नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फ़िल्म जोगीरा सारा रा रा आज सिनेमाघरों में दस्तक देने जा रही है. इस फ़िल्म के लेखन से चर्चित लेखक गालिब असद भोपाली जुड़े हैं. वह इस फिल्म को कॉमेडी के साथ-साथ रोमांटिक करार देते हैं, जो पूरे परिवार के साथ देखी जा सकती है. उनकी इस फिल्म और कैरियर पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश
नवाजुद्दीन सिद्दीकी को लेकर कॉमेडी फ़िल्म बनाने का ख्याल कब आया?
फ़िल्म बाबूमोशाय बंदूकबाज के दौरान हमने नवाज के सेन्स ऑफ़ ह्युमर को महसूस किया था. इसके अलावा वह फ़िल्म डार्क थी, इसलिए उसको फैमिली वाले दर्शक नहीं मिले थे. उस वक़्त तय किया था कि अगली फ़िल्म कॉमेडी होंगी और पूरे परिवार के लिए होगी.
सेट पर नवाज कितने सहज होते है?
वह सेट पर बहुत सहज हैं लेकिन थोड़े रिजर्व भी रहते हैं. उसका कोई नखरा नहीं है,लेकिन हर रचनात्मक व्यक्ति की अपनी सनक होती है.वह भी उससे अछूते नहीं हैं. वह चाहते हैं कि हर कोई उनका सम्मान करे. असंवेदनशीलता उन्हें पसंद नहीं है. स्क्रिप्ट के स्तर पर वह चाहते हैं कि यह सही ग्राफ में हो. वह इसके बारे में बहुत खास है. वह अन्य कलाकारों के बारे में भी पूछते हैं. आमतौर पर अभिनेता खुद पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन वह दृश्य के पूरे संपूर्णता में फोकस करते हैं.हर एक्टर उनके लिए खास है.
जोगीरा सारा रारा का ट्रेलर देखने के बाद हमने महसूस किया कि आपके पास एक अजीबोगरीब सेंस ऑफ ह्यूमर है?
मेरा हास्य मेरी मां से आता है. उन्होंने इब्ने सफी की जासूसी दुनिया की किताबें खूब पढ़ीं थी.इब्ने 50 के दशक में एक लेखक थे और बाद में वे पाकिस्तान चले गए. उन दिनों स्पाई थ्रिलर थोड़े अश्लील होते थे, लेकिन इब्ने सफ़ी की ख़ासियत उनका हास्य था, उनकी कहानियों में कोई अश्लीलता नहीं थी,तो इसने मेरे दिमाग पर एक छाप छोड़ी. उनसे कई लोग प्रेरित हुए. शोले का प्रसिद्ध दृश्य जहां अमिताभ बच्चन बसंती की चाची से वीरू के रिश्ते के लिए मिलते हैं. वह हास्य दृश्य उनके उपन्यासों से लिया गया था. यहां तक कि कादर खान की पटकथाओं पर भी इब्ने सफी का प्रभाव था. मैंने जो पढ़ा वह अब मेरे लेखन को प्रभावित कर रहा है. मैंने बहुत सारी कॉमिक्स पढ़ीं इसलिए मैंने शक्तिमान लिखी. मैंने बहुत सारे जासूसी उपन्यास पढ़े इसलिए मुझे अधिकारी के भाइयों की जासूसी श्रृंखला पर काम करने का मौका मिला. मैं कॉमेडी से प्रभावित था.
आप और फ़िल्म के निर्देशक कुशान नंदी लंबे समय से साथ हैं, अपने साथ को किस तरह से परिभाषित करेंगे ?
हम एक-दूसरे को 15 साल से भी ज्यादा समय से जानते हैं. वह बहुत रचनात्मक हैं.हमारा संघर्ष एक जैसा रहा है. हम एक-दूसरे को अच्छी तरह समझते हैं क्योंकि हमारी विचार प्रक्रिया एक जैसी है. उनके पिता एक लेखक हैं और मैं एक लेखक का बेटा हूं.हम दोनों में बहुत सी बातें समान थीं. हम खोए हुए जुड़वा बच्चों की तरह थे. मैं खुशनसीब हूं कि मैं ऐसे लोगों के साथ काम कर रहा हूं. उसके जैसे दोस्तों के लिए काम करना बहुत अच्छा है.
पिछले कुछ समय से हिंदी फ़िल्में अच्छा परफॉर्म नहीं कर रही है एक लेखक के तौर पर आपकी क्या राय है ?
किसी भी फ़िल्म का आधार लेखन होता है. हॉलीवुड में लेखक आमतौर पर फिल्म का निर्माता होता है. वह सब कुछ इसी तरह से प्लान करता है. हमारे उद्योग में ऐसा नहीं है. हमारे निर्माता बिक्री के दृष्टिकोण से सोचते हैं. उन्हें स्क्रिप्ट की परवाह नहीं है. दर्शकों के पास बहुत सारे विकल्प हैं और लॉकडाउन के बाद उन्हें अपने घरों से बाहर जाने के लिए मोटिवेशन की जरूरत है. अब फिल्में एक महीने बाद ओटीटी पर रिलीज होती हैं इसलिए लोग सिनेमाघरों में नहीं जाना चाहते. साउथ की कई फिल्मों ने अच्छा प्रदर्शन किया क्योंकि उन्हें विविधता मिली.
इस फ़िल्म के ट्रेलर से महसूस किया कि आपके पास एक अजीबोगरीब सेंस ऑफ ह्यूमर है?
मेरा हास्य मेरी मां से आता है. वो किताबें जो उसने इब ने सफी की जासूसी दुनिया को खूब पढ़ीं. वह 50 के दशक में एक लेखक थे और बाद में वे पाकिस्तान चले गए. मैं उन किताबों को भी पढ़ूंगा. उन दिनों स्पाई थ्रिलर थोड़े अश्लील होते थे लेकिन इब्ने सफ़ी की ख़ासियत उनका हास्य था, उनकी कहानियों में कोई अश्लीलता नहीं थी. तो इसने मेरे दिमाग पर एक छाप छोड़ी. उनसे कई लोग प्रेरित हुए. शोले का प्रसिद्ध दृश्य जहां अमिताभ बच्चन धन्नो की चाची से मिलते हैं वह हास्य दृश्य उनके उपन्यासों से लिया गया था. यहां तक कि कादर खान की पटकथाओं पर भी इब्ने सफी का प्रभाव था. मैंने जो पढ़ा वह अब मेरे लेखन को प्रभावित कर रहा है. मैंने बहुत सारी कॉमिक्स पढ़ीं इसलिए मैंने शक्तिमान लिखी. मैंने बहुत सारे जासूसी उपन्यास पढ़े इसलिए मुझे अधिकारी के भाइयों की जासूसी श्रृंखला पर काम करने का मौका मिला. मैं कॉमेडी से प्रभावित था इसलिए मुझे अब बहुत सी कॉमेडी सीरीज़ और फिल्में लिखने को मिलीं.
आप टेलीविजन धारावाहिकों के सफल लेखक थे लेकिन फिर आपने टीवी से दूरी क्यों बना ली?
मैंने शक्तिमान सीरीज से शुरुआत की थी. मुझे अपने कम्फर्ट जोन में काम करना पसंद है. पहले टेलीविजन में काम करने का तरीका अलग था और अब अलग है. पहले सिर्फ एक निर्माता, निर्देशक और एक लेखक होते थे, हमने चर्चा की और सीरियल पर काम शुरू किया. अब इसमें बहुत संघर्ष है क्योंकि बहुत सारे लोग इसमें आ गए हैं. सबकी सोच अलग-अलग हैं और आपको सबको खुश करना है. सबको खुश करना मुश्किल हो जाता है. मैं जो काम कर रहा हूं और जिन लोगों के साथ काम कर रहा हूं, उससे खुश हूं.
आपका अगला प्रोजेक्ट?
इस फ़िल्म के बाद कुनफाया आएगी, जो एक अलग जॉनर, पैरानॉर्मल कहानी है. हमने एक कॉमेडी, एक थ्रिलर और अब एक पैरानॉर्मल फिल्म की है. हर्षवर्धन राणे और संजीदा शेख इस फ़िल्म में है.