UPSC में इंजीनियरिंग के छात्र आर्ट्स विषय चुनकर मार रहे बाजी,कैसे?

UPSC में इंजीनियरिंग के छात्र आर्ट्स विषय चुनकर मार रहे बाजी,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

यूपीएससी टॉपर शुभम ने वैकल्पिक विषय के रूप में एंथ्रोपोलॉजी और जागृति ने सोशियोलॉजी लेकर परीक्षा दी थी। इससे पहले 2019 के टॉपर प्रदीप सिंह ने बीई किया था और वैकल्पिक विषय के रूप में लोक प्रशासन था। 2019 के टॉप-25 में 12 इंजीनियर थे। 2018 में कनिष्क कटारिया ने बाजी मारी, वे भी इंजीनियर हैं। उन्होंने मैथेमेटिक्स को वैकल्पिक विषय चुना। चुने गए छात्रों में शीर्ष रैंक पर इंजीनियरिंग छात्रों का दबदबा लगतार बढ़ रहा है। 2020 में पहले 25 पायदानों पर आए उम्मीदवार इंजीनियरिंग, ह्यूमैनिटीज, कॉमर्स व मेडिकल साइंस स्ट्रीम के हैं।

इस बार के टॉप 25 उम्मीदवार आईआईटी, एनआईटी, बिट्स, एनएसयूटी, दिल्ली टेक्नीकल यूनीवर्सिटी, जिपमेर, सेंट जेवियर कॉलेज, मुंबई व दिल्ली यूनीवर्सिटी के छात्र रहे हैं। इन्होंने लिखित परीक्षा के लिए एंथ्रोपोलॉजी, सिविल इंजीनियरिंग, कॉमर्स-एकाउंटेंसी, इकोनॉमिक्स, जियोग्राफी, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, मैथेमेटिक्स, मेडिकल साइंस, फिलॉसफी, फिजिक्स, पॉलिटकल साइंस व इंटरनेशनल रिलेशंस और सोशियोलॉजी को वैकल्पिक विषय चुना था।

2020 में 10.40 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया था, जिनमें 4.82 लाख ने परीक्षा दी। 10,564 लिखित (मुख्य) परीक्षा के लिए चुने और 2,053 उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। इस वर्ष आईएएस के 180, आईएफएस के 36 और आईपीएस के 200 पदों के लिए चयन हुआ है। केंद्रीय सेवा ग्रुप-ए के 302 और ग्रुप बी के 118 पद हैं। जिन उम्मीदवारों चयन किया गया, उनमें बेंचमार्क डिसेबिलिटी वाले 25 लोग भी हैं। इनमें सात ऑर्थोपेडिक दिव्‍यांग, चार नेत्रहीन, 10 बधिर और चार मल्‍टीपल डिसेबिलिटी वाले हैं।

263 सामान्य, 229 अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थी सफल
आयोग के मुताबिक इस बार कुल 761 अभ्यार्थी सफल घोषित किए हैं। इनमें सामान्य वर्ग के 263, आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्लूएस) वर्ग से 86, अन्य पिछ़ड़ा वर्ग के 229 हैं। जबकि अनुसूचित जाति के 122 और अनुसूचित जनजाति के 61 उम्मीदवार सफल हुए हैं।

आईएएस के 180, आईपीएस के 200 पद
इस वर्ष आईएएस के 180, आईएफएस के 36 और आईपीएस के 200 पदों के लिए चयन हुआ है। केंद्रीय सेवा ग्रुप-ए के 302 और ग्रुप बी के 118 पद हैं। जिन उम्मीदवारों चयन किया गया, उनमें बेंचमार्क डिसेबिलिटी वाले 25 लोग भी हैं। इनमें सात ऑर्थोपेडिक दिव्‍यांग, चार नेत्रहीन, 10 बधिर और चार मल्‍टीपल डिसेबिलिटी वाले हैं।

वर्ष अनुसार अधिकारियों की संख्या

वर्षआईएएसआईएफएसआईपीएस
2018-1918266114
2019-202049970
2020-2118036200

पिछले पांच सालों में कटऑफ

वर्षजनरल कैटेगिरी
2015877
2016988
20171006
2018982
2019961

(ये अंतिम चयनित उम्मीदवार के मेंस व इंटरव्यू के कुल अंक हैं)

पिछले दो सालों में घटे जनरल के रिकमेंडेड उम्मीदवार

वर्षकुलसफलजनरल %
201875936147.5
201982930436.67
202076126334.5

​​​​इस साल आईपीएएस तिगुने आईएएस, आईएफएस की कमी

यूपीएससी की रिपोर्ट के अनुसार इस साल देश को लगभग तिगुने आईपीएस मिले हैं। जबकि आईएएस व आईपीएस ऑफिसर्स की संख्या घटी है। आईएफएस की संख्या लगभग आधी रह गई है। इस साल रिजर्व लिस्ट के कैंडिडेट्स भी घटकर 150 रह गए हैं। यह संख्या 2019 में 182 थी।

पिछले तीन सालों में सामान्य वर्ग के रिकमेंडेड कैंडिडेट्स भी कम हुए हैं। आईपीएस की संख्या बढ़ने पर सिविल सर्विसेस एग्जाम एक्सपर्ट मणिकांत सिंह बताते हैं कि इस समय सरकारों को लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने के लिए पुलिस सर्विस के ऑफिसर्स की सबसे अधिक जरूरत है। इसी को देखते हुए यूपीएससी ने सबसे अधिक आईपीएस के पदों के लिए उम्मीदवारों का चुनाव किया है।

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