डॉ जफर कमाली का नाम उर्दू बाल साहित्य पुरस्कार के लिए चयनित, बधाइयों का तांता
14 नवंबर को दिल्ली में साहित्य क्षेत्र में उत्कृष्ट रचना के लिए नवाजे जाएंगे
प्रो जफर कमाली जेड ए इस्लामिया कॉलेज ,सीवान में फारसी विभाग में प्राध्यापक हैं
श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):
साहित्य अकादमी दिल्ली ने साहित्य क्षेत्र में दिये जाने वाले पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। जिन साहित्यकारों को 14 नवंबर को दिल्ली में साहित्य क्षेत्र में उत्कृष्ट रचना के लिए नवाजा जाना है,उनमें सीवान के एक साहित्यकार प्रो डॉ जफर कमाली का नाम भी शामिल है।
डॉ जफर कमाली को उर्दू बाल साहित्य पुरस्कार उनकी कविता संग्रह’ हौसलों की उड़ान’ के लिए दिया जाना है। इसके पूर्व बाल साहित्य की उनकी दो पुस्तकें ‘बच्चों का बाग’ और ‘चहकारें’ प्रकाशित हो चुकी हैं।
‘बच्चों का बाग’ कविता संग्रह को भारत सरकार के कौमी काउंसिल द्वारा प्रकाशित करायी गयी है। उर्दू में बाल साहित्य के लिए डॉ जफर कमाली का चयन होना सीवान के साहित्य जगत की बड़ी उपलब्धि है।
बता दें का प्रो जफर कमाली जेड ए इस्लामिया कॉलेज ,सीवान में फारसी विभाग में प्राध्यापक हैं। लेकिन वे मूलतः सीवान जिला के बड़हरिया प्रखंड के रानीपुर के वाशिंदा हैं। यह वही रानीपुर गांव है जिसके बारे में कहा जाता था कि यहां की मुर्गियां भी फारसी बोलती हैं। उसी साहित्यिक मिजाज के गांव के स्व कलामुद्दीन अहमद व स्व आसिया खातून के पुत्र जफर कमाली की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा गांव और गांधी स्मारक उच्च विद्यालय बड़हरिया में हुई है।
जाहिर सी बात है कि साहित्यिक बुलंदियों को छूने वाले डॉ जफर कमाली के गांव में जश्न का माहौल होना लाजिमी है। यदि उनकी साहित्यिक यात्रा की चर्चा करें तो अभी तक उनकी 19 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। चर्चा तो यह भी है कि उर्दू साहित्य की इस विधा में बिहार का सम्भवतः यह पहला पुरस्कार है।
विदित हो कि साहित्य अकादमी ने 23 भाषाओं में युवा पुरस्कार और 22 भाषाओं में बाल साहित्य पुरस्कार की घोषणा की है।कमाली को हौसलों की उड़ान कविता संग्रह केलिए साहित्य अकादमी अवार्ड से पुरस्कृत किया जाएगा ।
डॉ. जफर कमाली को साहित्य अकादमी के बाल साहित्य पुरस्कार के लिए नाम घोषित होने पर साहित्यिक हस्तियों ने उन्हें बधाइयां दी हैं। डॉ जफर कमाली का अदबी सफर काफी लंबा है। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से उर्दू और परसियन में एमए करने के बाद उर्दू अदब के नामचीन व्यंगकार और उनके मोहतरम उस्ताद अहमद जमाल पाशा के व्यक्तित्व और कृतित्व के विषय पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
ऐसे तो उनकी हास्य-व्यंग्य की चार किताबें पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं,जो उनके मजाहिया मिजाज का द्योतक है। वहीं रुबाइयों का चार संग्रह के साथ ही शोध पर आधारित उनकी दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
राजभाषा विभाग उर्दू निदेशालय(बिहार सरकार) के तत्वावधान में अहमद जमाल पाशा पर उनका मोनोग्राफ छप चुका है। साहित्य की विभिन्न विधाओं पर समान रुप से महारत रखने वाले डॉ जफर कमाली की इस उपलब्धि पर पूरा कॉलेज आह्लादित है।उनकी इस उपलब्धि पर बधाइयों का तांता लगा है।प्रो महमूद हसन अंसारी, फैज अली फैजी,जाहिद सीवानी, डॉ जीतेंद्र कुमार, फैयाज अली,इजहार अहमद नदीम, मुर्तुजा अली पैगाम, शादाब अहमद,नसरुल्लाह, आबिद हसनैन, दिलनवाज अहमद, रिजवान अहमद आदि ने बधाइयां दी हैं।
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