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बीफ खाना हमारा संवैधानिक अधिकार है- मोहम्मद फैजल,लक्षद्वीप सांसद. - श्रीनारद मीडिया

बीफ खाना हमारा संवैधानिक अधिकार है- मोहम्मद फैजल,लक्षद्वीप सांसद.

बीफ खाना हमारा संवैधानिक अधिकार है- मोहम्मद फैजल,लक्षद्वीप सांसद.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आमतौर पर शांत, कोरल रीफ और अपने समुद्री तालों के लिए मशहूर लक्षद्वीप खबरों से दूर ही रहता है, लेकिन पिछले दो हफ्ते से ये सुर्खियों में है। इसकी वजह है, यहां के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के हाल के महीनों में उठाए गए कदम। दरअसल, दमन-दीव और दादरा-नगर हवेली के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल को दिसंबर 2020 में लक्षद्वीप का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। तब से उन्होंने यहां बीफ बैन कर दिया है, शराब पर लगी पाबंदी हटा दी है, नए डेवलपमेंट अथॉरिटी को असीमित अधिकार दे दिए हैं और एक सख्त कानून पारित किया है जिसके तहत किसी को भी एक साल तक बिना जमानत के जेल में डाला जा सकता है।

इसके खिलाफ यहां के लोग सड़कों पर हैं। उन्हें डर है कि उनकी जमीन, उनके अधिकार, रहन-सहन और संस्कृति खतरे में हैं। बता दें कि करीब 70 हजार की आबादी वाले लक्षद्वीप में 96% मुसलमान हैं।

मैं वहां का सांसद हूं। मुझे भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। जब इसका ड्राफ्ट पब्लिश हुआ, तब मुझे पता चला। जिस तरह वहां के आम लोगों को इस बारे में पता चला, उसी तरह मुझे भी पता चला। पंचायत के प्रतिनिधियों को भी इसके बारे में ना कोई जानकारी दी गई थी और ना ही उनसे कोई चर्चा की गई थी। ये एकतरफा कानून हैं, जो लाए जा रहे हैं।

लोकतांत्रिक प्रक्रिया में प्री-लेजिस्लेटिव कंसल्टेशन (कानून बनाए जाने से पहले चर्चा ) का सिद्धांत होता है। लक्षद्वीप में किसी से भी इन प्रस्तावों के बारे में ना कोई बात की गई और ना ही कोई राय ली गई। ना सांसद से बात हुई, ना जिला पंचायत से बात हुई। जो ड्राफ्ट पब्लिश हुआ है वो सिर्फ अंग्रेजी भाषा में हैं, वहां के लोगों की मातृभाषा में नहीं है। लक्षद्वीप के अधिकतर लोग मलयालम बोलते हैं। ड्राफ्ट में क्या है, उसके अनुवाद के बिना स्थानीय लोग कैसे समझेंगे?

जब ये ड्राफ्ट निकाला गया, तब महामारी अपने चरम पर थी। लक्षद्वीप में लॉकडाउन चल रहा है। यदि किसी को ऑब्जेक्शन फाइल करना हो या वकील से राय लेनी है तो वो यह भी नहीं कर सकता है। एक महीने से लक्षद्वीप में तीन स्तरीय लॉकडाउन है। ऐसे में कोई भी इस ड्राफ्ट का विरोध करने की स्थिति में नहीं है।

सबसे बड़ा मुद्दा ये है कि लक्षद्वीप डेवलपमेंट अथॉरिटी लाने की जो कोशिश की जा रही है, उससे लोगों को लग रहा है कि उनकी जमीन खतरे में है। प्रशासन अथॉरिटी को लोगों की जमीन छीनने का अधिकार दे रहा है। इससे लोगों में दहशत का माहौल है।

लक्षद्वीप एक बहुत ही छोटी जगह है जिसकी इकोलॉजी बहुत नाजुक है। यहां किसी भी तरह के विकास के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही नोटिफिकेशन जारी किया हुआ है। भारत सरकार ने गजट में उसे लागू भी किया है। अब प्रफुल्ल पटेल जो कानून ला रहे हैं, वो इस नोटिफिकेशन का ही उल्लंघन है। लक्षद्वीप के लोगों में इस नए कानून को लेकर डर है और वो प्रदर्शन करके केंद्र सरकार को इससे अवगत करा रहे हैं। हम चाहते हैं कि कोई भी कानून पूरी प्रक्रिया का पालन करके ही लाया जाए। स्थानीय लोगों और पंचायत से चर्चा की जानी चाहिए।

लक्षद्वीप में लोग इतने सालों से बीफ खा रहे हैं। हमारी ईटिंग हैबिट हमारा संवैधानिक अधिकार है। ईटिंग हैबिट में दखलअंदाजी करने की कोशिश है। यहां के बच्चों के मिड डे मील से नॉनवेज आइटम निकाले जा रहे हैं। ये हमारे संवैधानिक अधिकारों पर चोट है। ये सही नहीं है।

हमने सेव लक्षद्वीप फोरम शुरू किया है। इसमें बीजेपी सहित लक्षद्वीप की सभी पार्टियां शामिल हैं। हमने सोमवार को हंगर स्ट्राइक की, जिसमें पूरा लक्षद्वीप शामिल रहा। इसके अलावा देश और दुनियाभर में रह रहे लक्षद्वीप के लोगों ने 12 घंटे की भूख हड़ताल की है। जब तक प्रफुल्ल पटेल को वापस नहीं बुलाया जाएगा, तब तक हमारे प्रोटेस्ट जारी रहेंगे। लक्षद्वीप को ऐसे प्रशासक की जरूरत है जो यहां के लोगों को समझे, यहां के रिप्रेजेंटेटिव्स का सम्मान करे। प्रफुल्ल पटेल ने जो भी आदेश पारित किए हैं, उन्हें वापस लिए जाने तक हमारा प्रोटेस्ट चलता रहेगा।

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