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आलोचक भी नहीं उठा सकते सवाल- एनएसए अजीत डोभाल - श्रीनारद मीडिया

आलोचक भी नहीं उठा सकते सवाल- एनएसए अजीत डोभाल

आलोचक भी नहीं उठा सकते सवाल- एनएसए अजीत डोभाल

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भारतीय इतिहास को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास को लेकर कोई सवाल नहीं उठा सकता है, यहां तक की भारत के आलोचक भी नहीं। एनएसए अजीत डोभाल ने यह बयान मंगलवार को दिल्ली में ‘प्राचीन भारत का इतिहास’ पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम के दौरान दिया।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि भारतीय इतिहास के बारे में कुछ सवाल है, जिन पर कोई भी अंगुली नहीं उठा सकता, यहां तक कि हमारे आलोचक भी नहीं। भारत के इतिहास पर बोलते हुए अजीत डोभाल ने कहा कि इसके तीन कारण है। पहला इसकी प्राचीनता, जो सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है। दूसरा, निरंतरता, यानि शुरुआत से तकरीबन 4000 से 5000 वर्ष पूर्व से आज तक यह निरंतर चलता आ रहा है। तीसरा इसका विशाल विस्तार है।

डोभाल ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय इतिहास के बारे में कुछ ऐसे सवाल थे जिन पर आपके आलोचकों सहित किसी ने भी सवाल नहीं उठाया। पहली इसकी प्राचीनता है कि यह सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है और शायद मानव जीवन विकसित हो चुका था और समाज ने खुद को बहुत ऊपर तक परिपूर्ण कर लिया था। अब, यह किसने किया? क्या वे मूल लोग थे या वे बाहर से आए थे , वे इसके बारे में पक्षपाती हो सकते हैं, लेकिन वे सभी मानते हैं कि यह प्राचीन सभ्यता है।’

‘सिकंदर केवल झेलम से ही भारत की सीमा में आया था’
अपने संबोधन के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि जब हजारों वर्षों के इस विस्तार के बारे में सोचते हैं, विशाल क्षेत्र में निरंतर इतिहास के बारे में जो कथा सामने आती है, वो ये है कि सिकंदर था, जिसने भारत की खोज की थी। वास्तव में वह केवल झेलम में ही भारत की सीमा में आया था। उसके बाद शायद आगे नहीं बढ़ पाया था। 1746 से 1792 तक कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विलियम जोन्स ने कहा था कि मुझे कहीं भी किसी भी संस्कृत, पाली, प्राकृत साहित्य या स्थानीय बोलियों में सिकंदर का कोई उल्लेख नहीं मिला है।

भारतीय सभ्यता की दूसरी विशेषता का उल्लेख करते हुए डोभाल ने ‘निरंतरता’ पर बल दिया। उन्होंने कहा कि दूसरा निरंतरता है। यानी अगर इसकी शुरुआत 4000 या 5000 साल पहले हुई तो यह आज तक लगातार जारी है। उसमें कोई व्यवधान नहीं है। तीसरी विशेषता इसका विशाल विस्तार था। यह कोई छोटा-मोटा गांव नहीं था जो आपको किसी विकसित द्वीप या उस जैसी किसी जगह पर मिलता हो। यह ऑक्सस नदी से लेकर संभवतः दक्षिण पूर्व एशिया और अन्य स्थानों तक है, जहां सभ्यता के पदचिह्न स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।

डोभाल ने आगे कहा कि ‘राष्ट्रीयता के सदस्य वे लोग हैं जो इतिहास की सामान्य समझ, अतीत में हमारे पूर्वजों की उपलब्धियों की सामान्य समझ और अपने भविष्य के लिए एक समान दृष्टि साझा करते हैं। इस विचार में विश्वास करने वाले सभी लोग हमारे राष्ट्र की एकता में योगदान देते हैं।’

अलेक्जेंडर की भारत यात्रा भारतीय इतिहास में एक घटना नहीं

डोभाल ने इसके अलावा इस बात पर जोर दिया कि अलेक्जेंडर की भारत यात्रा भारतीय इतिहास में एक घटना नहीं थी, बल्कि पश्चिमी इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी। डोभाल ने कहा कि अब, विरोधाभास यह है कि जब आप इतने विशाल क्षेत्र में 6000 या 8000 वर्षों के निरंतर इतिहास के विस्तार के बारे में सोचते हैं, तो जो कथा सामने आती है वह यह है कि संभवतः पश्चिमी जिलों में से किसी एक में भारतीय इतिहास के बारे में पहला अध्याय है। शुरुआत सिकंदर से होती है, कि सिकंदर पहला था…जिसने भारत की खोज की, और यह पूर्व पर पश्चिम की विजय थी। उसने भारत पर विजय प्राप्त की।’

डोभाल ने कहा कि सिकंदर केवल झेलम तक ही भारत की सीमा तक आया और फिर आगे नहीं बढ़ पाया। उन्होंने कहा कि लेकिन, तथ्य यह है कि जब भारत का इतिहास, या पश्चिम का इतिहास बताया जाता है तो आपको पश्चिमी उद्योग का पूरा इतिहास अलेक्जेंडर के इतिहास के बारे में मिलता है। एनएसए डोभाल ने बताया कि सबने इसका इतना बड़ा पहाड़ बना दिया, मानो सिकंदर के साथ दुनिया का इतिहास ही बदल गया हो।

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