सृष्टि के रक्षक भगवान विष्णु को समर्पित है एकादशी तिथि

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

हिन्दू धर्म में आमलकी एकादशी हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को बड़े ही उत्साह से मनाई जाती है. यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, आमलकी एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. यह व्रत पितृ दोष निवारण के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है. आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास माना जाता है, इसलिए इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है. आमलकी एकादशी का व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन दान-पुण्य करने से कई जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है.

आंवला एकादशी, जिसे फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हर वर्ष महाशिवरात्रि और होली के बीच आती है. इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है और आंवले का भोग अर्पित किया जाता है. वर्ष 2025 में आंवला एकादशी को विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है, क्योंकि इस दिन तीन शुभ योग का निर्माण हो रहा है और 68 मिनट का भद्रा काल भी उपस्थित रहेगा.

आंवला एकादशी 2025 की तिथि और समय

  • एकादशी तिथि प्रारंभ – 9 मार्च 2025, सुबह 06:15 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त – 10 मार्च 2025, सुबह 06:14 बजे
  • व्रत रखने का दिन (उदयातिथि के अनुसार) – 10 मार्च 2025, सोमवार

इस बार बन रहे हैं तीन शुभ योग

  • सर्वार्थ सिद्धि योग – सुबह 06:36 बजे से रात 12:51 बजे तक
  • शोभन योग – सुबह से दोपहर 1:57 बजे तक
  • पुष्य नक्षत्र – पूरे दिन सक्रिय रहेगा, रात 12:51 बजे समाप्त होगा

ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है, विशेष रूप से जब यह शोभन योग के साथ होता है, जो जीवन में समृद्धि और सफलता का प्रतीक है.

व्रत पारण (उपवास खोलने) का सही समय

व्रत समाप्त करने की प्रक्रिया को पारण कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार, द्वादशी तिथि में पारण करना अनिवार्य है, किंतु हरि वासर (द्वादशी का पहला चौथाई भाग) के दौरान व्रत का उल्लंघन नहीं करना चाहिए. सर्वोत्तम समय प्रात:काल होता है, जबकि मध्यान्ह में पारण करने से परहेज करना चाहिए.

  • व्रत पारण का समय – 11 मार्च 2025
  • पारण मुहूर्त – सुबह 06:11 बजे से 06:43 बजे तक
  • द्वादशी समाप्ति का समय – सुबह 06:43 बजे

आंवला एकादशी का महत्व

आंवला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है. इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करना और आंवला का दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है. जो लोग इस दिन विधिपूर्वक व्रत करते हैं, उन्हें समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और जीवन में सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

आमलकी एकादशी पूजा विधि

 

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