मंत्रियों के साथ किसानों की हुई बैठक,क्या हुआ?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा और केंद्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय शामिल हुए, जबकि 14 किसान संगठन बातचीत के दौरान मौजूद रहे. इसके पहले तीन दौर की बातचीत हुई हैं, जिनमें कोई हल नहीं निकला है. शंभू बॉर्डर पर किसानों पर दागे गए आंसू गैस के गोलों के विरोध में किसानों ने बीते 16 फरवरी को भारत बंद बुलाया था.
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने चंडीगढ़ में किसान नेताओं के साथ बैठक के बाद कहा कि वार्ता सद्भावनापूर्ण माहौल में हुईं. पीयूष गोयल ने कहा कि नाफेड को एमएसपी पर दालें खरीदने के लिए किसानों के साथ पांच साल का समझौता करने का प्रस्ताव दिया.
नेताओं के घर के बाहर किसानों ने दिया था धरना
केंद्रीय मंत्रियों के साथ अहम बैठक से एक दिन पहले किसान नेताओं ने केन्द्र सरकार से शनिवार को मांग की कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने के लिए अध्यादेश लेकर आए. इसके अलावा भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) ने किसानों की मांग के समर्थन में शनिवार को हरियाणा में ट्रैक्टर मार्च निकाला था जबकि भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) ने पंजाब में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन वरिष्ठ नेताओं के आवासों के बाहर धरना दिया था.
तीसरी बैठक के बाद केंद्र सरकार ने क्या कहा था?
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा था कि, “किसानों और सरकार के बीच ये तीसरी बैठक थी. कई मुद्दे और विषय उठाए गए. अगर हम शांतिपूर्ण ढंग से बातचीत को आगे बढ़ाएंगे तो हम निश्चित रूप से किसी नतीजे पर पहुंचेंगे. मुझे उम्मीद है कि हम जल्द ही कोई समाधान निकाल लेंगे. रविवार को किसानों के साथ एक और बैठक होगी. हम उस बैठक में चीजों पर चर्चा करेंगे और समाधान निकालेंगे.”
MSP को लेकर क्यों फंसा है पेंच?
किसानों और सरकार के बीच बातचीत का पेंच MSP को लेकर ही फंसा है. एक अनुमान के मुताबिक, अगर सरकार ने किसानों की मांग मान ली, तो नई दिल्ली की तिजोरी पर करीब 10 लाख करोड़ रुपये का भार आ जाएगा. लेकिन किसानों का तर्क दूसरा है. उनको लगता है कि उनकी खेती कारपोरेट के हाथों में जा सकती है. आम तौर पर MSP फसल उत्पादन की लागत पर 30 फीसदी ज्यादा रकम होती है, लेकिन किसानों की मांग इससे कहीं ज्यादा की है.
स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर छिड़ी जंग
स्वामीनाथन आयोग 2004 में बनाया गया था. इसमें लागत पर 50% ज्यादा MSP की सिफारिश की गई है. हालांकि, इस रिपोर्ट को लेकर भी विवाद है. 1965 में अकाल और युद्ध के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भारत को अन्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की जिम्मेदारी कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को दी थी. स्वामीनाथन की कोशिशों से आई हरित क्रांति ने भारत का पेट भरना शुरू किया. बता दें कि सरकार ने एमएस स्वामीनाथन को इस साल भारत रत्न (मरणोपंरात) से नवाजा गया है.
किसानों की क्या हैं मांगें?
1. सभी फसलों की खरीद के लिए एमएसपी गारंटी कानून बनाया जाए.
2. डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से फसलों की कीमत तय की जाए. सभी फसलों के उत्पादन की औसत लागत से पचास फीसदी ज्यादा एमएसपी मिले.
3. किसान और खेत में काम करने वाले मजदूरों का कर्जा माफ किया जाए. किसानों को प्रदूषण कानून से बाहर रखा जाए.
4. 60 साल से ज्यादा उम्र के किसानों को 10 हजार रुपये पेंशन दी जाए.
5. भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू किया जाए.
6. लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा दी जाए. आरोपियों की जमानत रद्द की जाए.
7. मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाई जाए.
8. विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए.
9. मनरेगा में हर साल 200 दिन का काम और 700 रुपये मजदूरी दी जाए.
10. किसान आंदोलन में मृत किसानों के परिवारों को मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए. समझौते के अनुसार, घायलों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए. दिल्ली मोर्चा सहित देशभर में सभी आंदोलनों के दौरान दर्ज सभी मुकदमे रद्द किए जाएं.
11. नकली बीज, कीटनाशक दवाइयां और खाद वाली कंपनियों पर कड़ा कानून बनाया जाए. फसल बीमा सरकार खुद करे.
12. मिर्च, हल्दी और अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए.
13. संविधान की 5वीं सूची को लागू कर आदिवासियों की जमीन की लूट बंद की जाए.
24 फरवरी तक बढ़ाया गया इटरनेट पर प्रतिबंध
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर पटियाला, संगरूर और फतेहगढ़ साहिब समेत पंजाब के कुछ जिलों के चुनिंदा इलाकों में इंटरनेट सेवाओं पर लागू प्रतिबंध 24 फरवरी तक बढ़ा दिया गया है. इससे पहले किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च के मद्देनजर 12 फरवरी से 16 फरवरी तक पंजाब के इन जिलों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई थीं.
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से 16 फरवरी को जारी आदेश के मुताबिक पटियाला के शंभू, जुल्कान, पासियां, पातरन, शत्राना, समाना, घनौर, देवीगढ़ और बलभेरा पुलिस थानों के अंतर्गत आने वाले इलाकों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहेंगी. इसके अलावा मोहाली में लालरू पुलिस थाना क्षेत्र, बठिंडा में संगत पुलिस थाना क्षेत्र, मुक्तसर में किल्लियांवाली पुलिस थाना क्षेत्र, मानसा में सरदुलगढ़ और बोहा पुलिस थाना क्षेत्र तथा संगरूर में खनौरी, मूनक, लेहरा, सुनाम और छाजली पुलिस थाना क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लागू किया गया है.
बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि बातचीत सद्भावपूर्ण माहौल में हुई। हमने सहकारी समितियों एनसीसीएफ, नाफेड को एमएसपी पर दालें खरीदने के लिए किसानों के साथ पांच साल का समझौता करने का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि हमने प्रस्ताव दिया है कि भारतीय कपास निगम एमएसपी पर कपास की फसल खरीदने के लिए किसानों के साथ पांच साल का समझौता करेगा। गोयल ने कहा, ‘हमने सहकारी समितियों एनसीसीएफ और नाफेड को एमएसपी पर दालें खरीदने के लिए किसानों के साथ पांच साल का समझौता करने का प्रस्ताव दिया है।
हमने प्रस्ताव दिया है कि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) एमएसपी पर कपास की फसल खरीदने के लिए किसानों के साथ पांच साल का समझौता करेगा।’ किसान उपज के एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी समेत अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय किसान नेताओं के साथ बैठक के लिए सेक्टर-26 स्थित महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान पहुंचे थे। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी बैठक में शामिल हुए। यह बैठक रात करीब साढ़े आठ बजे शुरू हुई थी। केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच इससे पहले आठ, 12 और 15 फरवरी को मुलाकात हुई लेकिन बातचीत बेनतीजा रही थी।