एईएस व जेई मरीजों को समय से अस्पताल पहुंचाने में ईएमटी की भूमिका अहम: सिविल सर्जन
• चमकी बुखार व जेई को लेकर एंबुलेंस ईएमटी को दिया गया प्रशिक्षण
• केयर इंडिया के सहयोग से दो दिवसीय उन्मुखीकरण प्रशिक्षण का हुआ आयोजन
श्रीनारद मीडिया, गोपालगंज (बिहार )
गोपालगंज जिले में एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिन्ड्रोम (एईएस) व जापानी इन्सेफलाइटिस (जेई) की रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य विभाग सजग व तैयार है। सदर अस्पताल में एबुंलेंस मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) की क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण दिया गया। केयर इंडिया के मेंटर और डीटीओ-एफ अमरेंद्र तिवारी ने इस बाबत विस्तार से जानकारी दी। कहा यह प्रशिक्षण देने का मकसद यह है कि चमकी बुखार की चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया जा सके। चमकी बुखार होने पर शुरुआत के चार घंटे काफी महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान जो भी बच्चे एम्बुलेंस से लाए जाएं उनकी उचित देखभाल और प्राथमिक चिकित्सा सुविधा मिलनी जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में एईएस व जेई के मरीजों को तुरंत पहचान एवं ससमय उपचार जैसे कि शरीर का तापमान जांचना, वाइटल साइन को देखना, जीआरबीएस की मॉनिटरिंग आदि के बारे में जानकारी दी गयी।
समय से अस्पताल पहुंचाने में ईएमटी भूमिका महत्वपूर्ण:
इस मौके पर सिविल सर्जन डॉ. योगेंद्र महतो ने कहा एईएस व जेई से बचाव के लिए समय पूर्व तैयारी में यह प्रशिक्षण अहम भूमिका निभायेगा। मरीजों की पहचान के बाद तुरंत नजदिकी स्वास्थ्य केंद्रे में संपूर्ण इलाज करने से नियंत्रण में सहूलियत होगी। मरीज जब अस्पताल में आते हैं तो उनका तत्काल ग्लूकोज लेवल नाप कर उन्हें स्लाइन चढ़ायी जाती है। उसके बाद प्राथमिक उपचार कर के ही रेफरल अस्पताल में भेजा जाता है। यहीं पर इमरजेंसी मेडिकल टेकनीशियन अपनी भूमिका निभाते हैं। यह जिस एम्बुलेंस में होते हैं वह अत्याधुनिक लाइफ सर्पोटिंग सिस्टम मशीनों से लैस रहता है। इसमें ऑक्सीजन सिलेंडर एवं सभी तरह की दवाएं होती हैं। साथ ही मरीज को स्लाइन की भी जरूरत होती है। ऐसे में कोई प्रशिक्षित पारामेडिकल स्टॉफ ही इन सबको संभाल सकता है।
तेज बुखार व चमकी आना प्रमुख लक्षण :
जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ. हरेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया एईएस या चमकी बुखार को बीमारी का छाता कह सकते हैं। इसका कारण अभी तक पता नहीं चल सका। इसके मुख्य कारण गर्मी, नमी व कुपोषण सामने आए हैं। जब गर्मी 36 से 40 डिग्री व नमी 70 से 80 फीसद के बीच हो तो इसकी समस्या शुरू होती है। बीमारी का लक्षण तेज बुखार व चमकी आना है, इसलिए इसे चमकी बुखार कहते हैं। इसमें बच्चा देखते-देखते बेहोश हो जाता है।
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