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खरमास के कारण मांगलिक कार्यों पर एक बार फिर रोक लगेगी - श्रीनारद मीडिया

खरमास के कारण मांगलिक कार्यों पर एक बार फिर रोक लगेगी

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

ज्योतिष के अनुसार खरमास का विशेष महत्व है. जब सूर्य ग्रह धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तब खरमास की अवधि प्रारंभ होती है. इस समय के दौरान विवाह, ग्रह प्रवेश, नामकरण जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, क्योंकि माना जाता है कि इस अवधि में सूर्य देव की ऊर्जा में कमी आ जाती है. इसीलिए खरमास में किसी भी शुभ कार्य का फल सकारात्मक नहीं होता है. हालांकि, खरमास के दौरान शुभ या मांगलिक कार्यों से बचा जाता है, फिर भी कुछ विशेष उपायों के माध्यम से सूर्य देव की कृपा प्राप्त की जा सकती है.

ज्योतिष के अनुसार खरमास का अत्यधिक महत्व होता है. जब सूर्य ग्रह धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तब खरमास की अवधि शुरू होती है. इस समय के दौरान विवाह, ग्रह प्रवेश, नामकरण जैसे शुभ कार्यों का आयोजन नहीं किया जाता है, क्योंकि यह माना जाता है कि इस अवधि में सूर्य देव की ऊर्जा में कमी आ जाती है. इसलिए खरमास में किसी भी शुभ कार्य का परिणाम सकारात्मक नहीं होता है. हालांकि, खरमास के दौरान शुभ या मांगलिक कार्यों से परहेज किया जाता है, फिर भी कुछ विशेष उपायों के माध्यम से सूर्य देव की कृपा प्राप्त की जा सकती है.

खरमास के समय भगवद्भक्ति के अंतर्गत प्रत्येक दिन प्रातः जल्दी स्नान करके व्यक्ति को नियम और संयम के साथ पूजापाठ करना चाहिए. इस अवधि में प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना, सूर्य मंत्रों का जाप करना और कम से कम तीन बार परिक्रमा करना आवश्यक है. खरमास में जप, तप और दान का महत्व है, जिससे शुभ फल की प्राप्ति होती है और ईश्वर के आशीर्वाद से जीवन के कष्टों का निवारण होता है.

इस समय गाय, गुरु, ब्राह्मण और संन्यासियों की सेवा अपनी सामर्थ्य के अनुसार करनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. खरमास में तीर्थ स्थलों की यात्रा कर पूजा-पाठ करना अनिवार्य है. यदि यात्रा संभव न हो, तो घर के निकटतम धार्मिक स्थल पर जाकर पूजा अवश्य करनी चाहिए. खरमास में तुलसी जी की पूजा करना भी आवश्यक है, किंतु मंगलवार, रविवार और एकादशी के दिन इसे छोड़ने की मान्यता है.

सनातन धर्म में खरमास के दिनों को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, जो वर्ष में दो बार आते हैं. पहला खरमास तब होता है जब सूर्यदेव धनु राशि में प्रवेश करते हैं, और दूसरा खरमास मीन संक्रांति के समय होता है, जब सूर्यदेव मीन राशि में प्रवेश करते हैं. यह अवधि कुल एक महीने तक चलती है, और इस दौरान मांगलिक कार्य करने पर रोक होती है. आइए जानें खरमास किस दिन से शुरू हो रहा है और इस दौरान किन कामों को नहीं करना चाहिए.

कब से शुरू हो रहा है खरमास

इस वर्ष वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष कृष्ण पक्ष की शुरुआत 16 दिसंबर से हो रही है. इस दिन प्रातः 7 बजकर 40 मिनट पर सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य 14 जनवरी 2025 तक इसी राशि में स्थित रहेंगे. अतः 16 दिसंबर 2024 से 14 जनवरी 2025 तक का समय खरमास के रूप में माना जाएगा.

खरमास के दौरान इन कार्यों से बचें

  • खरमास के महीने में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य करना उचित नहीं है. शास्त्रों में इस पर स्पष्ट निषेध है. इस अवधि में विवाह, मुंडन जैसे समारोहों का आयोजन नहीं करना चाहिए.
  • इसके अतिरिक्त, खरमास में नया घर, प्लॉट या फ्लैट खरीदने से भी बचना चाहिए. नए घर में गृह प्रवेश करना भी इस समय शुभ नहीं माना जाता, क्योंकि यह आपके लिए समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है.
  • खरमास के दौरान उपनयन संस्कार, नए व्रत या पूजा अनुष्ठान की शुरुआत भी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इसे शुभ नहीं माना जाता है.
  • इस समय किसी नए व्यवसाय की शुरुआत या दुकान का उद्घाटन भी टालना चाहिए, क्योंकि इससे आपके व्यापार में रुकावट आ सकती है.
  • रिंग सेरेमनी और अन्य शुभ कार्यों से भी इस अवधि में परहेज करना चाहिए.
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