ईरान-इजरायल पर विशेषज्ञों की राय
ईरान-इजरायल की पुरानी है अदावत
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
इजरायल पर ईरान की तरफ से दागे गये मिसाइलों के बाद समूचे खाड़ी क्षेत्र में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में तनाव देखा जा रहा है। लेकिन, कुछ विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि स्थिति यहां से बहुत ज्यादा बिगड़ने की आशंका कम है। एक वजह तो यह है कि ईरान ने स्वयं ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश भेजना शुरू कर दिया है कि वह हालात को और बिगाड़ने के पक्ष में नहीं है।
इसे इजरायल की विजय के तौर पर भी चिन्हित किया जा रहा है। दूसरी बड़ी वजह यह है कि अमेरिका व दूसरे सहयोगी देश इजरायल को मनाने में पूरी तरह से जुटे हुए हैं कि उसकी तरफ से किये जाने हमले का बहुत ही व्यापक असर हो सकता है। यह असर सिर्फ युद्ध के तौर पर नहीं दिखाई देगा बल्कि भारत जैसे देशों को युद्ध में सीधे तौर पर शामिल नहीं होते हुए भी बड़ा खामियाजा उठाना पड़ सकता है।
किसका बन रहा है दबाव
पूर्व राजदूत व कूटनीतिक विशेषज्ञ अशोक सज्जनहार का मानना है कि, ‘ईरान की तरफ से इजरायल पर किया गया हमला बहुत हद तक वहां की सरकार का अपने घरेलू मोर्चे पर संदेश देने की कोशिश थी। इरान के दमाकस (सीरिया) स्थित कंसुलेट पर इजरायल के घातक हमले के बाद से ही वहां की सरकार पर कार्रवाई करने का दवाब था। निश्चित तौर पर ईरान ने पहली बार इजरायल पर सीधे तौर पर हमला किया है। लेकिन हमले के पैटर्न को देख कर यह लगता है कि इसका मकसद गंभीर तरीके से नुकसान पहुंचाने का नहीं था बल्कि सिर्फ संदेश देना था।
ईरान अब हमले करने से क्यों बच रही?
यह भी देखना चाहिए कि इस हमले के तुरंत बाद ईरान की तरफ से घोषणा की गई है कि उसकी तरफ से अब दूसरा हमला नहीं किया जाएगा। मेरा मानना है कि ईरान को यह बखूबी पता है कि अगर इजरायल व उसके सहयोगी देशों की तरफ से कार्रवाई होती है तो वह टिक नहीं पाएगा। ऐसे में ईरान की तरफ से अब कोई कोशिश नहीं होगी कि मौजूदा तनाव की स्थिति और बिगड़े।’देश के एक अन्य प्रमुख रणनीतिक विश्लेषक ब्रह्मा चेलानी ने सोशल मीडिया एक्स में लिखा है कि, ‘ईरान ने जवाबी हमले से पहले कई बार चेतावनी दी थी, जिससे लगता है कि यह पूर्वनियोजित दिखावा था।
नुकसान पहुंचाने से बच रही ईरान
इसका उद्देश्य कम से कम नुकसान पहुंचाने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा ड्रामा करना रहा है। इनकी प्लानिंग इस तरह से की गई थी कि इजरायल व अमेरिका के एयर सिस्टम उन्हें रोक सके।’ सनद रहे कि इरान सरकार की तरफ से बताया गया है कि उनके यहां घरेलू स्तर पर निर्मित दो तरह के कुल 267 द्रोन मिसाइलें इजरायल पर दागी गई हैं। इजरायल की तरफ से बताया गया है कि तकरीबन सभी द्रोन मिसाइलों को निशाने पर पहुंचने से पहले ही नेस्ताबूद कर दिया गया है। भारत ने भी इस हमल पर तत्काल प्रतिक्रिया दी और दोनों देशों को संयम बरतने व शांति लाने को कहा। वैसे अभी भी इजरायल की तरफ से ईरान पर जवाबी कार्रवाई की संभावना कायम है।
अगर इजरायल की तरफ से कार्रवाई होती है तो
सज्जनहार का कहना है कि अगर इजरायल की तरफ से कार्रवाई होती है तो बहुत संभव है कि वह सीमित नहीं रहे। इसका भारत पर भी बड़ा असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। भारत का इजरायल और ईरान दोनों के साथ बहुत ही अच्छे द्विपक्षीय संबंध हैं। इजरायल भारत का रणनीतिक साझेदार है। जबकि ईरान के साथ एतिहासिक रिश्ता है। ईरान में भारत चाबहार पोर्ट विकसित कर रहा है जो हमारे रणनीतिक हितों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। ईरान में भी 10 हजार के करीब भारतीय रहते हैं जबकि इजरायल में 20 हजार भारतीय हैं।
समुद्री इलाके से गुजरने वाले जहाजों पर पाबंदी
युद्ध होने की स्थिति में ईरान अपने समुद्री इलाके से गुजरने वाले जहाजों पर पाबंदी लगा सकता है या उन्हें पकड़ सकता है। अभी भी एक जहाज उसने पकड़ रखा है। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं और इनकी आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है क्योंकि भारत अपनी जरूरत का बहुत सारा तेल खाड़ी के देशों से लेता है। हाल के वर्षों में हमने खाड़ी के सभी देशों के साथ रिश्तों पर काफी ध्यान दिया है। यूएई के साथ मुक्त व्यापार समझौता हो चुका है। ओमान के साथ वार्ता चल रही है। हम भारत को खाड़ी के क्षेत्र से होते हुए यूरोप तक कनेक्टिविटी परियोजना को स्थापित करना चाहते हैं। इन सभी पर असर संभव है।
1 अप्रैल 2024: इजरायल ने ईरान के टॉप कमांडर को मारा
1 अप्रैल 2024 को सीरिया में ईरानी दूतावास पर हमले में सात की मौत हुई। इसमें ईरान के टॉप सैन्य कमांडर मोहम्मद रजा जाहेदी की मौत हो गई। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड के अनुसार, मोहम्मद रजा जाहेदी ने 2016 तक लेबनान और सीरिया में विशिष्ट कुद्स फोर्स का नेतृत्व किया था।
जाहेदी ईरान-इराक युद्ध के एक अनुभवी और कुद्स फोर्स प्रमुख कासिम सुलेमानी के पूर्व विश्वासपात्र, जिनकी जनवरी 2020 में बगदाद में अमेरिका द्वारा हत्या कर दी गई थी। इस हमले में जाहेदी के डिप्टी जनरल मोहम्मद हादी हजरीहिमी और पांच अन्य अधिकारी भी मारे गए।
25 दिसंबर 2023: रणनीतिकार की हत्या
25 दिसंबर 2023 को दमिश्क में एक इजरायली हवाई हमले में एक टॉप रैंकिंग ईरानी जनरल की मौत हो गई थी। सीरिया में ईरानी अर्धसैनिक रिवोल्यूशनरी गार्ड के लंबे समय तक सलाहकार रहे सैयद राजी मौसवी की हत्या, इजरायल-हमास युद्ध के क्षेत्रीय स्तर पर फैलने की आशंकाओं के बीच हुई थी। सैय्यद रजी मौसवी, सीरिया और ईरान के बीच सैन्य गठबंधन के समन्वय के लिए जिम्मेदार थे।
27 नवंबर 2020: परमाणु वैज्ञानिक की हत्या
ईरानी अधिकारियों के मुताबिक, 27 नवंबर 2020 को ईरान के परमाणु कार्यक्रम के मुख्य न्यूक्लियर साइंटिस्ट मोहसिन फखरीजादेह की हत्या तेहरान में कार पर गोलीबारी कर हुई थी।
मोहसिन ईरान के सबसे प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक थे। मोहसिन को ईरान के परमाणु कार्यक्रम का जनक कहा जाता था। उन्होंने ईरान के कथित परमाणु हथियार ‘अमाद’ या ‘होप’ कार्यक्रम का नेतृत्व किया था।
परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह ईरान के परमाणु कार्यक्रम के जनक थे।
इजरायल ने वर्ष 2018 में यह दावा किया था कि मोहसिन ने ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रमों की शुरुआत की थी। इजरायल के तत्कालीन पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि मोहसिन इनके परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख वैज्ञानिक हैं। उन्होंने जोर देकर कहा था कि इस नाम को जरूर याद रखें।
वहीं, ईरान के विदेश मंत्री मुहम्मद जावद जरीफ ने एक ट्वीट में हत्या में इजराइल का हाथ होने का शक जताया था।
इसके पहले भी वर्ष 2010 और 2012 के बीच ईरान के चार परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या कर दी गई थी। उस वक्त भी ईरान ने इन हत्याओं के लिए इजराइल को जिम्मेदार ठहराया था।
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