सीवान के सरयू नदी में उफान से आधा दर्जन गांवों पर बाढ़ का खतरा
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
सरयू नदी के बढ़ते जल स्तर से जहां ग्रामीण इलाकों में हाहाकार मच गया है. वहीं जल संसाधन विभाग भी पूरी तरह सजग दिखायी दे रहा है. ग्रामीणों की मानें तो 24 साल बाद बाढ़ की विभीषिका से लोग फिर रू ब रू हो रहे हैं. ग्रामीणों की मानें तो चार दिनों में बढ़ते जल स्तर ने नये इलाकों में भी बाढ़ का पानी घुस गया है. जिससे घर, पशुओं, फसल, पीने के पानी, शौचालय, आने जाने वाले रास्ते, बिजली पूरी तरह से प्रभावित हो रही है.
स्थानीय लोगों की माने तो बाढ़ ने सोहगरा, सोनहुला, श्रीकरपुर, गोहरुआ, गुठनी, योगियाडीह, तिरबलुआ, ग्यासपुर, दरौली, नरौली, केवटलिया गांव से सटे इलाकों के दर्जनों घर बाढ़ के पानी से घिर गए हैं. बाढ़ विभाग के जेइ रजनीश कुमार रवि ने बताया की सरयू का जल स्तर 61.810 सेंटिमेटर है. जो खतरे के निशान से 2.67 सेंटीमीटर ऊपर हो गया है. इस दौरान हमारी टीम स्थिति पर नजर रखे हुए हैं.
सरयू नदी के 24 साल बाद रौद्र रूप ने जहां आम आदमी को दहशत में जीने के लिए मजबूर कर दिया है. वही इसके बढ़ते जल स्तर ने करीब आधा दर्जन से अधिक गांव को अपनी चपेट में ले लिया है. जिनके निचले इलाकों में भी पानी तेजी से फैल रहा है. जिनमें बलुआ, गुठनी पश्चिमी, तिरबलुआ, ग्यासपुर, खडौली, सोहगरा, गोहरुआं, श्रीकरपुर, सोनहुला, योगियाडीह, हनुमानगंज, मैरीटार, पांडेयपार गांव शामिल है.
बाढ़ प्रभावित इलाकों से लोग सुरक्षित निकल रहे हैं बाहर
सरयू नदी जहां 24 साल बाद फिर अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है. इससे पीड़ित लोग अपने सामान बच्चे और पशुओं के साथ सुरक्षित जगहों पर निकलना शुरू कर दिये हैं. सबसे अधिक प्रभावित दियारा क्षेत्र में रहने वाले लोगों का है. वह अपने पशुओं, परिजनों, अनाज, जलावन, कागजात, पैसे, गहने, और समान के साथ नाव से सुरक्षित ऊंचे जगहों पर निकल रहे हैं. सबसे अधिक प्रभावित ग्यासपुर और तीर बलुआ के लोग हैं. उनका आरोप है कि अभी तक कहीं से भी राहत और बचाव का शुरू नहीं किया गया है.
हजारों हेक्टेयर भूमि पर जलजमाव से खेती को नुकसान
सरयू नदी के बढ़ते जल स्तर से कृषि योग्य करीब 1500 हेक्टेयर भूमि को नुकसान हुआ है. वहीं इसमें लगे धान, मक्का, मूंगफली, अरहर, हरी सब्जियों को भारी नुकसान हुआ है. ग्रामीण इस बात से चिंतित हैं कि बढ़ते जल स्तर से उनके मकानों और निजी संपत्तियों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. ग्रामीणों का कहना था कि अभी तक फसलों और कृषि योग्य भूमि को ही नुकसान पहुंचा है. जिसका आज तक स्थानीय प्रशासन और जिला प्रशासन ने कोई मुआवजा देना मुनासिब नहीं समझा है.
जल संसाधन विभाग की टीम कर रही है बाढ़ क्षेत्रों का दौरा
सरयू के बढ़ते जल स्तर को देखते हुए जल संसाधन विभाग ने एक खास टीम बनाया है. जिसका काम बालू की बोरिया भरने, मिट्टी लाने, प्लास्टिक बैग, पत्थर लाने, जवानो की ड्यूटी, मजदूरों को काम पर भेजने के लिए बनाया गया है. जो एसडीओ की देख रेख में काम करेगा. वही एक्सक्यूटिव इंजीनियर नवल किशोर भारती, जेद रत्नेश मिश्रा, विंध्याचल कुमार, विजय कृष्णा, रवि कुमार रजनीश, रफीउल्लाह अंसारी ने गोगरा तटबंध और दरौली के सटे नदी इलाको का निरीक्षण किया.
तीर बलुआ गांव का सामुदायिक भवन पानी से घिरा
सरयू नदी के जल स्तर से तीर बलुआ भगत टोली के बगल स्थित सामुदायिक भवन भी पूरी तरह बाढ़ के पानी की चपेट में आ गया है. ग्रामीणों की मानें तो इस सामुदायिक भवन में गांव के करीब सैकड़ों लोग बैठते व सोते थे. जिससे उनको काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है. वहीं ग्यासपुर और तीरबलुआ गांव के दर्जनों घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है जिसको लेकर ग्रामीण काफी परेशान नजर आ रहे हैं. वह बाढ़ के पानी में से अपने सामान सुरक्षित जगहों पर निकालने के लिए विवश है. लेकिन वह उनको ले भी जाएं तो कहा. इस संबंध में सीओ शंभूनाथ राम का कहना है कि हमारी टीम लगातार बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रही है. अभी तक हालात पूरी तरह काबू में है. इसकी सूचना वरीय अधिकारियों को दे दी गयी है.
पशुओं के रहने और चारे की हो रही है परेशानी
प्रखंड में सरयू नदी के बढ़ते जल स्तर से लोग सुरक्षित जगहों पर जाना शुरू कर दिये हैं. वही दियारा से भी लोगों का पलायन हो रहा है. वह अपने साथ नाव पर आनाज, कपड़े, दवाइयां, पैसे, जलावन, जरूरी सामान लेकर सुरक्षित जगहों पर निकल रहे हैं. वहीं पशुओं के रहने और चारे की लोगों के सामने समस्या उत्पन्न हो गयी है. लोग पशुओं को ऊंचे और सुरक्षित जगहों पर ले जा रहे हैं. लेकिन उनके लिए वहां चारे और पानी की असुविधा हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि स्थानीय प्रशासन ने अब तक उनसे संपर्क करना मुनासिब नहीं समझा है.
निचले इलाकों से लोग सुरक्षित जगहों पर कर रहे हैं पलायन
प्रखंड में सरयू नदी के बाढ़ से जहां दियारा और निचले इलाकों से लोग सुरक्षित जगहों पर पलायन कर रहे हैं. वही तीरबलुआ और ग्यासपुर गांव के करीब दो दर्जन से अधिक घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है. जिससे उनमें रहने वाले लोगों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना था कि घर के अंदर रखें सामानों को सुरक्षित बाहर निकाल रहे हैं. और उसे लेकर कहीं सुरक्षित जगह जाने के लिए मजबूर है. इस संबंध में बीडीओ आनंद प्रकाश ने बताया कि स्थानीय प्रशासन बाढ़ की स्थिति पर लोगों से सीधे संपर्क में है. वहीं बाढ़ प्रभावित इलाकों में भी लगातार दौरा किया जा रहा है.
सरयू नदी के बाढ़ से आधा दर्जन गांव पूरी तरह प्रभावित
सरयू नदी के बढ़ते जल स्तर से जहां आधा दर्जन गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. वही बाढ़ का पानी निचले इलाकों के जगहों पर पहुंच गया है. इनमे ग्यासपुर, तिरबलुआ, बलुआ, खड़ौली, पांडेयपार, मैरिटार, सोनहुला, सोहगरा, श्रीकरपुर, गोहरुआ, बिहारी, गांवों के सैकड़ो एकड़ जमीन में लगी फसलों को भारी नुकसान हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि इस दौरान शौचालय, पीने का पानी, पशुओं का चारा का काफी दिक्कत हो रही है.
ग्रामीणों ने लगाया खानापूर्ति करने का आरोप
प्रखंड में जहां सरयू नदी ने तबाही मचा दिया है. वहीं इससे हजारों लोग पूरी तरह प्रभावित हुए हैं. ग्रामीणों ने जल संसाधन विभाग पर खानापूर्ति करने का आरोप लगाया है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते विभाग द्वारा सही ढंग से कार्य किया गया होता तो इससे इतनी नुकसान लोगों को नहीं उठानी पड़ती. ग्रामीणों का कहना था कि विभाग के कर्मियों व अधिकारियों द्वारा पैसे का बंदरबांट करके लोगों को तबाह किया जा रहा है. इस संबंध में जेइ रजनीश कुमार रवि ने कहा कि बाढ़ की स्थिति धीरे-धीरे ही सामान्य हो पायेगी. वहीं अब तक सभी बांध पूरी तरह सुरक्षित है.