मनमोहन सरकार की ली गई ‘कर्ज को मोदी सरकार द्वारा चुकाने के कारण
बढ़ीं तेल की कीमतें : सूत्र
मनमोहन सिंह की सरकार ने तेल कंपनियों (Oil Companies) को सब्सिडी देने के बदले बॉन्ड (Bonds)
जारी किए थे, जिनका भुगतान आज मोदी सरकार (Modi Government) को करना पड़ रहा है
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
देश में पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों को लेकर कांग्रेस (Congress) समेत सभी विरोधी पार्टियां केंद्र सरकार पर हमलावर हैं. कांग्रेस सीधा-सीधा दावा कर रही है कि UPA यानी डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार के समय कच्चे तेल के दाम ऊंचे होने के बाद भी देश में पेट्रोल-डीजल के दाम कंट्रोल में थे, जबकि आज कच्चे तेल के दाम कम हैं तो भी पेट्रोल-डीजल महंगा है. अब इसी को लेकर एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. एक रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि आज की केंद्र सरकार को कांग्रेस सरकार के समय के बॉन्ड का भुगतान करना पड़ रहा है.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, मनमोहन सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को सब्सिडी देने के बदले बॉन्ड जारी किए थे, जिनका भुगतान आज मोदी सरकार (Modi Government) को करना पड़ रहा है. कांग्रेस सरकार के समय कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को कंट्रोल में करने और पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतों में वृद्धि न करने के लिए तेल कंपनियों को बॉन्ड जारी किए गए थे, जिसका मतलब ये होता है कि ‘हम आपको सब्सिडी नहीं दे सकते, लेकिन फिर भी आप तेल की कीमतें मत बढ़ाओ, इसके लिए हम आपको बॉन्ड जारी कर रहे हैं जो हम धीरे-धीरे करके चुका देंगे’.
PA सरकार की तरफ से तेल कंपनियों को जारी किए गए इन्हीं बॉन्ड के 1.30 लाख करोड़ रुपये का भुगतान आज मोदी सरकार कर रही है, वह भी एक ऐसे समय में जब महामारी के चलते केंद्र सरकार खर्च के दबाव का सामना कर रही है. उपलब्ध जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार ने पिछला मूल भुगतान (Principal Payment) मार्च 2015 में 3,500 करोड़ रुपये का किया था. कुल वर्तमान बकाया लगभग 1.30 लाख करोड़ रुपये है. यानी अब इस साल से 1,30,701 करोड़ रुपये मूल्य के ऐसे बॉन्ड का भुगतान करना पड़ेगा, जिन पर देय ब्याज भी 10,000 करोड़ रुपये है. सूत्रों के अनुसार, अगले पांच सालों तक यानी 2026 तक भुगतान करना जारी रहेगा.
पिछले 7 सालों में बॉन्डों के ब्याज भुगतान पर खर्च किए गए 70,000 करोड़ रुपये
सामान्य परिस्थितियों में, सब्सिडी को राजस्व व्यय (Revenue Expenditure) के रूप में माना जाता है और इस तरह ये सरकार के ही बजट का एक हिस्सा बनता है. सूत्रों ने कहा कि इस तरह उस समय की UPA सरकार ने बॉन्ड के भुगतान की ये जिम्मेदारी आगे आने वाली केंद्र की सरकार पर डाल दी. जो राशि आज केंद्र सरकार को चुकानी पड़ रही है, वह काफी बड़ी है, जिसका असर आज की केंद्र सरकार के अन्य कार्यक्रमों पर पड़ेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के पिछले सात सालों में, इन बॉन्डों पर केवल ब्याज भुगतान पर ही 70,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.
‘UPA सरकार की ‘वित्तीय धोखाधड़ी’ का नुकसान उठा रहे आज के उपभोक्ता’
सरकार ने आरोप लगाया है कि यूपीए सरकार (2004-2014) की तरफ से तेल बॉन्ड के साधन का इस्तेमाल कर ‘वित्तीय धोखाधड़ी’ की गई थी, जिसका नुकसान आज देश के उपभोक्ताओं को उठाना पड़ रहा है. वहीं, इस रिपोर्ट को लेकर बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने कहा, “पेट्रोल और डीजल की बढ़ी हुई कीमतें यूपीए सरकार के कुप्रबंधन (Mismanagement) की देन हैं. हम उन तेल बॉन्डों की कीमत चुका रहे हैं जो वित्त वर्ष 2021 से 26 तक भुगतान के लिए आएंगे, जो कि यूपीए सरकार की तरफ से तेल कंपनियों को खुदरा कीमतों में वृद्धि न करने के लिए जारी किए गए थे! खराब अर्थशास्त्र, खराब राजनीति.”
हालांकि, कांग्रेस ने इन दावों को खारिज किया है. दिल्ली के प्रोफेशनल्स कांग्रेस के अध्यक्ष अमिताभ दुबे ने कहा कि पीएम मोदी की सरकार ने पिछले छह हफ्तों में ही ईंधन की कीमतों में 7 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है.
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