बिहार में विधानपरिषद की इन 24 सीटों पर नहीं होगा चुनाव,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कैबिनेट के निर्णय के बाद बिहार विधान परिषद की 24 सीटों पर अब चुनाव नहीं होगा. राज्य में 15 जून के बाद स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र में कोई इलेक्ट्रॉल कॉलेज ही नहीं रहेगा. ऐसी स्थिति में विधान परिषद की रिक्त होनेवाली सीटों पर स्थानीय प्राधिकार के सभी मतदाताओं को वोट देने का अधिकार ही समाप्त हो जायेगा. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने भी स्थानीय प्राधिकार के इलेक्ट्रॉल कॉलेज नहीं रहने से भारत निर्वाचन आयोग को अवगत करा दिया है.

स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र से 24 सदस्यों का चुनाव बिहार विधान परिषद में होता है. इनका कार्यकाल जुलाई में पूरा हो रहा है. विधान परिषद के निर्वाचित सदस्यों के कार्यकाल के पूर्व ही नये सिरे से चुनाव कराया जाना था. इधर, त्रिस्तरीय पंचायती राज का आम चुनाव नहीं हुआ.

विधान परिषद की इन सीटों के निर्वाचन में ग्राम पंचायत के 8000 मुखिया, एक लाख 10 हजार वार्ड सदस्य, 11457 पंचायत समिति सदस्य और 1161 जिला परिषद सदस्यों के अलावा नगर निगमों, नगर पर्षदों, नगर पंचायतों के वार्ड सदस्यों के साथ छावनी क्षेत्र के सदस्य मतदाता होते हैं. इसमें कुल मतदाताओं का 97 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों का होता है. सिर्फ तीन फीसदी वोटर ही नगर निकायों को होते हैं. ऐसी स्थिति में पंचायतों के चुनाव स्थगित होने के साथ ही विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार का चुनाव अब तब तक के लिए टल गया है जब तक कि पंचायत आम चुनाव संपन्न नहीं हो जाता.

बिहार में पंचायत चुनाव न होने की स्थिति में मुखिया और सरपंच के कार्यकाल को लेकर अटकलों का बाजार गर्म था. वहीं अब मंत्री सम्राट चौधरी ने पंचायत चुनाव को लेकर बड़ा ऐलान किया है. मंत्री ने कहा है कि राज्य में मुखिया और सरपंच के चुनाव न होने पर परामर्श समिति बनाई जाएगी.

पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने ट्वीट कर कहा कि बिहार में पंचायत चुनाव नहीं होने की स्थिति में बिहार में पंचायत, ग्राम कचहरी, पंचायत समिति, जिला परिषद में परामर्शीसमिति का गठन किया जाएगा. बताया जा रहा है कि 15 जून के बाद यही समिति गांव की सत्ता संभालेगी.

पंचायत चुनाव का टलना तय – बिहार में कोरोना क्राइसिस के बीच पंचायत चुनाव का टलना तय माना जा रहा है. राज्य में आठ जून तक कोरोनावायरस रोकथाम के लिए लॉकडाउन लगाया गया है. वहीं 15 जून तक जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म होने वाला है. बिहार में ढाई लाख जनप्रतिनिधि हैं.

मांझी और सहनी ने की थी कार्यकाल बढ़ाने की मांग- बता दें कि पिछले दिनों सरकार के सहयोगी दल वीआईपी के नेता मुकेश सहनी और हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार को पत्र लिखा था. दोनों पार्टी ने सीएम से मांग करते हुए कहा कि राज्य में पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाया जाए और उनके पावर को न सीज किया जाए. कोरोना को रोकथाम के लिए इन प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाया जाए.

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