बिहार के बेगूसराय निवासी इंजीनियर मणिपुर में लापता,मलबे में दबा पूरा कैंप.

बिहार के बेगूसराय निवासी इंजीनियर मणिपुर में लापता,मलबे में दबा पूरा कैंप.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार में बेगूसराय जिले के नावकोठी थाने के रजाकपुर गांव निवासी रमण कुमार के 28 वर्षीय इंजीनियर पुत्र नीरज कुमार मणिपुर में तैनात हैं. वे भूस्खलन होने की वजह से लापता बताए जा रहा हैं. परिवार वालों के अनुसार रात में उनसे बात हुई थी, लेकिन सुबह से उनका मोबाइल बंद बता रहा है. भूस्खलन में लापता नीरज के परिजनों पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है. उसके चाचा विजय कुमार मणिपुर के लिए रवाना हो गए हैं. भूस्खलन की वजह से इंजीनियर नीरज कुमार का पूरा कैंप मलबे में समा गया है.

इंजीनियर नीरीज कुमार भूस्खलन के बाद से लापता

इंजीनियर बीती रात मणिपुर इंफाल के नोनी जिले के टूपुल स्टेशन के पास हुए भूस्खलन के बाद से गायब है. वे बेगूसराय जिले के नावकोठी थाने के रजाकपुर गांव निवासी रमन कुमार का 28 वर्षीय पुत्र नीरज कुमार बताए जा रहा हैं. भारतीय इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड कंपनी में सिविल साइट इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं. वर्तमान में मणिपुर के टूपुल मे कार्य कर रहा था.

बताया गया कि देर रात भयानक भूस्खलन हुआ जिसमें उनका पूरा कैंप मलबे में समा गया. ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि उसका लापता होना मलवे में दबना ही है. परिवार वालों के अनुसार रात में उनसे बात हुई थी, लेकिन सुबह से उनका मोबाइल बंद बता रहा है. भूस्खलन में लापता नीरज के परिजनों पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है. उसके चाचा शिक्षक विजय कुमार मणिपुर के लिए रवाना हो चुके हैं.

जिलाधिकारी ने हर संभव मदद का दिया आश्वासन

बखरी विधायक सूर्य कान्त पासवान ने बेगूसराय के जिला अधिकारी को वस्तु स्थिति से अवगत कराया है. जिलाधिकारी ने हर संभव मदद का आश्वासन दिया है.दूसरी ओर नीरज के लापता होने की खबर सुनते ही कोहराम मच गया. मां रेणु देवी पिता रमण कुमार तो खबर से बदहवास हैं. उनकी हालत बिगड़ गयी है. वे बार बार बेहोश हो रहे हैं. ढांढस बंधाने वाले लोग भी अपने आंसूओं को रोक नहीं पा रहे हैं. गांव के सारे लोग इस घटना से हतप्रभ हैं.

ज्ञात हो की मणिपुर में हुए विनाशकारी भूस्खलन में मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. समाचार एजेंसी एएनआई ने सेना के हवाले से शुक्रवार को बताया कि शुक्रवार को 4 और लोगों के शव मलबे से बरामद हुए. अब तक 14 शव निकाले जा चुके हैं. इसके अलावा 23 लोगों को सुरक्षित बचाया गया है. दर्जनों लोग अब भी लापता हैं. डीजीपी पी. दोंगेल ने बताया कि मलबे में कितने लोग दबे हैं, इसका सही आंकड़ा पता नहीं चला है, लेकिन करीब 60 लोगों के दबने की आशंका है. इनमें सैनिक, रेलवे कर्मचारी, ग्रामीण और मजदूर शामिल हैं.

बुधवार-गुरुवार की रात मणिपुर के नोनी जिले के तुपुल रेलवे स्टेशन के नजदीक भारतीय सेना के 107 टेरिटोरियल आर्मी कैंप के पास ये लैंडस्लाइड हुआ था. यहां पर जिरीबाम से इंफाल के बीच रेलवे लाइन का निर्माण किया जा रहा है. ये सैनिक उसी की सुरक्षा के लिए तैनात थे. भूस्खलन के बाद से ही राहत और बचाव कार्य चलाया जा रहा है.

भारतीय सेना की असम राइफल्स, टेरिटोरियल आर्मी के अलावा एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य कर्मचारी दिन-रात मलबा हटाने में लगे हैं. खराब मौसम के बावजूद रात में भी तलाशी और बचाव अभियान जारी रहा है. इस काम में बुलडोजर भी लगाए गए हैं. लैंडस्लाइड के मलबे से एजाई नदी का पानी भी रुक गया था, जिससे वहां एक जलाशय जैसा बन गया. इसकी वजह आसपास के निचले इलाके के डूबने के खतरा पैदा हो गया है.

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि हादसे के वक्त वहां पर टेरिटोरियल आर्मी के 43 जवान मौजूद थे. जिन लोगों के शव निकाले गए हैं, उनमें से 11 सैनिक हैं. हादसे पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि ने भी शोक जताया है. पीएम मोदी ने कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह से बात की और दुखद भूस्खलन से पैदा हुई स्थिति की समीक्षा की. केंद्र से हरसंभव मदद का उन्हें आश्वासन दिया है. मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने खुद मौके पर जाकर हालात का जायजा लिया.

 

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