शिक्षा मनुष्य की अनमोल निधि है -आचार्य अरविन्द

शिक्षा मनुष्य की अनमोल निधि है -आचार्य अरविन्द
शिक्षा पाने के लिए हनुमान जी ने किया था शादी ।

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श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):

सीवान जिला के जीरादेई प्रखण्ड क्षेत्र के भरौली मठ परिसर में चल रहे श्री बाल मुकुंद महायज्ञ के दूसरे अष्टम दिन मंगलवार को प्रवचन मेँ आचार्य अरविन्द मिश्र ने कहा कि शिक्षा मनुष्य की अनमोल निधि है जो मनुष्य के जीवन में ज्ञान विज्ञान व अध्यात्म के क्षेत्र में निखार लाती है ।उन्होंने बताया कि इसी शिक्षा को पाने के लिए ब्रह्मचारी हनुमान जी को शादी करनी पड़ी पर शादी के बाद भी वे ब्रह्मचर्य ही रहे क्योंकि जीवन में कभी भी वे सहवास नहीं किये ।

आचार्य ने बताया कि सूर्यदेव की पुत्री से हुआ था हनुमान जी का व‍िवाह।उन्होंने बताया कि पाराशर संहिता में है वर्णन कि मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी को ब्रह्मचारी माना जाता है लेकिन पुराणों में उनकी पत्‍नी सुवर्चला बताई गई हैं।

तेलंगाना में उनके नाम का एक मंद‍िर भी बना है तथा यहां पूरी श्रद्धा के साथ उनका पूजन क‍िया जाता है। बता दें कि तेलंगाना के खम्मम जिले में हनुमान जी का ये मंद‍िर देश का अकेला ऐसा मंद‍िर है जहां उनकी मूर्ति पत्‍नी के साथ स्‍थाप‍ित है। आचार्य ने बताया कि जहां तक इनके व‍िवाह‍ि‍त होने की बात है तो पाराशर संहिता में हनुमान जी और सुवर्चला के विवाह की कथा है।

उन्होंने बताया कि तेलंगाना के इस मंद‍िर की मान्यता का आधार पाराशर संहिता को माना गया है। पाराशर संहिता में ही हनुमान जी के विवाहित होने का प्रमाण मिलता है। उनका विवाह सूर्यदेव की पुत्री सुवर्चला से हुआ है।

आचार्य ने बताया कि संहिता के अनुसार, हनुमानजी ने सूर्य देव को अपना गुरु बनाया था। सूर्य देव के पास 9 दिव्य विद्याएं थीं ज‍िनका ज्ञान बजरंग बली प्राप्त करना चाहते थे। सूर्य देव ने इन 9 में से 5 विद्याओं का ज्ञान तो हनुमानजी को दे दिया, लेकिन शेष 4 विद्याओं के लिए सूर्य के समक्ष एक संकट खड़ा हो गया।

दरअसल इन 4 दिव्य विद्याओं का ज्ञान सिर्फ उन्हीं शिष्यों को दिया जा सकता था जो विवाहित हों। इस समस्या को दूर करने के लिए सूर्य देव ने हनुमानजी से विवाह करने की बात कही।

आचार्य ने बताया कि  हनुमान जी के परम भक्ति ,समर्पण व जिज्ञसा को देखते हुए सूर्यदेव ने अपनी तपस्वी व विदूषी पुत्री सुवर्चला को राजी किया तथा हनुमान जी से शादी कराया शादी केवल विद्या अध्ययन के लिए ही किया गया था । शादी के तुरंत बाद पुनः उनकी पत्नी तपस्या में लीन हो गयी ।उन्होंने बताया कि हनुमान जी ने जीवन में कभी भी सहवास नहीं किये है इसलिए आजीवन ब्रह्मचारी है ।

आचार्य ने बताया कि सूर्यदेव ने इस शादी पर कहा है कि “यह शादी ब्रह्मांड के कल्याण के लिए ही हुआ है ।और इससे हनुमान जी का ब्रह्मचर्य भी प्रभावित नहीं हुआ । आचार्य अरविन्द तिवारी ने बताया कि इस प्रकार की घटना आदिशंकराचार्य के साथ भी घटित हुई थी जब वे मडंलमिश्र के पत्नी से शास्त्रार्थ में परास्त हुए थे उन्होंने ने भी अपनी अध्यात्म शक्ति से शादी के रहस्य को जाना तथा फिर मडंल मिश्र के पत्नी के प्रश्न का जबाब दिया था ।इस मौके पर परम् गुरु रामनारायण दास जी महाराज

साध्वी नीता उर्फ़ माता जी,
राहुल चौबे, आचार्य गोलू बाबा,
जिला पार्षद हिरा लाल साह,
श्रीमती देवी,उषा देवी,
प्रधानाध्याक कृष्ण कुमार सिंह, हरिकांत सिंह, मुखिया नागेंद्र सिंह, पूर्व मुखिया वीणा देवी,जीतेन्द्र सिंह, रामेश्वर सिंह,नंद जी चौधरी, वृज बिहारी दूबे,विजय सिंह, विकास सिंह उपेंद्र उपाध्याय दीपक जी, उपेंद्र सिंह,आदि उपस्थित थे ।

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