पर्यावरणीय स्वास्थ्य का मानव स्वास्थ्य से गहरा संबंध है,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पर्यावरणीय स्वास्थ्य का मानव स्वास्थ्य से गहरा संबंध है। हमारा पर्यावरण जितना स्वस्थ होगा, हमारा स्वास्थ्य भी उतना ही अच्छा होगा। इसका सीधा सा अर्थ है कि हम अपने स्वास्थ्य के लिए काफी हद तक पर्यावरण के प्रति उत्तरदायी हैं और इसलिए पर्यावरणीय स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी प्रमुख जिम्मेदारी है। उत्तम स्वास्थ्य के साथ प्रकृति और पर्यावरण हमें भोजन, कपड़े इत्यादि जीवित रहने के लिए भी हर चीज प्रदान करते हैं,

इसलिए न केवल स्वस्थ रहने के लिए बल्कि धरती पर जीवन का अस्तित्व बचाए रखने के लिए प्रकृति और पर्यावरण का ध्यान रखा जाना बेहद जरूरी है लेकिन गहन चिंता का विषय यही है कि अब प्रकृति के साथ मानव जाति द्वारा किए जा रहे खिलवाड़ के कारण ही वैश्विक पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है, जिसका खामियाजा अब दुनिया के लगभग तमाम देश भुगत भी रहे हैं। विकास के नाम पर प्रकृति के साथ किए जा रहे भयानक खिलवाड़ के ही कारण धरती लगातार गर्म हो रही है।

चक्रवाती तूफानों का बढ़ता सिलसिला, बाढ़, सूखा, जंगलों में लगने वाली भीषण आग तथा अन्य प्राकृतिक आपदाओं में तेजी, ये सब पर्यावरण का स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण जलवायु में हो रहे बदलावों का ही परिणाम हैं। वैश्विक तापमान में निरंतर हो रही बढ़ोतरी तथा मौसम का बिगड़ता मिजाज समस्त मानव जाति के लिए गंभीर चिंता बनता जा रहा है।

पर्यावरण को हो रहे गंभीर नुकसान की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने, पर्यावरण की स्थिति के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने तथा लोगों को इसे और बदतर होने से रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 26 सितम्बर को एक विशेष थीम के साथ ‘विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस’ मनाया जाता है।

इस वर्ष यह दिवस ‘वैश्विक पर्यावरणीय सार्वजनिक स्वास्थ्य: हर दिन हर किसी के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए खड़ा होना’ थीम के साथ मनाया जा रहा है जबकि 2022 की थीम थी ‘सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन के लिए पर्यावरणीय स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना’, जिसका अर्थ था पर्यावरणीय स्वास्थ्य तंत्र को इस प्रकार मजबूत बनाया जाए ताकि लंबे समय तक पर्यावरण और मानव की लंबी उम्र तथा अच्छी सेहत के लक्ष्य को पूरा किया जा सके। इस दिन पर्यावरण के कारण मनुष्यों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाई जाती है।

प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग से उत्पन्न खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना अब पहले के मुकाबले ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। दरअसल पर्यावरणीय परिस्थितियों को बिगड़ने से रोकने के लिए कुछ भी नहीं करके हम न केवल पर्यावरण को बल्कि स्वयं को भी खतरे में डाल रहे हैं क्योंकि हमारा स्वास्थ्य हमारे पर्यावरण से जुड़ा है और पर्यावरण को हो रहे निरंतर नुकसान से मानव जीवन को भी नुकसान झेलना पड़ता है।

बहरहाल, यह समझना बहुत जरूरी है कि आखिर पर्यावरण स्वास्थ्य है क्या? किसी क्षेत्र विशेष के रासायनिक, भौतिक और सांस्कृतिक वातावरण को उसके पर्यावरणीय स्वास्थ्य के रूप में जाना जाता है और किसी क्षेत्र का पर्यावरणीय स्वास्थ्य वहां की वायु की खराब गुणवत्ता, पर्यावरण में विविधता का नुकसान, रासायनिक असमानताएं तथा ऐसे सभी कारक, जो किसी क्षेत्र के पर्यावरणीय स्वास्थ्य को बिगाड़ते हैं, से प्रभावित होता है।

किसी क्षेत्र के पर्यावरणीय स्वास्थ्य को मापने में पर्यावरणीय स्वास्थ्य संकेतक, प्रदूषण का स्तर, पारिस्थितिकी में विविधता, स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता, स्वच्छता की शर्तें, कृषि उत्पादकता इत्यादि प्रमुख भूमिका निभाते हैं। पर्यावरणीय स्वास्थ्य की देखभाल के महत्व को दर्शाता विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस वास्तव में न केवल पारिस्थितिक स्वास्थ्य की सुरक्षा की वकालत करता है बल्कि मानव स्वास्थ्य पर पर्यावरणीय स्वास्थ्य के पड़ने वाले प्रभाव और संबंध को समझने की जरूरत पर भी जोर देता है।

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