एक्साइज ड्यूटी 8.5 रुपए प्रति लीटर कम होने सेसरकार के रेवेन्यू टारगेट पर असर नहीं पड़ेगा,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी लाने के लिए केंद्र सरकार बड़ा फैसला ले सकती है। खबर है कि पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 8.5 रुपए प्रति लीटर की कटौती हो सकती है। हालांकि, इस कटौती के बाद भी सरकार का पेट्रोल-डीजल से रेवेन्यू जुटाने के टारगेट पर असर नहीं पड़ेगा।
ICICI सिक्योरिटीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फाइनेंशियल ईयर 2022 यानी अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई कटौती नहीं होती है, तो सरकार को 4.35 लाख करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिलेगा। दूसरी तरफ, सरकार का अनुमानित रेवेन्यू टारगेट 3.2 लाख करोड़ रुपए का है। अगर 1 अप्रैल 2021 से पहले 8.5 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी घटती भी है, तब भी सरकार बजट अनुमान का टारगेट हासिल कर लेगी।
पेट्रोल-डीजल की मांग बढ़ने से कमाई बढ़ेगी
रिपोर्ट के मुताबिक, पेट्रोल और डीजल की मांग में रिकवरी हो रही है, इसलिए ड्यूटी में कटौती संभव है। मार्च 2020 से मई 2020 के दौरान पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी में 13 रुपए और डीजल में 16 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की गई थी। इस समय पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 31.8 रुपए और डीजल पर 32.9 रुपए प्रति लीटर लग रही है। यह एक्साइज ड्यूटी तब बढ़ाई गई थी जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें लगातार कम हो रही थीं।
केंद्र ने राज्यों से भी टैक्स घटाने को कहा
पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम थामने के लिए वित्त मंत्रालय ने राज्यों से भी चर्चा की है। केंद्र ने उन्हें टैक्स घटाने को कहा है। सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने भी सोमवार को कहा था कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को GST में लाना चाहिए। हालांकि, केंद्र सरकार ने ही पिछले 12 महीनों में दो बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई है।
केंद्र ने 15 महीने में 9 बार बढ़ाई एक्साइज ड्यूटी
आंकड़े बताते हैं कि 2014 से 2016 के दौरान केंद्र सरकार ने 9 बार पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी। सरकार ने इस दौरान 15 महीनों में पेट्रोल पर 11.77 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 13.47 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी। इससे सरकार को 2016-17 में 2.42 लाख करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिला था, जबकि 2014-15 में यह केवल 99 हजार करोड़ रुपए था।
दो बार एक्साइज ड्यूटी घटाकर तीन बार बढ़ाई
सरकार ने अक्टूबर 2017 में एक्साइज डयूटी में 2 रुपए और एक साल बाद 2018 में 1.5 रुपए प्रति लीटर कटौती की थी। हालांकि, जुलाई 2019 में फिर से 2 रुपए प्रति लीटर की ड्यूटी बढ़ा दी गई थी। मार्च 2020 में पेट्रोल और डीजल पर 3 रुपए प्रति लीटर और मई में पेट्रोल पर 10 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल और डीजल पर 13 रुपए प्रति लीटर ड्यूटी बढ़ाई थी।
अभी पेट्रोल पर 60% टैक्स वसूलती हैं सरकारें
ICICI सिक्योरिटीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारें पेट्रोल पर 60% टैक्स वसूल रही हैं। इसी तरह, डीजल पर 54% टैक्स लिया जा रहा है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में पेट्रोल 100 रुपए प्रति लीटर तो कुछ राज्यों में 91 रुपए प्रति लीटर हैं। दिल्ली में पेट्रोल 91.17 रुपए और डीजल 81.47 रुपए प्रति लीटर है। कीमतों में अंतर इसलिए है, क्योंकि राज्य सरकारें पेट्रोल-डीजल पर अलग से वैट लगाकर अपना खजाना भरती हैं।
ईंधन मंहगा होने से सब्जियों की कीमतें बढ़ीं
हाल के दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से माल ढुलाई मंहगी हुई है। इसका असर सब्जियों की कीमतों पर देखने को मिला है। खेत से घर तक सामान पहुंचाने वाली सप्लाई चेन कंपनी वेकूल फूड्स के मुताबिक, फ्यूल महंगा होने से फलों और सब्जियों की ढुलाई की लागत एक रुपए प्रति किलो बढ़ गई है। कंपनी के को-फाउंडर कार्तिक जयरमन के मुताबिक, खेत से शहरी केंद्रों तक फसल लाने का खर्च 55 पैसे प्रति किलो और गोदाम से रिटेल सेंटर पर ले जाने का खर्च लगभग 25 पैसे प्रति किलो बढ़ा है।
महंगे फ्यूल से हवाई किराया भी बढ़ गया
दिल्ली के टर्मिनल 3 पर 1 जून 2020 को 1000 लीटर जेट फ्यूल की कीमत 26,860 रुपए, जबकि मुंबई एयरपोर्ट पर 26,456 रुपए थी। वहीं, 1 जनवरी 2021 को दिल्ली में यही दाम 40,783 रुपए और मुंबई में 39,267 रुपए हो गए। हालांकि, इसके बाद भी दाम कई बार बढ़ चुके हैं। इसके चलते दिल्ली से मुंबई के बीच एक तरफ का किराया बिना GST के 3,500-10,000 रुपए से बढ़कर 3,900-13,000 रुपए हो गया है।
आभार- भास्कर