Breaking

Eid al-Adha 2024: देशभर में आज मनाई जा रही बकरीद, जानें इसके पीछे का इतिहास

Eid al-Adha 2024: देशभर में आज मनाई जा रही बकरीद, जानें इसके पीछे का इतिहास

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

Eid al-Adha 2024: आज देशभर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ बकरीद का त्योहार मनाया जा रहा है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार, बकरीद हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है. बकरीद को ईद उल अजहा, ईद उल जुहा, बकरा ईद अथवा ईद उल बकरा के नाम से भी जाना जाता है. बकरीद के मौके पर मुस्लिम धर्म में नमाज पढ़ने के साथ साथ जानवरों की कुर्बानी भी दी जाती है. इस्लाम के अनुसार, मुस्लिम धर्म के लोग अल्लाह की रजा के लिए कुर्बानी करते हैं.इस्लाम में कुर्बानी का महत्व (Significance of Qurbani) इस्लाम में कुर्बानी का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है. कुरान के अनुसार कहा जाता है कि एक बार अल्लाह ने हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेनी चाही.

 

उन्होंने हजरत इब्राहिम को हुक्म दिया कि वह अपनी सबसे प्यारी चीज को उन्हें कुर्बान कर दें. हजरत इब्राहिम को उनके बेटे हजरत ईस्माइल सबसे ज्यादा प्यारे थे. अल्लाह के हुक्म के बाद हजरत इब्राहिम ने ये बात अपने बेटे हजरत ईस्माइल को बताई. बता दें, हजरत इब्राहिम को 80 साल की उम्र में औलाद नसीब हुई थी. जिसके बाद उनके लिए अपने बेटे की कुर्बानी देना बेहद मुश्किल काम था. लेकिन हजरत इब्राहिम ने अल्लाह के हुक्म और बेटे की मुहब्बत में से अल्लाह के हुक्म को चुनते हुए बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया.हजरत इब्राहिम ने अल्लाह का नाम लेते हुए अपने बेटे के गले पर छूरी चला दी. लेकिन जब उन्होंने अपनी आंख खोली तो देखा कि उनका बेटा बगल में जिंदा खड़ा है और उसकी जगह बकरे जैसी शक्ल का जानवर कटा हुआ लेटा हुआ है. जिसके बाद अल्लाह की राह में कुर्बानी देने की शुरूआत हुई.क्यों दी जाती है कुर्बानी ईद-उल-अजहा हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है.

 

इस दिन इस्लाम धर्म के लोग किसी जानवर की कुर्बानी देते हैं. इस्लाम में सिर्फ हलाल के तरीके से कमाए हुए पैसों से ही कुर्बानी जायज मानी जाती है. कुर्बानी का गोश्त अकेले अपने परिवार के लिए नहीं रख सकता है. इसके तीन हिस्से किए जाते हैं. पहला हिस्सा गरीबों के लिए होता है. दूसरा हिस्सा दोस्त और रिश्तेदारों के लिए और तीसरा हिस्सा अपने घर के लिए होता है.इतने लोग मिलकर दे सकते हैं कुर्बानी कुर्बानी के लिए जानवरों चुनते समय पर अलग-अलग हिस्से हैं. जहां बड़े जानवर ( भैंस ) पर सात हिस्से होते हैं तो वहीं बकरे जैसे छोटे जानवरों पर महज एक हिस्सा होता है.

 

मतलब साफ है कि अगर कोई शख्स भैंस या ऊंट की कुर्बानी कराता है तो उसमें सात लोगों को शामिल किया जा सकता है. वहीं बकरे की कराता है तो वो सिर्फ एक शख्स के नाम पर होता है.कैसे जानवर की कुर्बानी की जाती है इस्लाम में ऐसे जानवरों की कुर्बानी ही जायज मानी जाती है जो जानवर सेहतमंद होते हैं. अगर जानवर को किसी भी तरह की कोई बीमारी या तकलीफ हो तो अल्लाह ऐसे जानवर की कुर्बानी से राजी नहीं होता है.

यह भी पढ़े

आगरा में लिव इन रिलेशनशिप में रही युवती ने अपने नये प्रेमी के साथ मिलकर की एक्स बॉयफ्रैंड की दिनदहाड़े कराई हत्या..युवती सहित पांच गिरफ्तार

संगीता हत्याकांड : सगे भाई ही निकले क़ातिल..

गोलीबारी मामले में एफआईआर दर्ज:अस्पताल के बाहर अपराधियों ने मारी थी गोली

क्या पप्पू पास कैसे हो गया है?

30 जून को चरखी दादरी में होगी आम आदमी पार्टी की महारैली : अनुराग ढांडा 

श्री जयराम विद्यापीठ में श्रद्धा भाव के हुआ गंगा दशहरे का पूजन एवं अभिषेक

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!