते/किसी बड़े से बड़े या अपने भी मंचो पे/ पर दिया सदैव मंच/ नवोदित को अपेक्षित को। डॉ. संतोष दीक्षित ने उन्हें समर्पित हिंदी सेवी माना है, वहीं डॉ. किशोर ने उन्हें काम के प्रति निष्ठावान बताया है। वहीं डॉ. दिनेश ने उन्हें रूमानियत रवायत में यकीन रखने वाला असामान्य शख्स माना है।
‘ एक और दधीचि- कमलनयन श्रीवास्तव ‘ पुस्तक में कमलनयन की ‘कलम’ से निकले नायाब कविताओं का संग्रह भी मौजूद है जिसके जरिये उन्होंने सामाजिक मुद्दो के साथ ही देशभक्ति के बारे में भी लोगों को जागृत करने का प्रयास किया है। पुस्तक में श्री कमलनयन के पुत्र अभिषेक , पुत्री अनामिका और अपराजिता ने अपने पिता को अपना अभिमान और आदर्श माना है। कमलनयन श्रीवास्तव ने अपने सम्पूर्ण जीवन में सामाजिक और साहित्यिक क्षेत्र में अपना अमूल्य योगदान दिया है। उन्होंने नवशक्ति निकेतन, चेतना, गरिमा भारती, श्री चित्रगुप्त मंदिर प्रबंधक समिति, चित्रगुप्त सामाजिक संस्थान, शाद स्टडी सर्किल, अभाकाम, राकामप जैसे संगठनों से जुड़कर विभिन्न साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया। शाद साहब के मजार पर चारदपोशी करना, विभिन्न साहित्यकारों को सम्मानित करना, और स्व. रामवतार खत्री की पुण्य तिथि पर भव्य समारोह का आयोजन करने में उनका योगदान स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। कमलनयन श्रीवास्तव ने अपना पूरा जीवन समाज के लिये न्योच्छावर कर दिया। उन्होंने अपने लिये कुछ नहीं चाहा।
मीर तक़ी मीर का शेर ‘बारे दुनिया में रहो गमजदा या शाद रहो , ऐसा कुछ कर के चलो यां कि बहुत याद रहो’ कमलनयन श्रीवास्तव के व्यक्तित्व से मेल खाता है।

कृति – ‘एक और दधीचि-कमलनयन श्रीवास्तव’
संपादक – डॉ० आरती कुमारी
प्रकाशक : अभिधा प्रकाशन, मुजफ्फरपुर
मूल्य : 500 रूपये

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