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रेफ़रल अस्पताल रुपौली एवं अमौर को लक्ष्य कार्यक्रम के तहत जोड़ने की कवायद शुरू - श्रीनारद मीडिया

रेफ़रल अस्पताल रुपौली एवं अमौर को लक्ष्य कार्यक्रम के तहत जोड़ने की कवायद शुरू

रेफ़रल अस्पताल रुपौली एवं अमौर को लक्ष्य कार्यक्रम के तहत जोड़ने की कवायद शुरू:

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बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना अस्पताल का पहला लक्ष्य: एमओआईसी
लक्ष्य योजना को लेकर उत्तम प्रबंधन ज़्यादा जरूरी: अस्पताल प्रबंधक
प्रसव कक्ष व मेटरनिटी ओटी के लिए प्रमाणीकरण की व्यवस्था: यूनीसेफ

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):


राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के उद्देश्य से लक्ष्य कार्यक्रम के तहत प्रमाणीकरण के लिए रुपौली प्रखंड मुख्यालय स्थित रेफ़रल अस्पताल एवं अमौर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का जल्द ही लक्ष्य योजना के तहत निरीक्षण किया जाएगा। जिसके लिए विगत छः महीने से तैयारी चल रही हैं। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग लगातार तैयारी करने में लगी हुई है। सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने बताया कि ज़िले के कई स्वास्थ्य केंद्रों को लक्ष्य योजना के तहत प्रमाणीकरण किया जा चुका है। लेकिन अब अमौर पीएचसी एवं रेफरल अस्पताल रुपौली को लक्ष्य कार्यक्रम से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी गई है। इन दोनों अस्पताल में सफ़ाई, शुद्ध पेयजल, शौचालय, जच्चा एवं बच्चा, कागज़ात, संस्थागत प्रसव को लेकर कई तरह के आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं। जिसके लिए यूनीसेफ की ओर से दो सदस्यीय टीम के द्वारा लगातार कई महीनों से जीएनएम एवं एएनएम को प्रशिक्षित करने का काम किया जा रहा है। अस्पताल में प्रसव से जुड़ी हुई सेवाओं को पहले की अपेक्षा और बेहतर करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। रेफ़रल अस्पताल रुपौली में प्रशिक्षण के दौरान अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मिथिलेश कुमार, अस्पताल प्रबंधक सलीमा खातून, यूनिसेफ की ओर से प्रशिक्षक के रूप में (रिसर्च स्कॉलर) मोअम्मर हाशमी, प्रशिक्षु नंदन कुमार झा, जीएनएम रीता कुमारी, प्रणिता कुमारी, रौली कुमारी, खुशबू कुमारी, एएनएम सिन्हा कुमारी इंदु, मंजू कुमारी, बबिता कुमारी सहित कई अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थे।

बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना अस्पताल का पहला लक्ष्य: एमओआईसी
रेफ़रल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मिथिलेश कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग एवं यूनिसेफ की ओर दिए गए दिशा-निर्देश के अलोक में स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं कर्मी संस्थागत व सुरक्षित प्रसव को लेकर पूरी तरह से सजग हैं। प्रसूति विभाग से संबंधित सभी तरह की सुख सुविधाओं को सुदृढ़ बनाना और इससे जुड़ी हुई सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाना है। जिससे मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने, प्रसव के बाद जच्चा बच्चा को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिहाज से लक्ष्य प्रमाणीकरण बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ही स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा लक्ष्य कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। इसके तहत प्रसव कक्ष, मैटरनिटी सेंटर, ऑपरेशन थियेटर व प्रसूता के लिए बनाये गए एसएनसीयू की गुणवत्ता में सुधार लाना है।

लक्ष्य योजना को लेकर उत्तम प्रबंधन ज़्यादा जरूरी: अस्पताल प्रबंधक
ज़िला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रसव के लिए उपलब्ध संसाधनों की बदौलत ही प्रसव कराया जाता है लेकिन लक्ष्य प्रमाणीकरण के बाद अत्याधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण होने के बाद जटिल समस्याओं का समाधान यहीं पर होने लगेगा। जिससे स्थानीय ग्रामीणों को परेशानियों से निजात मिलनी शुरू हो जाएगी। प्रसूति विभाग से संबंधित सभी तरह के आवश्यक फाइलों को सुधारा जा रहा है। प्रशिक्षण देने आई टीम के द्वारा जीएनएम एवं एएनएम सहित अस्पताल के कर्मियों से लक्ष्य प्रमाणीकरण से संबंधित सभी तरह के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तृत रूप से चर्चा की जा रही है। लेबर रूम से संबंधित फाइलों की अद्यतन जानकारी देने के साथ ही जीएनएम एवं एएनएम को बेहतर कार्य करने की जिम्मेदारी भी दी जा रही है। प्रशिक्षण के दौरान जीएनएम को सख़्त निर्देश देते हुए कहा गया कि मग्सल्फ़, कैल्सियम ग्लूकोनेट, डेक्सामेथासोन, एम्पीसिलिन, जेन्टामाइसीन, मेट्रोनिदाजोल, हाइड्रोकोरटीसोन सक्सीनेट,
नेफीदेपिन, मिथाइलडोपा जैसी दवाओं की आपूर्ति ससमय होनी चाहिए। ताकि किसी भी परिस्थितियों से निबटने के कोई परेशानी नहीं हो।

प्रसव कक्ष व मैटरनिटी ओटी के लिए प्रमाणीकरण की व्यवस्था: यूनिसेफ
लक्ष्य इनिसिएटिव सह यूनिसेफ के प्रमंडलीय सलाहकार शिव शेखर आनंद ने लक्ष्य योजना के संबंध में बताया कि लक्ष्य योजना के तहत भारत सरकार द्वारा प्रसव कक्ष व मैटरनिटी ओटी के लिए प्रमाणीकरण की व्यवस्था की गयी है। जो मानक स्तर पर प्रसव से संबंधित सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराने के बाद ही दी जाती है। हालांकि इसकी व्यवस्था तीन स्तरों पर की गई है। पहला अस्पताल स्तर पर क्वालिटी सर्किल टीम, दूसरा जिला स्तर पर जिला गुणवत्ता यकीन समिति, प्रमंडलीय स्तर पर रिजनल कोचिंग टीम के स्तर से निरीक्षण के बाद ही निर्धारित मानकों के आधार पर कम से कम 70 प्रतिशत उपलब्धि प्राप्त होने के बाद इसे राज्य स्तर पर मान्यता लेने के लिए भेजा जाता है। इसके साथ ही राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा गठित टीम के द्वारा प्रसव कक्ष और ओटी के निरीक्षण के बाद ऑडिट की जाती है। मुख्यालय के टीम द्वारा विभिन्न मानकों के निरीक्षण में कम से कम 70 प्रतिशत अंक प्राप्त होने चाहिए तभी राज्यस्तरीय टीम के द्वारा उसे प्रमाण पत्र दिया जाता है। राज्यस्तरीय प्रमाण पत्र के बाद इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के पास भेजा जाता है। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर की टीम अस्पताल का निरीक्षण व ऑडिट करती है। कम से कम 70 प्रतिशत अंक मिलने पर ही लक्ष्य प्रमाणीकरण प्राप्त होता है।

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