छात्रों, उद्यमियों के लिए सफलता के संदेश हैं डॉक्टर मुंतजिर!

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छात्र जीवन में परिश्रम का लिया सहारा तो चिकित्सक के पेशे में कौशल बना शानदार साथी

✍️गणेश दत्त पाठक

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सीवान के सुफिया मेमोरियल हॉस्पिटल का नाम तो आपने सुना ही होगा! सीवान के प्रख्यात सर्जन मोहम्मद मुंतजिर का नाम भी सुन ही रखा होगा! लेकिन इस नाम के पीछे की कहानी, आपको सफलता के हर फलसफे को समझा जाएगी, छात्र हो या उद्यमी, सबको ऊर्जस्वित करेगी, प्रेरित करेगी। लेकिन जब आप डॉक्टर मुंतजिर से मिलेंगे तो उनकी व्यवहारकुशलता और सरलता भी आपको आश्चर्चकित ही करेगी। तो आइए जानते हैं डॉक्टर मुंतजिर की उस कहानी को, जो सफलता का संदेश देती है, जो परिश्रम का संदेश देती है, जो संसाधन सुप्रबंधन का संदेश देती है, जो दूरदर्शी सोच के आलंबन का संदेश देती है, जो सपनों को साकार करने की हसरत का संदेश देती।

शुरुआत बेहद साधारण परिवेश से

डॉक्टर मोहम्मद मुंतजिर की कहानी की शुरुआत बिलकुल साधारण से परिवेश से ही होती है। इनके वालिद अहमद हुसैन की सिवान के तेलहट्टा बाजार में किराने की एक दुकान थी। परिवार में चार भाई और तीन बहनें थीं। हाईस्कूल की पढ़ाई तक वे बहुत ही सामान्य तरीके से पढ़ाई करते रहे। ज्यादातर समय किराने की दुकान पर वालिद को सहयोग देते ही बीतता था। खेलने का टाइम भी कम ही मिलता था।

माध्यम की समस्या ने पेश की बड़ी चुनौती लेकिन थे दृढ़ इच्छाशक्ति से रहे सदैव लैस

डीएवी कॉलेज से जीवविज्ञान से 12वीं करने के बाद उन्हें अपने कैरियर की बात ने थोड़ा सतर्क किया। बड़े भाई अमजद अली डॉक्टर बन चुके थे। छात्र मुंतजिर ने भी डॉक्टर बनने का ही ख्वाब देख रखा था। फिर पटना गए तैयारी करने। सबसे पहले पहली बड़ी चुनौती आई माध्यम की। ये पढ़े थे हिंदी माध्यम में, वहां पढ़ना था अंग्रेजी माध्यम में। कुछ समझ में आता, कुछ नहीं। तैयारी चलती रही लेकिन परिणाम आशाजनक नहीं आया। जब मेडिकल प्रवेश परीक्षा का रिजल्ट आया तो परिणाम बेहतर नहीं आया। परिणाम देखकर आया मित्र कुछ बोल नहीं पा रहा था लेकिन मुंतजिर बोल पड़े अगली बार किसी भी हालत में मैं डॉक्टर जरूर बनूंगा। बस इसी जुनून की तो आवश्यकता होती है सफलता के लिए!

प्रश्न तो सिलेबस से ही आयेंगे तो टूट पड़े सिलेबस पर

फिर छात्र मुंतजिर के मन में ख्याल आया कि आखिर प्रश्न तो सिलेबस से ही आते हैं। फिर छात्र मुंतजिर पूरे सिलेबस को कंठस्थ करने पर टूट पड़े। दिन को दिन नहीं समझा, रात को रात नहीं। बस पढ़ते ही रहे। प्रतिदिन 15 घंटे की कम से कम पढ़ाई काम आई। मेडिकल प्रवेश परीक्षा में अच्छे रैंक से उत्तीर्ण हुए छात्र मुंतजिर। एमबीबीएस में दाखिला मिला दरभंगा मेडिकल कॉलेज में। उनके छात्र जीवन का यह प्रसंग यह संदेश देता है कि प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफलता के लिए परिश्रम का कोई विकल्प तो होता ही नहीं हैं।

एमएस करने के दौरान खूब की सर्जरी, बने दक्ष सर्जन

जब दरभंगा मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिल गया तो फिर वे बेहद समर्पित तरीके से अध्ययन करते रहे और अपना अधिकतर ध्यान प्रैक्टिकल नॉलेज पर ही रखा। उसके बाद एमएस करने का सोचा। उनकी पढ़ाई इस स्तर पर पहुंच चुकी थी कि एमएस में दाखिले के लिए आयोजित हुई बिहार पी जी प्रवेश परीक्षा में 7वीं रैंक आ गई। फिर पटना मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया। यहां एमएस करने के दौरान उनका पूरा फोकस शल्य क्रिया के संदर्भ में अपने हाथों को दक्ष बनाने पर रहा। हर संभव स्तर पर वह सर्जरी किया करते थे। डॉक्टर मुंतजिर का सर्जरी के प्रति विशेष लगाव यह संदेश देता है कि हर युवा को अपने कौशल उन्नयन पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

सीवान में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को मुकाम पर पहुंचाया

एमएस करने के बाद डॉक्टर मुंतजिर स्पेशलाइजेशन के लिए दिल्ली जाना चाहते थे लेकिन जा नही पाए। सीवान में ही मेडिकल प्रैक्टिस करने लगे। पहले शुरुआत में बाबुनिया मोड़ के पास क्लीनिक था बाद में हॉस्पिटल रोड में सुफिया मेमोरियल हॉस्पिटल अस्तित्व में आया। सीवान में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की शुरुआत डॉक्टर मुंतजिर ने ही की। किसी भी उद्यम को शुरू करने में परेशानी तो आती है। सीवान में सर्जरी करने के लिए एनेस्थेटिक को हाजीपुर से बुलाना पड़ता था। उस समय संसाधन के अभाव में अच्छे सर्जरीवाले उपकरण भी कम ही थे लेकिन डॉक्टर मुंतजिर शल्य क्रिया में सिद्धहस्त थे। इसलिए सीमित संसाधनों में डॉक्टर मुंतजिर ने कई सफल ऑपरेशन संपादित कर मरीजों की सहायता किया। धीरे धीरे उनकी प्रसिद्धि बढ़ने लगी।

पर्याप्त निवेश ही देता है उद्यम को ऊंचाई

किसी भी उद्यमी के लिए शुरुआती दौर में संसाधन सीमित ही रहते हैं। डॉक्टर मुंतजिर ने संसाधन के लिए बैंकों की तरफ नहीं देखा अपितु अपने पास आ रहे संसाधनों को सिर्फ एक उद्देश्य के लिए खर्च करना शुरू किया, वह दिशा थी सिर्फ स्तरीय और अत्याधुनिक सर्जरी के उपकरणों को खरीदना और सुफिया मेमोरियल हॉस्पिटल में बुनियादी संरचना का भरपूर विकास ताकि मरीजों को हर संभव सुविधा मिल सके। आज डॉक्टर मुंतजिर का यह तरीका तो उद्यमियों के लिए नज़ीर तो है ही। साथ ही, सुफिया हॉस्पिटल आज सभी अत्याधुनिक चिकित्सीय उपकरणों से लैस है जहां महानगरों के अस्पतालों के स्तर की सुविधा उपलब्ध है मसलन लेजर तकनीक, पीसीएनएल, यू आर एस, टीयू आरपी, लिथोट्रिप्सी।

सीवान के मरीजों को बाहर नहीं जाना पड़े यह रही बड़ी ख्वाहिश

आज के दौर में सामान्य प्रवृति देखी जाती है कि मरीजों को सीवान में हल्की भी समस्या होने पर तुरंत बड़े शहरों की तरफ रेफर कर दिया जाता है। जिससे मरीज के परिवार पर भारी आर्थिक बोझ आ जाता है और रोगी के परिजन परेशान भी बहुत हो जाते हैं। इसी व्यथा को महसूस करते हुए डॉक्टर मुंतजिर ने सुफिया हॉस्पिटल में हर तरह की अत्याधुनिक जांच सुविधाओं की व्यवस्था बना ली है ताकि रोग के डायग्नोसिस में कोई समस्या न आ पाएं। साथ ही, अत्याधुनिक सर्जरी के उपकरणों का इस्तेमाल कर वे रोगी को जल्द राहत पहुंचाने वाली पहल भी कर रहे हैं। सुफिया हॉस्पिटल में स्वच्छता के मानदंडों का पालन भी स्तरीय तरीके से ही होता है।

सर्वसुविधा युक्त एक नया अस्पताल भी है तैयार

इन सब व्यवस्थाओं को सहेज कर डॉक्टर मुंतजिर उद्यमियों को यह संदेश जरूर देते हैं कि ग्राहक की सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए।
सफल उद्यमी की खास बात यह होती है कि वह दूरदर्शी सोच रखता है और भविष्य की चुनौतियों के लिए भी तैयार रहता है। डॉक्टर मुंतजिर ने एक नया अस्पताल भी बनवा लिया है, जहां सारी अत्याधुनिक सर्जरी की सुविधाएं मौजूद हैं। वहां, अत्याधुनिक आईसीयू, कैथ लैब सहित अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं तथा अस्पताल भव्यता की मिसाल भी है।

डॉक्टर मुंतजिर के सफर की शुरुआत एक साधारण परिवेश से हुई लेकिन अपने समर्पित प्रयास और उद्यमी स्वभाव के बूते आज सीवान में असाधारण चिकित्सा सुविधाओं को मुहैया करा रहे हैं। बदलती जीवन शैली के संदर्भ में सीवान में भी व्याधियां पैर फैलाती जा रही है। ऐसे में डॉक्टर मोहम्मद मुंतजिर का सीवान में सर्वसुविधा संपन्न सुफिया मेमोरियल हॉस्पिटल सीवान में आरोग्य रक्षण के संदर्भ में अपनी विशेष भूमिका निभाने के लिए तैयार है। छात्र और उद्यमी डॉक्टर मोहम्मद मुंतजिर की इस कहानी से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

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