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ग्लोबल वार्मिंग व इंसानों की मौजूदगी से वन्‍य प्राणी बदल रहे ठिकाना. - श्रीनारद मीडिया

ग्लोबल वार्मिंग व इंसानों की मौजूदगी से वन्‍य प्राणी बदल रहे ठिकाना.

ग्लोबल वार्मिंग व इंसानों की मौजूदगी से वन्‍य प्राणी बदल रहे ठिकाना.

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विश्व वन्यजीव दिवस

3 मार्च 2014 को पहला विश्व वन्यजीव दिवस मनाया गया।

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

ग्लोबल वार्मिंग से लगातार कम होते कुदरती ठिकाने के बावजूद शीत मरुस्थल लाहुल-स्पीति में कई दुर्लभ वन्य प्राणी खुद को बचा रहे हैं। ग्लेशियर पिघलने और इंसानों की मौजूदगी इन्हें अधिक ऊंचे क्षेत्रों में जाने को मजबूर कर रही है। चुनौती में इन जीवों ने चोटी को चुना है। जनजातीय क्षेत्र के लोगों की जागरूकता व सरकार के प्रयास से कम हुआ शिकार भी इस दिशा में नई उम्मीद जगा रहा है। भारतीय वन्य प्राणी सर्वेक्षण विभाग सोलन ने लाहुल-स्पीति में 211 दुर्लभ वन्य प्राणियों को खोजा है। स्पीति में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा शिगरी ग्लेशियर है। यहां कई दुर्लभ जीव-जंतु देखे गए हैं।

विश्व वन्यजीव दिवस 2022 की थीम

हर साल इस दिन को एक थीम के साथ मनाया जाता है। थीम के माध्यम से प्रकृति से विलुप्त हो रहे जीव, प्रजातियों और अन्य प्राकृतिक वस्तुओं का संरक्षण करने के लिए लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा यह थीम जारी की जाती है। विश्व वन्यजीव दिवस 2022 की थीम है- पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के लिए प्रमुख प्रजातियों को पुनर्प्राप्त करना

विभाग के अनुसार इनमें से कुछ जीव व पक्षी यहीं पाए जाते हैं, जिन्हें पहले बहुत कम देखा गया है। भारतीय वन्य प्राणी सर्वेक्षण विभाग सोलन की टीम ने तीन साल सर्वे किया है। विभाग की सोलन प्रभारी डा. अवतार कौर सिद्धू का कहना है कि लाहुल-स्पीति में किए सर्वे की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी है। अब विभाग की टीम लद्दाख में सर्वे कर रही है कि यहां कितने वन्य प्राणी हैं।

वन्य जीवों को जिंदा रहने के लिए जमाव बिंदु से नीचे 10 से 20 डिग्री सेल्सियस तक तापमान की आवश्यकता होती है। इनमें से कुछ जीव बर्फ के नीचे कई दिन तक बिना कुछ खाए रह सकते हैं। इन्हें जिंदा रहने के लिए कम आक्सीजन की जरूरत होती है।

11 प्रजातियों के स्तनधारी जीव, 67 प्रजातियों के पक्षी

सर्वे के दौरान लाहुल-स्पीति में 11 प्रजातियों के स्तनधारी जीव, 67 प्रजातियों के पक्षी, 38 किस्म की तितलियां, छह किस्म की रात्रि को निकलने वाली तितलियां व तीन प्रजातियों के रेंगने वाले जीव पाए गए। इनके अलावा 16 प्रजातियों के सूक्ष्म जीव, सात किस्म के केंचुए, दो किस्म के ड्रैगन फ्लाई, 31 किस्म की मक्खियां, 11 किस्म के ग्रास हापर व 14 किस्म के बीटल मिले। किब्बर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी व पिन वैली नेशनल पार्क में इनकी संख्या अधिक है।

चंद्रताल झील में मछलियों की पांच प्रजातियां

स्पीति की चंद्रताल झील में मछलियों की पांच प्रजातियां मिली हैं। इस क्षेत्र में ब्लू शीप व बिना पूंछ वाले चूहों की अच्छी संख्या पाई गई है। इनके अलावा रेड फाक्स, जिसे हिमालयन लोमड़ी कहा जाता है, की मौजूदगी पाई गई है। हिम तेंदुओं की संख्या यहां लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2020 के अंत तक यहां 40 हिम तेंदुए देखे गए थे। इसके बाद इनकी गणना नहीं हुई है।

वन्य जीवों और वनस्पतियों हमारे जीवन और विकास के लिए बहुत ही जरूरी है। ये पर्यावरण के संतुलन को बनाकर रखते हैं। इसी चीज़ से लोगों को अवगत कराने और जागरुक बनाने के लिए हर साल 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है। भारत में इस समय 900 से भी ज्यादा दुर्लभ प्रजातियां खतरे में बताई जा रही हैं। यही नहीं, विश्व धरोहर को गंवाने वाले देशों की लिस्ट में दुनियाभर में भारत का चीन के बाद सातवां स्थान है।

ऐसे हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर 2013 को 68वें सत्र में 03 मार्च के दिन को विश्व वन्यजीव दिवस मनाने की घोषित की था। तीन मार्च को विलुप्तप्राय वन्यजीव और वनस्पति के व्यापार पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को स्वीकृत किया गया था। वन्य जीवों को विलुप्त होने से रोकने हेतु पहली बार साल 1872 में जंगली हाथी संरक्षण अधिनियम (वाइल्ड एलीफेंट प्रिजर्वेशन एक्ट) पारित हुआ था। 3 मार्च 2014 को पहला विश्व वन्यजीव दिवस मनाया गया।

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