शिक्षक का हर परामर्श जिंदगी के लिए एक खूबसूरत सौगात होता है!

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शिक्षक दिवस के अवसर पर सभी गुरुजनों का सादर वंदन और अभिनंदन

✍️गणेश दत्त पाठक

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बात 1991 की है, मैं उन दिनों कक्षा आठवीं में जीरादेई के महेंद्र हाईस्कूल का छात्र था। मेरे स्कूल में अंग्रेजी के शिक्षक थे दिलीप कुमार कर सर और हिंदी के शत्रुघ्न प्रसाद सिंह जी। दोनों का ही जोर शब्द कोष को समृद्ध करने पर रहता था। सख्त निर्देश कम से कम 10 शब्दों पर प्रतिदिन पकड़ कायम करने का रहता था। उस समय ये निर्देश बहुत खराब लगते थे। बस चाहत यह होती थी कि उस निर्देश की नाफरमानी कैसे हो जाए? लेकिन आज गुरुजन के उन्हीं सख्त निर्देशों का असर है कि आज शब्द ही मेरी संपति और शब्द ही मेरी पहचान है।

इस बात का जिक्र मैंने इसलिए किया कि शिक्षक को आम तौर पर या जब हम स्कूली शिक्षा हासिल कर रहे हो या उच्च शिक्षा या तैयारी कर रहे हो प्रतियोगिता परीक्षाओं की, हम उचित संदर्भ में समझ नहीं पाते?

जरा याद कीजिए स्कूल के वो दिन। होमवर्क का प्रेशर, ड्रेस की स्वच्छता की हिदायत, परीक्षाओं का दौर, एक भी गलती निकलने पर टास्क का फिर से करने का निर्देश, ये सब झंझावातों को हम सब बचपन में खूब झेले हैं। लेकिन यहीं दवाब हमारी उस बुनियाद को मजबूत कर जाते हैं जो हमें भविष्य की चुनौतियों से निबटने के काबिल बनाते हैं।

परीक्षा या कैरियर में सफलता या असफलता दूसरी बात होती है लेकिन सत्य है कि जिंदगी में चुनौतियों का सामना सभी को करना पड़ता है। ये अलग तथ्य है कि सफल लोगों की चुनौतियां अलग होती है और असफल लोगों की चुनौतियां अलग होती है। इन चुनौतियों से निबटने के लिए सक्षम हमारे शिक्षक ही बनाते हैं।

शिक्षक का दायरा सीमित नहीं अपितु व्यापक होता है। शिक्षक की श्रेणी में केवल हमें पढ़ानेवाले शिक्षक ही नहीं आते हैं बल्कि हर वह व्यक्तित्व शिक्षक होता है, जिससे हमें कुछ सीखने को मिलता है। चाहे वो माता पिता हो या आपके भाई बहन हो या कोई सहपाठी या कोई मित्र या कोई परिचित। सीखने का उत्साही और विनम्र अंदाज ही हमारे व्यक्तित्व को पूर्णता प्रदान करता है।

आज बच्चे किताबें पढ़ रहे हैं, ई लर्निंग प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। परंतु चाहे वो महान शिक्षाविद् सर्वपल्ली राधाकृष्णन हो या नोबेल पुरस्कार विजेता रविन्द्र नाथ टैगोर हो या राष्ट्रपिता महात्मा गांधी या हो हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम सबने शिक्षा के रचनात्मक और सृजनात्मक आयाम को विशेष महत्वपूर्ण बताया। किताब को केवल पढ़ लेना शिक्षा नहीं किताब में उल्लिखित संदेशों को समझना, उसे अपने जीवन में अंगीकार करना, अपनी सोच को सकारात्मक और सृजनात्मक स्वरूप देना ही शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य होता है। इस उद्देश्य को सार्थकता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षक की ही होती है।

अच्छी बात है कि आप अच्छे अंक प्राप्त करते हैं। अच्छी बात है कि आप अच्छी डिग्री हासिल करते हैं। यह अच्छी बात है कि आप प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता पाते हैं। लेकिन जिंदगी में सफल और खुश होना ही आपकी सबसे बड़ी सफलता होती है। निश्चित तौर पर शिक्षकों का परामर्श आपको सिर्फ परीक्षाओं में ही सफल नहीं बनाता बल्कि शिक्षकों द्वारा आपको निरंतर दिया जानेवाला मार्गदर्शन आपके जीवन को समृद्ध बनाने के लिए विशेष तौर पर महत्वपूर्ण होता है।

मैं सिविल सेवा अभ्यर्थियों के ऑनलाइन मार्गदर्शन के दौरान देखता हूं कि नोट्स बनाने, नियमित लेखन के सलाह, बार बार रिवीजन के निर्देश को बहुत कठोर बताते हैं। लेकिन यह समझना होगा कि जब वे सिविल सेवक बन जायेंगे तो किए गए ये नियमित अभ्यास उनके लिए बेहद कारगर साबित होनेवाले हैं। यदि असफल रहे तो भी ये अभ्यास उनके जीवन में आनेवाली चुनौतियों से निबटने में बेहद कारगर साबित होंगे। किसी भी शिक्षक का हर निर्देश आपके सुखमय जिंदगी के हर अध्याय की नवीन रूपरेखा को तैयार करता है।

इसलिए हम सभी स्वयं के जिंदगी में सामने आनेवाले हर उस व्यक्ति के संदेश को समझें जो हमें कुछ सीखा रहा है। अपने बच्चों, अपने परिचितों को भी समझाएं शिक्षक का हर परामर्श जिंदगी के लिए एक खूबसूरत सौगात होता है।

एक बार फिर मेरे जिंदगी में आनेवाले हर शिक्षक स्वरूप व्यक्तियों का सादर वंदन और अभिनंदन!

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