बुलंद व्यक्तित्व के थे डॉक्टर त्रिभुवन नारायण सिंह
पेशे से थे चिकित्सक लेकिन सीवान में सांस्कृतिक और सामाजिक जीवंतता के बयार को बहाने में रही थी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका
21 अप्रैल 2024 को डॉक्टर टी एन सिंह जी की तृतीय पुण्यतिथि पर विशेष आलेख
✍️डॉक्टर गणेश दत्त पाठक : श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
वे पेशे से चिकित्सक थे, सेवाभाव उनके रग रग में भरा था, कर्तव्यनिष्ठता के तो वे मिसाल थे हीं लेकिन सामाजिक और सांस्कृतिक जीवंतता का बयार बहाना, उनका शायद सबसे प्रिय शगल था। सीवान का जब भी सांस्कृतिक इतिहास लिखा जाएगा तो डॉक्टर त्रिभुवन नारायण सिंह का उल्लेख एक बुलंद व्यक्तित्व के तौर पर ही आयेगा। तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच उन्होंने साहस, सामाजिकता, स्पष्टवादिता और संकल्पशक्ति का उत्कृष्ठ परिचय देते हुए सीवान के सांस्कृतिक आयाम को एक नवीन आयाम दिया था। उनके व्यक्तित्व की सबसे खास बात यह थी कि हर व्यक्ति उनसे स्नेह रखता था और उनका सम्मान करता था। कोरोना महामारी ने यद्यपि हमसे उन्हें छीन लिया लेकिन उनकी स्मृति सदियों तक सामाजिक सांस्कृतिक जीवंतता कायम रखने के लिए प्रेरित करती रहेगी। आज उनके पुण्यतिथि पर उन्हें शत् शत् नमन।
कुशल सर्जन बनकर की मानवता की सेवा
डॉक्टर त्रिभुवन नारायण सिंह (डा0 टीएन सिंह) का जन्म दरौली के गौरी गांव में हुआ था। वर्तमान में उनका परिवार चकिया रोड के राजीव नगर में रहता है। बचपन से ही मेधावी रहे त्रिभुवन नारायण सिंह ने कड़ी मेहनत के बल पर चिकत्सा की पढ़ाई में प्रवेश लिया और अपनी योग्यता के बल पर एक कुशल सर्जन बने और असहाय मानवता की सेवा में निरंतर संलग्न रहे। बिहार सरकार की मेडिकल सेवा में कार्यरत रहते हुए गोपालगंज के सिविल सर्जन भी रहे। पदोन्नति पाकर वे स्वास्थ्य विभाग में अपर निदेशक बने। स्वास्थ्य विभाग में सेवारत रहते हुए डॉक्टर त्रिभुवन नारायण सिंह अपने कर्तव्य के प्रति सदैव बेहद संजीदा रहते थे। उनकी पत्नी डॉक्टर सरोज सिंह,जो मोतिहारी की सिविल सर्जन रही हैं और बाद में स्वास्थ्य विभाग की अपर निदेशक बनीं, बताती हैं कि डॉक्टर साहब के लिए ड्यूटी एक पूजा के समान रही थी। शायद ही कभी वे अस्पताल जाने में लेट हुए हो। गरीब और संसाधनहीन मरीज उनकी सेवा सूची में सर्वोच्च प्राथमिकता पर रहे थे।
सेवा शिविरों का निरंतर आयोजन
डॉक्टर त्रिभुवन नारायण सिंह के व्यक्तित्व का एक सुंदर सामाजिक और सांस्कृतिक आयाम भी रहा था। भारत विकास परिषद् के प्रथम अध्यक्ष वे बने थे। सीवान के उस दौर में इस दायित्व का निर्वहन एक बड़ी चुनौती थी। निरंतर निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर, सेवा शिविर के आयोजन के माध्यम से अपनी सेवा भावना को धरातल पर उतारने का प्रयास करते थे। ये स्वास्थ्य शिविर सिर्फ दिखावे के लिए आयोजित नहीं होते थे अपितु उन सेवा शिविरों में सेवा भावना के साथ संजीदगी और गंभीरता भी दिखती थी।
समाज में सकारात्मकता और प्रेरणा के संचार के लिए निरंतर रहे प्रयासरत
डॉक्टर त्रिभुवन नारायण सिंह सीवान में सांस्कृतिक जीवंतता की बयार बहाने के लिए सदैव प्रयासरत रहा करते थे। गांधी
मैदान में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले श्री राम कथा महोत्सव के आयोजन में उनकी महत्वपूर्ण सक्रियता रहा करती थी। समाज में सकारात्मकता और प्रेरणा के संचार के लिए कई आयोजन उनके नेतृत्व में समय समय पर होते रहते थे।
निर्भीक तरीके से रखते थे स्पष्ट विचार
डॉक्टर त्रिभुवन नारायण सिंह के व्यक्तित्व में साहस, सामाजिकता और स्पष्टवादिता की त्रिवेणी बहा करती थी। वे निर्भीक तरीके से अपने विचारों को व्यक्त करते थे। उनके विचार बेहद स्पष्ट रहते थे। सही को सही और गलत को गलत कहने की उनकी आदत ही उन्हें बुलंद व्यक्तित्व का धनी बना जाती थी। हालांकि उन्हें अपने स्पष्टवादिता की भारी कीमत भी चुकानी पड़ी लेकिन कभी अपने विचारधारा से वे पीछे नहीं हटे। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के वे सदैव सबल पैरोकार बने रहे।
उनके दिए संस्कार उनके परिवार को आज भी कर रहे ऊर्जस्वित
उनके दिए संस्कार आज भी उनके परिवार की ऊर्जा का सबल और शाश्वत स्रोत है। प्रेरणा का मार्ग दिखा रहा है। उनकी बेटी डॉक्टर ऋचा सिंह और दामाद समाजसेवी विकास कुमार सिंह जीशू अपने पिता जी के साहस को प्रणाम करते हुए कहते हैं कि उनका जुझारू व्यक्तित्व एक मिसाल रहा है। वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में रह रहे उनके पुत्र डॉक्टर अंकुर और पुत्रवधू डॉक्टर आद्या सिंह बताती हैं कि पिता जी का विशाल व्यक्तित्व हमें निरंतर ऊर्जस्वित करता रहता है। उनके पुत्र डॉक्टर सौरभ सिंह(एमडी, पैथालॉजी, डायरेक्टर, एक्यूरेट डायग्नोस्टिक लैब) और पुत्रवधू गीतिका सिंह (एसोसिएट प्रोफेसर, एनएमसीएच, पटना) कहती है कि पिता जी का सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान अमूल्य रहा है। पिताजी का जीवट व्यक्तित्व हमें सदैव प्रेरित करता रहता है। सीवान के सभी शिक्षाविद्, चिकित्सकगण और अन्य गणमान्यजन एक स्वर में डॉक्टर टी एन सिंह को सीवान का गौरवपुरुष स्वीकार करते हैं जो इस बात की तस्दीक करता है कि
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा
आप हमेशा हमारी यादों में रहेंगे🌹🙏।
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