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चुनाव आयोग की घोषणा, राष्ट्रपति चुनाव के लिये18 जुलाई को होगी वोटिंग.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश में राष्ट्रपति चुनाव (President Election 2022) की तारीख का एलान हो गया है। चुनाव आयोग ने गुरुवार दोपहर राष्ट्रपति चुनाव की तारीख का एलान किया है। निर्वाचन आयोग ने बताया कि 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होगा। इसके लिए 15 जून को अधिसूचना जारी हो जाएगी।

आयोग ने आगे बताया कि 29 जून तक नामांकन दाखिल किया जाएगा। 21 जुलाई को चुनाव के नतीजे आएंगे। गौरतलब है कि मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को पूरा हो रहा है।

राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया

भारत के राष्ट्रपति का चुनाव अनुच्छेद 55 के अनुसार आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा होता है। राष्ट्रपति को भारत के संसद के दोनो सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के अलावा राज्य की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों पांच साल के लिए चुनते हैं।

2017 में हुआ था राष्ट्रपति चुनाव 

संविधान के अनुच्छेद 62 के अनुसार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) 24 जुलाई को अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा कर रहे हैं और अगले राष्ट्रपति के लिए चुनाव इससे पहले ही होना चाहिए। बता दें कि 17 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति चुनाव हुआ था और इसके नतीजे की घोषणा 20 जुलाई को हुई थी। उस वक्त करीब पचास फीसद वोट एनडीए के पक्ष में थे साथ ही क्षेत्रीय दलों में भी अधिकतर दलों का समर्थन मिल गया था।

राष्ट्रपति बनने के लिए 5,49,441 वोटों की दरकार

देश के सभी निर्वाचित सांसद और विधायक इसमें वोट देते हैं। राष्ट्रपति बनने के लिए 549441 वोटों की दरकार है। राष्ट्रपति चुनाव में सबसे अधिक वोट हासिल करने से जीत का फैसला नहीं लिया जाता। इसमें वोटों का वेटेज देखा जाता है। वर्तमान में राष्ट्रपति चुनाव के लिए इलेक्टोरल कालेज के सदस्यों के वोटों का कुल वेटेज 1098882 है। जीत के लिए उम्मीदवार को 549441 वोट हासिल करना होगा। राज्यसभा, लोकसभा या विधानसभाओं के मनोनीत सदस्यों को राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने का अधिकार नहीं है। ऐसे ही, राज्यों के विधान परिषदों के सदस्यों को भी राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेने का अधिकार नहीं है।

देश में राष्‍ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया 15 जून को शुरू हो जाएगी। इसके लिए नामांकन की अंतिम तारीख 29 जून तक है। इसमें मतदान 18 जुलाई को होगा। वहीं देश के सामने नए महामहिम यानि नतीजे 21 जुलाई को आएंगे। इसके बाद 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नए राष्ट्रपति को शपथ दिलाएंगे। 1977 में नीलम संजीव रेड्डी अकेले ऐसे राष्ट्रपति हुए, जो निर्विरोध चुने गए थे। वहीं डाक्टर राजेंद्र प्रसाद अकेले राष्ट्रपति थे जो दो बार चुने गए।

राष्ट्रपति चुनाव के लिए क्‍या है योग्यता और उम्र

इसके लिए उम्‍मीदवार को भारत का नागरिक होना चाहिए। उसकी आयु कम से कम 35 साल होनी चाहिए। लोकसभा का सदस्य होने की पात्रता होनी चाहिए। उम्‍मीदवारी के लिए इलेक्टोरल कालेज के पचास प्रस्तावक और पचास समर्थन करने वाले होने चाहिए। राष्ट्रपति का मूल कर्तव्य संघ की कार्यकारी शक्तियों का निर्वहन करना है। सेना के प्रमुखों की नियुक्ति भी वो करते हैं।क्‍या है राष्‍ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया

देश में राष्ट्रपति का निर्वाचन इलेक्टोरल कालेज द्वारा किया जाता है। इन इलेक्टोरल कालेज निर्वाचक मंडल के सदस्य होते हैं। निर्वाचक मंडल में लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य और इसके अलावा सभी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होते हैं।

राज्‍यों की विधान परिषद् के सदस्य उसके सदस्य नहीं होते। यहां तक कि लोकसभा और राज्यसभा के नामांकित सदस्य भी इसके सदस्य नहीं होते हैं।

लेकिन इन सभी के मतों का मूल्य अलग-अलग होता है। लोकसभा और राज्यसभा के मत का मूल्य एक होता है। एक सांसद के वोट की वैल्यू 708 होती है। विधानसभा के सदस्यों का मूल्‍य अलग- अलग होता है। ये राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है।

राष्ट्रपति चुनाव में कुल कितने वोटर्स होंगे?

इस चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों के विधानसभा के सदस्य वोट डालेंगे। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में से 233 सांसद ही वोट डाल सकते हैं। 12 मनोनीत सांसद इस चुनाव में वोट नहीं डालते हैं। इसके साथ ही लोकसभा के सभी 543 सदस्य वोटिंग में हिस्सा लेंगे। इनमें हाल में होने जा रहे आजमगढ़, रामपुर और संगरूर में उप चुनाव में जीतने वाले सांसद भी शामिल होंगे। इसके अलावा देश के सभी राज्यों के कुल 4 हजार 33 विधायक भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डालेंगे। इस तरह से राष्ट्रपति चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 4 हजार 809 होगी। हालांकि, इनके वोटों का मूल्‍य अलग-अलग होगा।

राज्यवार विधायकों के वोट की कितनी अहमियत?

देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का मूल्‍य सबसे ज्यादा 208 होता है। वहीं, इसके बाद झारखंड और तमिलनाडु के एक विधायक के वोट की मूल्‍य 176 तो महाराष्ट्र के एक विधायक के वोट का मूल्‍य 175 होता है। बिहार के एक विधायक के वोट का मूल्‍य 173 होता है। सबसे कम मूल्‍य सिक्किम के विधायकों की होती है। यहां के एक विधायक के वोट का मूल्‍य सात है। वहीं मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश के विधायकों के वोट की मूल्‍य आठ है।

विशेष पेन से वोटिंग

राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने की प्रक्रिया भी आम चुनाव जैसी नहीं होती है। वोटर्स को चुनाव आयोग की ओर से एक विशेष पेन दी जाती है। उसी पेन से उम्मीदवारों के आगे वोटर को नंबर लिखने होते हैं। एक नंबर उसे सबसे पसंदीदा उम्मीदवार के नाम के आगे डालना होता है। ऐसे दूसरी पसंद वाले उम्मीदवार के आगे दो लिखना हो

25 जुलाई को ही क्यों शपथ लेते हैं नए राष्ट्रपति?

आम तौर पर हर पांच साल पर 25 जुलाई को देश को नया राष्ट्रपति मिलता है। ये सिलसिला 1977 से चल रहा है। जब उस वक्त के राष्ट्रपति फकरुद्दीन अली अहमद का कार्यकाल के दौरान फरवरी 1977 में निधन हो गया। उनके निधन के बाद उप राष्ट्रपति बीडी जत्ती कार्यवाहक राष्ट्रपति बने। नए राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद नीलम संजीव रेड्डी 25 जुलाई 1977 को राष्ट्रपति बने। इसके बाद से ही हर पांच साल पर 25 जुलाई को राष्ट्रपति चुने जाते हैं।

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