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27 जून से शुरू होगा पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय पल्स पोलियो कार्यक्रम - श्रीनारद मीडिया

27 जून से शुरू होगा पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय पल्स पोलियो कार्यक्रम

 

27 जून से शुरू होगा पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय पल्स पोलियो कार्यक्रम

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पोलियो अभियान की सफलता के लिए ज़िला से लेकर प्रखंड स्तर तक टास्क फोर्स का किया गया है गठन:
पोलियो का ड्रॉप पिलाते समय करना होगा कोविड-19 के नियमों का पालन: सीएस
पोलियो ड्रॉप के साथ सम्पूर्ण टीकाकरण भी कराना जरूरी: डीआईओ
कार्यक्रम की शत प्रतिशत सफ़लता के लिए आईसीडीएस की भूमिका महत्वपूर्ण: डीपीओ

श्रीनारद मीडिया,   पूर्णिया (बिहार):

नवजात शिशुओं में विकलांगता होने के मुख्य कारणों में से एक पोलियो को जड़ से खत्म करने के लिए जिले में अंतर्राष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान की शुरुआत 27 जून से हो रही है। पोलियो एक गंभीर बीमारी है, जो किसी भी नवजात शिशु या व्यक्तियों के शरीर को लकवाग्रस्त कर देता है। चूंकि बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बहुत ही कम होती है, इसलिए उसे इस बीमारी से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है। इस संक्रमण को नष्ट करने के लिए जन्म से लेकर 5 वर्ष तक के नवजात शिशुओं को पोलियो की खुराक पिलाई जाती है।

टास्क फोर्स गठन करने के लिए अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश: जिलाधिकारी
राष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान की शत प्रतिशत सफ़लता के लिए जिलाधिकारी राहुल कुमार द्वारा ज़िला से लेकर प्रखण्ड स्तर तक टास्क फोर्स गठन करने के लिए ज़िला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए है। जिलाधिकारी ने पोलियो कार्यक्रम में लगे हुए सभी कर्मियों को सख़्त निर्देश देते हुए कहा मुख्य ट्रांजिट स्थलों जैसे- बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, चौक-चौराहों सहित ईट भट्ठा, प्रवासी एवं भ्रमणशील आबादी के बच्चें सहित सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों पर ज़्यादा ध्यान देने का निर्देश दिया है जिससे कि कोई भी बच्चा पोलियो की ख़ुराक़ से वंचित नहीं रह पाए।

पोलियो का ड्रॉप पिलाते समय करना होगा कोविड-19 के नियमों का पालन: सीएस
सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने बताया वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल के दौरान होने वाली महत्वपूर्ण कार्यक्रम पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान के समय कोविड-19 संक्रमण से बचाव के साथ ही सुरक्षित रहते हुए इस अभियान में सभी एएनएम, आशा कार्यकर्ता व आईसीडीएस से जुड़े अधिकारी व कर्मियों को ध्यान रखने की जरूरत है। पोलियो का ड्रॉप पिलाने वाले कर्मियों द्वारा दवा पिलाने के समय मास्क पहनकर, सामाजिक दूरी का पालन करते हुए अपने हाथों में ग्लब्स पहनकर ही पोलियो की खुराक पिलाने से संबंधित सख़्त निर्देश दिए गए हैं। कोविड-19 संक्रमण को जड़ से मिटाने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से लगा है। जिस कारण आईसीडीएस की भूमिका राष्ट्रीय पाल्स पोलियो अभियान के दौरान काफ़ी महत्वपूर्ण हो गई हैं। हालांकि इनके सहयोग के लिए आशा कार्यकर्ताओं व एएनएम को लगाया गया है।

पोलियो ड्रॉप के साथ सम्पूर्ण टीकाकरण भी कराना जरूरी: डीआईओ
ज़िला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ सुरेंद्र दास ने बताया 27 जून से शुरू हो रहे पाँच दिवसीय पोलियो अभियान में जिले में लगभग 7 लाख 88 हज़ार 335 बच्चों को पोलियो की दो बूंद पिलाई जाएगी। पोलियो एक खतरनाक लकवाग्रस्त वायरस जनित रोग है। नवजात बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण उसे पोलियो का खतरा ज्यादा रहता है। विशेष रूप से यह बीमारी रीढ़ के हिस्सों व मस्तिष्क को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। इससे बचाव के लिए लोगों को अपने बच्चों को पोलियो की दवा जरूर पिलानी चाहिए। ताकि देश से इस संक्रमण को मिटाया जा सके। पोलियो ड्रॉप के साथ अपने बच्चों को संपूर्ण टीकाकरण भी करवाना चाहिए जो 12 जानलेवा बीमारियों से बचाए रखता है।

कार्यक्रम की शत प्रतिशत सफ़लता के लिए आईसीडीएस की भूमिका महत्वपूर्ण: डीपीओ
आईसीडीएस की डीपीओ शोभा सिन्हा ने बताया पोलियो अभियान की शत प्रतिशत सफलता के लिए ज़िले के सभी सीडीपीओ महिला पर्यवेक्षिका एवं आंगनबाड़ी सेविका व सहायिकाओं को प्रशिक्षित कर दिया गया है। क्योंकि इन्ही लोगों के द्वारा डोर टू डोर भ्रमण कर जन्म से लेकर 05 वर्ष तक के नवजात शिशुओं को पोलियो की खुराक पिलाई जाएगी। इसके लिए आईसीडीएस से जुड़े सभी सीडीपीओ एवं एलएस को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है। साथ ही आंगनबाड़ी सेविका, महिला पर्यवेक्षिकाओ को प्रतिदिन होने वाली संध्याकालीन बैठक में उपस्थित होने के लिए निर्देशित किया गया है। पोलियों ड्रॉप पिलाने के समय किसी तरह की समस्या होती है तो उसका तुरंत निष्पादन करना सुनिश्चित करना होगा ताकि पोलियो अभियान में कोई व्यवधान उत्पन्न न हो।

 

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