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लाऊड स्पीकर का जबसे धर्म तय हुआ है तबसे वह दंगाई हो गया है.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

ध्वनि विस्तारक यंत्र यानी लाउडस्पीकर आजकल पूरे देश में सुर्खियां बटोर रहा है। एक तरफ वह लोग हैं जिनका लाउडस्पीकर से मोह भंग होने का नाम नहीं ले रहा है तो दूसरी तरफ ऐसे लोग खड़े हैं जिनका कहना है कि लाउडस्पीकर के शोर ने उनकी जिंदगी हराम कर दी है। लाउडस्पीकर के जरिए शोर चाहे मंदिर से निकले या मस्जिद से, इससे परेशान होने वालों का दर्द एक जैसा है। कोई शोर के कारण चैन से सो नहीं पा रहा है तो किसी की पढ़ाई का नुकसान हो रहा होता है। लाउडस्पीकर से निकलने वाली तेज आवाज से होने वाले नुकसान की बात करें, तो इसके कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

इनमें सुनने की क्षमता हमेशा के लिए खत्म होने का खतरा भी शामिल है। ज्यादा लंबे समय तक तेज आवाज सुनने से मानसिक समस्याएं हो सकती हैं। आदमी चिड़चिड़ा और हिंसक भी हो सकता है। कई रिसर्च बताते हैं कि 85 डेसिबल से अधिक का साउंड लगातार सुनने से बहरापन भी हो सकता है और एकाग्रता पर असर पड़ सकता है। इसी प्रकार ज्यादा तेज आवाज सुनने से उल्टी भी हो सकती है। नर्वस सिस्टम पर असर पड़ने से स्पर्श को महसूस करने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन स्पीड पर भी असर पड़ सकता है।

लगातार शोर खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ा देता है। इससे दिल की बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा 120 डेसिबल से अधिक की आवाज प्रेगनेंट महिला भ्रूण पर असर डाल सकती है। वहीं 180 डेसिबल से अधिक की आवाज मौत का कारण बन सकती है। खैर, इस बीच योगी सरकार द्वारा लाउडस्पीकर को लेकर आदेश दिए जाने के बाद मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि प्रबंधन ने जन्मभूमि परिसर के शिखर पर लगा लाउडस्पीकर उतार दिया है। वहीं जन्मभूमि के बगल में बनी शाही मस्जिद के प्रबंधन को अभी सरकार का शासनादेश आने का इंतजार है।

लब्बोलुआब यह है कि लाउड स्पीकर से होने वाले शोर को नियंत्रित किया जाए यह मानते तो सब हैं, लेकिन इसको लेकर तमाम लोग खुलकर बोलने को तैयार नहीं रहते हैं। बीजेपी को छोड़कर करीब-करीब सभी राजनैतिक दलों को लग रहा है कि यदि उन्होंने धार्मिक स्थलों से लाउड स्पीकर उतारे जाने के पक्ष में आवाज उठाई तो उनका मुस्लिम वोट बैंक खिसक सकता है।

यह वह लोग हैं जो दिल्ली के जहांगीरपुरी में अतिक्रमण विरोधी अभियान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ खड़े नजर आते हैं, लेकिन जब इन लोगों को लाउड स्पीकर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की याद दिलाई जाती है तो यह बगले झांकने लगते हैं। लाउड स्पीकर की आवाज में उन्हें अपना वोट बैंक दिखाई देता है।

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