राजनीतिक सुचिता के संवाहक थे डॉ टीएन सिंह ।
अंतिम विदाई राजकीय सम्मान के साथ न होना न्यायोचित नहीं है ।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
“वे सूरतें इलाही किस मुल्क बस्तियाँ हैं
अब देखने को जिन के आँखें तरसतियाँ हैं,
ये हिजरतें हैं ज़मीन ओ ज़माँ से आगे की
जो जा चुका है उसे लौट कर नहीं आना ‘” उक्त पंक्तियां जीरादेई के पूर्व विधायक कैप्टन डॉ टीएन सिंह पर सटीक बैठती है ,वास्तव में मृत्यु सत्य है जो आया है उसे जाना ही है मगर कुछ ऐसे महामानव होते है जिनका जाना बहुत दुखदाई होता है पर संतोष इस बात का होता है कि उस व्यक्ति ने समाज में अपने सदैव होने का एहसास करा कर जाता है ऐसे ही सादगी व उच्चत्तर राजनीति के पुरोधा थे जीरादेई विधानसभा क्षेत्र के कर्मठ योग्य व शिक्षित विधायक डॉ त्रिभुवन नारायण सिंह ।
कोडरा ,मैरवा के मूल निवासी संभ्रांत , प्रतिष्ठित व शिक्षित परिवार से ताल्लुक रखने वाले आप पटना विश्वविद्यालय से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने के बाद राष्ट्र भाव दे प्रेरित होकर भारतीय सेना के मेडिकल कोर में कैप्टन के रूप में वर्षों राष्ट्र की सेवा की तथा भारत व पाक के युद्ध में वीरता के साथ लड़ाई लड़ा ।
आप सेना की नौकरी का परित्याग कर एशिया प्रसिद्ध “राजेन्द्र कुष्ठ सेवा आश्रम ,मैरवा के मुख्य चिकित्सा प्रभारी के रूप में अभिवंचित एवं उपेक्षित कुष्ठ रोगियों की सेवा की तथा सेवाश्रम के संस्थापक सचिव स्व जगदीश”दीन “का सहयोगी रहा ।इसी अवधि में जापानी मिशन अस्पताल से कुष्ठ निवारण प्रशिक्षण प्राप्त किया तथा तमिलनाडु के चिंगलपेट से शल्य चिकित्सा में प्रशिक्षण भी लिया ।
आप विश्व जन- संपर्क भावना से प्रेरित भारत – सोवियत -सांस्कृतिक संघ के प्रतिनिधि के रूप में रूस में दो माह निवास करते हुए वहाँ के लोगों वहाँ के लोगों को भारतीय संस्कृति की प्राचीनता एवं भावनात्मक संवेदना से परिचित कराते हुए वहाँ की सभ्यता एवं संस्कृति का भी सूक्ष्म अध्ययन किया । आप सहकारिता आंदोलन से भी जुड़े रहे तथा हरिराम महाविद्यालय मैरवा के स्थापना में महती योगदान दिए ।
राजनीति के कर्मस्थली आप गणतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद व भगवान बुद्ध के अंतिम उपदेश क्षेत्र को चयन किया ।आप पहली बार 1985 के आम चुनाव में जीरादेई विधान सभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर भारीमतों से चुनाव जीता तथा सरकार में बिहार परिवार कल्याण विभाग के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया जो राज्यमंत्री के दर्जा प्राप्त था ।
19 94 में समता पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे जो अब जदयू है । आपने जीवन में कभी भी राजनीतिक शक्ति का इस्तेमाल किसी के अहित पहुचाने में नहीं किया । तामझाम में भी विश्वास नहीं रखते थे । आप अपने पास बॉडीगार्ड भी नहीं रखते थे जबकि सरकार तैयार रहती थी तथा आप उसका उत्तराधिकारी भी थे फिर भी एक साधारण जनप्रतिनिधि की तरह अनवरत समाज का सेवा करते रहे ।
फिर भी इनका अंतिम विदाई राजकीय सम्मान के साथ न करना न्यायसंगत प्रतीत नहीं होता है ।
परमपिता परमात्मा से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें ।
शत शत नमन ।
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