सीवान के सरयू नदी में उफान से आधा दर्जन गांवों पर बाढ़ का खतरा

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सरयू नदी के बढ़ते जल स्तर से जहां ग्रामीण इलाकों में हाहाकार मच गया है. वहीं जल संसाधन विभाग भी पूरी तरह सजग दिखायी दे रहा है. ग्रामीणों की मानें तो 24 साल बाद बाढ़ की विभीषिका से लोग फिर रू ब रू हो रहे हैं. ग्रामीणों की मानें तो चार दिनों में बढ़ते जल स्तर ने नये इलाकों में भी बाढ़ का पानी घुस गया है. जिससे घर, पशुओं, फसल, पीने के पानी, शौचालय, आने जाने वाले रास्ते, बिजली पूरी तरह से प्रभावित हो रही है.

गुठनी प्रखंड में सरयू नदी के रौद्र रूप ने जहां सैकड़ों से अधिक लोगों को बेघर कर दिया है. वहीं इसके लगातार बढ़ते जल स्तर ने लोगों की नींद उड़ा दी. ग्रामीणों का कहना है कि लगातार बढ़ते जल स्तर से नये इलाकों में पानी जा रहा है. जिससे आधा दर्जन से अधिक गांव पूरी तरह प्रभावित हो गये हैं. ग्रामीणों की माने तो सबसे अधिक प्रभावित तीरबलुआ, ग्यासपुर और बलुआ गांव के ग्रामीण है. जिनमें करीब 4000 से अधिक लोग पर बाढ़ का सीधा असर पड़ रहा है.
ग्रामीणों का आरोप है कि लगातार बढ़ते जल स्तर और नुकसान के बावजूद स्थानीय प्रशासन कोई मदद करने के लिए आगे नहीं आया. ग्रामीण इस बात से आक्रोशित हैं कि करीब एक सप्ताह से बढ़ते जल स्तर के बावजूद जल संसाधन विभाग, स्थानीय प्रशासन, जिला प्रशासन और जन प्रतिनिधियों ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं किया. जिससे इस तरह की स्थिति उत्पन्न हो गयी. सीओ शंभुनाथ राम का कहना है कि बाढ़ प्रभावित गांव में लगातार निरीक्षण किया जा रहा है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है.

पशुओं के रहने और चारे की हो रही है परेशानी

प्रखंड में सरयू नदी के बढ़ते जल स्तर से लोग सुरक्षित जगहों पर जाना शुरू कर दिये हैं. वही दियारा से भी लोगों का पलायन हो रहा है. वह अपने साथ नाव पर आनाज, कपड़े, दवाइयां, पैसे, जलावन, जरूरी सामान लेकर सुरक्षित जगहों पर निकल रहे हैं. वहीं पशुओं के रहने और चारे की लोगों के सामने समस्या उत्पन्न हो गयी है. लोग पशुओं को ऊंचे और सुरक्षित जगहों पर ले जा रहे हैं. लेकिन उनके लिए वहां चारे और पानी की असुविधा हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि स्थानीय प्रशासन ने अब तक उनसे संपर्क करना मुनासिब नहीं समझा है.

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